World Press Freedom Day: पिछले एक साल में बढ़े पत्रकारों पर हमले, कम हुई मीडिया की स्वतंत्रता
Shefali Srivastava 3 May 2017 3:55 PM GMT
लखनऊ। 3 मई यानी विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम प्रेस की आजादी की बात करते हैं। हालांकि विश्व में इसकी तस्वीर थोड़ी उलट है, खासकर भारत में जहां पिछले 16 महीनों में कई ऐसी घटनाएं हुईं जो प्रेस की स्वतंत्रता में सेंध जैसा था। इस दौरान पत्रकारों पर 54 हमले हुए, तीन टीवी न्यूज चैनल को बैन किया गया, इसके साथ ही 45 वेबसाइट्स पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें बंद किया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जनवरी 2016 से अप्रैल 2017 के बीच सात पत्रकारों की हत्या हुई है। इनमें से एक को उनके पत्रकारिता की वजह से ही मौत के घाट उतारा गया। ये तथ्य नॉन प्रॉफिट मीडिया वॉचडॉग द हूट ने जारी किए।
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मीडिया पर निगरानी रखने वाला द हूट की इंडिया फ्रीडम रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों में स्वंतत्रता की समझ घट रही है। द हूट के अनुसार देश में इस समय जो माहौल है उसमें लोगों को सूचना का अधिकार, इंटरनेट चलाने और ऑनलाइन स्वतंत्रता में कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इस लिहाज से प्रेस पूरी तरह आजाद नहीं।
इसके लिए दोषी पुलिस, राजनेता, ट्विटर ट्रोलर्स, खनन माफिया, अनियंत्रित भीड़ और यहां तक कि वकील भी हैं। द हूट ने भारतीय प्रेस को इस बात के लिए भी चिंतित किया है कि पिछले कुछ वर्षों से प्रेस की आजादी पर जिस तरह के हमले हो रहे हैं उससे खोजी पत्रकारिता खतरनाक होती जा रही है।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति कठिन
हाल ही में वर्ल्ड प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की रिपोर्ट में भारत 136 वें रैंक पर पहुंच गया यानी अपनी पिछली रैंक से तीन कदम नीचे। इसी के साथ भारत को ‘कठिन परिस्थति’ वाले स्लॉट में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ स्थान दिया गया है। यानी इन देशों में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति कठिन व गंभीर है।
मीडिया पर बढ़ रहा है सेल्फ सेंसरशिप
रिपोर्ट के अनुसार, जिस तरह हिंदू राष्ट्रवादी इन दिनों राष्ट्रविरोधी विचारों को राष्ट्रीय स्तर की बहस बनाने की कोशिश कर रहे हैं उससे मीडिया सेल्फ सेंसरशिप की तरफ बढ़ता जा रहा है। पत्रकारों को तेजी से सोशल मीडिया पर निशाने पर लिया जा रहा है। यहां तक कि उन पर फिजिकल अटैक भी हो रहे हैं।
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