जैसलमेरः अंधड़ ने किया लाखों रुपए का नुकसान, जीरा और इसबगोल की फसल बर्बाद

जैसलमेर में सैकड़ों पेड़ इस तूफान की वजह से उखड़ गए। इनमें से कई पेड़ तो 100 साल पुराने थे। वहीं, तेज आंधी के कारण जिले में करीब 100 गांवों और 500 से ज्यादा ढाणियों में बिजली गुल हो गई है।

Madhav SharmaMadhav Sharma   23 March 2021 2:00 PM GMT

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जैसलमेरः अंधड़ ने किया लाखों रुपए का नुकसान, जीरा और इसबगोल की फसल बर्बादखेतों में हुए नुकसान दिखाता किसान। (नुकसान की फोटो स्थानीय लोगों ने भेजी है)

जयपुर/जैसलमेर। रविवार 21 मार्च को देर रात पाकिस्तान की ओर से आए तूफान ने जैसलमेर जिले को तहस-नहस कर के रख दिया। मात्र एक घंटे के तूफान में लाखों रुपए के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। किसानों की मानें तो जीरे, ईसबगोल की 80 फीसदी फसल आंधी-तूफान से बर्बाद हो गई है। जैसलमेर के अलावा बाड़मेर, जोधपुर में भी काफी नुकसान की खबरें आई हैं।

जैसलमेर में सैकड़ों पेड़ इस तूफान की वजह से उखड़ गए। इनमें से कई पेड़ तो 100 साल पुराने थे। वहीं, तेज आंधी के कारण जिले में करीब 100 गांवों और 500 से ज्यादा ढाणियों में बिजली गुल हो गई है। आंधी के कारण बिजली विभाग का करीब 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रविवार के बाद सोमवार को भी जैसलमेर जिले में करीब 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं।

जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने प्रशासन को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग के अनुसार पाकिस्तान की ओर से आए तूफान के कारण जैसलमेर में आपदा जैसे हालात पैदा हो गए। सम में रेत के टीलों के बीच पर्यटकों के लिए बने 200 से ज्यादा टेंट भी उखड़ गए। रात में ही करीब 400 पर्यटकों को होटलों में शिफ्ट किया गया।

हफ्तेभर में कटनी थी जीरे की फसल, आंधी सब उड़ा कर ले गई

जैसलमेर जिले की सम तहसील के गांव बैरशियाला के रहने वाले किसान बिशन सिंह ने अपने किसी जानने वाले से 100 बीघा जमीन एक सीजन के लिए उधार ली, क्योंकि ये जमीन ट्यूबवैल की थी। इस पर बिशन सिंह ने जीरा बोया। रविवार और सोमवार को आए तूफान ने सिंह की 85 फीसदी फसल को बर्बाद कर दिया। वे कहते हैं, "मेरे पिता के नाम 135 बीघा जमीन है, लेकिन उसमें ट्यूबवैल नहीं है। इसीलिए इस साल एक जानने वाले से 100 बीघा भूमि ली और उसमें जीरा बोया। अब तक फसल पर मेरे करीब 5 लाख रुपए खर्च हो चुके थे। दो दिन के तूफान ने मेरी 4 महीने की मेहनत पर पानी फेर दिया।"

बिशन आगे कहते हैं, "मैंने कुछ फसल काट कर खेत में ही रख दी थी और अगले हफ्ते तक पूरी फसल कट जाती, लेकिन दो दिन की आंधी-बरसात कटी हुई फसल उड़ा ले गई और खेत में लगी फसल का दाना झड़ गया। अगर सब ठीक रहता तो मेरी जीरे की फसल करीब 30 लाख रुपए की होती।'


बिशन की चिंता यह भी है कि नुकसान का अगर मुआवजा मिला तो वो उन्हें नहीं मिल पाएगा क्योंकि खेत किसी दूसरे के नाम है, जिसे उन्होंने सिर्फ व्यवहार के चलते एक सीजन की खेती के लिए मिल गया था। हालांकि इस क्षेत्र में अधिकतर किसान एक-डेढ़ लाख रुपए सालाना की दर पर 100-125 बीघा जमीन लेते हैं और उस पर खेती करते हैं। नुकसान की स्थिति में सरकार की ओर से मिलने वाले मुआवजे को खेत का मालिक इन किसानों को नहीं देता है।

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इसी तरह पोछीणा गांव के बलवीर की 90 बीघा जीरे और ईसबगोल की फसल को नुकसान हुआ है। वे कहते हैं, 'पूरी फसल पक चुकी थी। अब बस काटने के दिन आ रहे थे, लेकिन उससे पहले ही पूरी फसल लेट गई। जीरे का दाना खेत में ही झड़ चुका है।' बता दें कि पश्चिमी राजस्थान में बीते दो सीजन से फसल प्राकृतिक आपदाओं की भेंट चढ़ रही हैं। बीते साल टिड्डियों के हमले से 100 फीसदी खराबा फसलों का हुआ था। इस बार 80-85% तक फसलें इस एक घंटे के तूफान ने नष्ट कर दी हैं।

हवा में नमी के कारण आया तूफान

मौसम विभाग, जयपुर के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में जमीन शुष्क होती है। फिलहाल हवा में नमी की कमी भी है। जमीन शुष्क होने से मेघगर्जन वाले बादल अंधड़ में बदल जाते हैं। जयपुर मौसम केन्द्र के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा का कहना है कि इस बार सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा तक तापमान है और पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय है इसीलिए जेठ की गर्मी जैसे अंधड़ अभी से आने लगे हैं।

कृषि मंत्री ने ली रिपोर्ट

राज्य के कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने जैसलमेर कलेक्टर आशीष मोदी से फोन पर बात की और स्थिति के बारे में जानकारी ली। कटारिया ने जिले में अंधड़ से फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट भी ली। उन्होंने कलेक्टर को फसलों में हुए नुकसान का कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि की टीम से तुरंत सर्वे करवाने के निर्देश भी दिए हैं।

जानिए जीरे की बुआई का आंकड़ा

इस सीजन में सबसे ज्यादा जीरा बाड़मेर जिले में बोया गया। यहां 2.15 लाख हेक्टेयर, जोधपुर में 1.87 लाख हेक्टेयर, जैसलमेर 60 हजार हेक्टेयर, जालौर 90 हजार, नागौर 50 हजार और सिरोही जिले में करीब 15 हजार हेक्टेयर जमीन पर जीरा बोया गया। दो दिन के तूफान का सबसे ज्यादा नुकसान जैसलमेर जिले ने झेला है।

  

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