इनके हौसले को सलाम करिए, लेटे-लेटे पूरी की बीसीए की पढ़ाई, अब है एमबीए की तैयारी
Mithilesh Dhar 13 Oct 2017 6:43 PM GMT
मध्य प्रदेश (भोपाल)। जिद अगर कुछ की गुजरने की हो तो दुनिया की कोई परेशानी आपका रास्ता नहीं रोक सकती। बिरले ही होते हैं ऐसे लोग जिनके मजबूर इरादों के सामने परेशानियां घुटने टेकने को मजबूर हो जाती हैं। ऐसी ही हैं 24 साल की अंकिता, जिनकी रोज हड्डिया टूटती हैं, लेकिन हौसले नहीं।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की रहने वालीं अंकिता नायडू जो ओस्टो जेनेटिक इन परफेक्ट नामक बीमारी से पीड़ित हैं। ये बीमारी लाखों में से किसी एक को होती है। ये बीमारी ऐसी है पेन की कैप उतारते वक्त ही कई बाद अंकिता के हाथों की हड्डियां टूट जाती हैं। रोज कहीं न कहीं की हड्डियां टूट जाती हैं। लेकिन उनकी जिद नहीं टूटती। इस बीमारी के कारण अंकिता की लम्बाई लगभग तीन फीट ही बढ़ पाई है और हड्डियां तो अनगिनत बार टूट चुकी हैं। इस गंभीर बीमारी के बावजूद इसके अंकित बीसीए की पढ़ाई पूरी चुकी हैं और अब एमबीए की तैयारी कर रही हैं।
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लेटकर पास की सभी परीक्षाएं
बहनों में अंकिता बड़ी हैं, वो बैठ भी नहीं सकतीं। अंकिता के पिता सत्यनारायण नायडु छिंदवाड़ा में ही प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते हैं और मां शिक्षक हैं। वे बताते हैं कि अंकिता को ये बीमारी बचपन से ही। लेकिन वो मजबूत इरादों वाली लड़की है। बारहवीं के बाद बीसीए करने की ठानी और उसे पूरा भी किया। कम्प्यूटर की पढ़ाई के लिए बिस्तर पर ही लेटकर कम्प्यूटर की बारीकियां सीखीं। सभी परीक्षाएं भी लेटकर दी वो भी बिना किसी की मदद के।
No post found for this urlसपना एमबीए कर नौकरी करने का
बीसीए पूरा करने के बाद अंकिता एमबीए की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए वह सेल्फ स्टडी के साथ इंटरनेट का भी सहारा लेती हैं। सपना नौकरी करने का है। इसलिए बैंक की भी कई परीक्षांए दी हैं। अंकिता कहती हैं "नौकरी करने का मकसद इसलिए है क्योंकि अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। और मम्मी-पापा को खुश देखना चाहता हूं।"
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खुश हूं कि अभी तक बच्ची हूं
अंकिता अपना आदर्श अपने माता-पिता को मानती हैं। पिता सत्यनारायण अंकिता को परीक्षा सेंटर तक गोद में लेकर जाते हैं। अंकित बताती हैं "उनके माता-पिता ने कभी मेरी बीमारी को मेरे सपनों के बीच नहीं आने दिया। मैं खुश हूं कि मैं अब भी माता-पिता की गोद में रहती हूं। अंकिता फेसबुक और वाट्सएप पर भी सक्रिय हैं।
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