पानी में खारेपन की वृद्धि गंगा नदी डॉल्फिन के लिए बन रही खतरा
Divendra Singh 7 Jan 2019 1:22 PM GMT
नदियों में बढ़ते प्रदूषण और पानी में लवणता के स्तर में वृद्धि गंगा नदी डॉल्फ़िन (गंगा सूंस) के लिए खतरनाक साबित हो रही है। वैज्ञानिकों द्वारा सुंदरवन क्षेत्र में किए गए पांच साल के अध्ययप में ये पाया गया है।
यह सर्वेक्षण हुगली नदी के निचले हिस्से में किया गया था, जिसमें भारत के पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सुंदरवन के 97 किमी के हिस्से को कवर किया गया था, जो 2013 से 2016 के बीच विभिन्न मौसमों में रहा था। इसके साथ ही, शोधकर्ताओं ने पानी के लवण (salinity) के स्तर को भी मापा है।
स्थानीय मछुआरा समुदायों के साथ बातचीत पर आधारित, नाव-आधारित और भूमि-आधारित सर्वेक्षणों के लिए अध्ययन क्षेत्र का सीमांकन किया गया।
पिछले अध्ययनों ने सुंदरवन क्षेत्रों में गंगा डॉल्फिन के प्राकृतिक वितरण को दर्ज किया था, लेकिन जनसंख्या और निवास परिवर्तन का आकलन करने के लिए कोई निरंतर सर्वेक्षण नहीं किया गया था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, "गंगा की धारा में जहां पर लवणता का स्तर 10 पीपीटी से ज्यादा है, वहां पर डॉल्फिन कम हो गईं हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि सुंदरबन के पूर्वी और मध्य क्षेत्र में लवणता बढ़ने से प्रजातियों के आवास प्रभावित हुए हैं। लवणता बढ़ने से कई बदलाव भी आते हैं जैसे कि ताजे पानी के प्रवाह में कमी, बैराज से कम निर्वहन, आस-पास के कृषि योग्य भूमि भी सिंचाई से अनुपजाऊ हो जाती है।
लवणता के बढ़ता स्तर इंडो-पैसिफिक हंपबैक डॉल्फिन और इरावदी डॉल्फिन के लिए अनुकूल है, क्योंकि ये प्रजातियां खारे पानी में भी रह सकती हैं।
डॉल्फिन आवासों के लिए दूसरे खतरों में अंधाधुंध मछली पकड़ना, खतरनाक मछली पकड़ने के यंत्रों का प्रयोग, मोटर चालित नौकाओं से शोर और स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता की कमी है। हालांकि, इन कारकों के प्रभाव का आकलन करने के लिए कोई डेटा नहीं है। केवल दीर्घकालिक निगरानी से ही इसका जवाब मिल सकता है।
शोधकर्ता संगीतामित्रा बताती हैं, "गंगा में रहने वाली डॉल्फिन मीठे पानी की प्रजातियां हैं और लवणता और अन्य पारिस्थितिक कारकों के कारण गिरावट आई है। हालांकि अभी हमारा अध्ययन खत्म नहीं हुआ है, हम संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ इस मीठे पानी के आवास के खतरों के बारे में जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं ,क्योंकि इसका गंगा नदी डॉल्फिन पर सीधा प्रभाव है।"
गंगा नदी डॉल्फ़िन नेपाल, भारत और बांग्लादेश में गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली- सांगु की नदियों में पाई जाती है। यह भारत में एकमात्र जीवित मीठे पानी की डॉल्फिन है।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (चेन्नई) और कलकत्ता विश्वविद्यालय की समुद्री जीव विज्ञानी महुआ रॉय चौधरी शामिल थीं। अध्ययन के परिणाम जर्नल ऑफ थ्रेटेड टैक्सा में प्रकाशित किए गए हैं।
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