गंगा के लिए अनशन कर रहे संत गोपालदास हैं गायब, पुलिस नहीं कर रही तलाश
एम्स में करीब 1 महीने के इलाज के बाद संत गोपालदास को 4 दिसंबर को देहरादून के दून अस्पताल रेफर किया गया। इसके बाद से ही गोपालदास का कुछ पता नहीं चल रहा है।
Ranvijay Singh 4 Jan 2019 12:31 PM GMT

लखनऊ। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की मांग को लेकर अनशन कर रहे संत गोपालदास 4 दिसंबर से ही गायब हैं। उनके समर्थक गोपालदास के गायब होने के पीछे षडयंत्र की बात कर रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड पुलिस के एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार कहते हैं, ''हम संत गोपालदास को नहीं तलाश रहे, वो अपने आप गए हैं।'' मतलब पुलिस का मानना है कि संत गायब नहीं हुए हैं, वो अपने मन से कहीं गए हैं।
बता दें, संत गोपालदास को हरिद्वार के मातृसदन आश्रम से 17 अक्टूबर को पुलिस ने तब उठाया था जब वे 117 दिनों तक अनशन कर चुके थे। पुलिस उन्हें आश्रम से एम्स ऋषिकेश ले गई जहां से 5 नवंबर को उन्हें एम्स दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया। एम्स में करीब 1 महीने के इलाज के बाद संत गोपालदास को 4 दिसंबर को देहरादून के दून अस्पताल रेफर किया गया। इसके बाद से ही गोपालदास का कुछ पता नहीं चल रहा है।
गंगा सफाई के लिए 111 दिन के अनशन के बाद अपने प्राण त्यागने वाले पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद की मौत के बाद गोपालदास ने उनके अनशन को आगे बढ़ाने का प्रण लिया था। गोपालदास को जब पुलिस ने उठाया तब वे मातृसदन के उसी कमरे में रहकर अनशन कर रहे थे जहां प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने अनशन किया था।
मातृसदन से जुड़े संत दयानंद बताते हैं, ''दिल्ली एम्स के बाद हमारे पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि संत गोपालदास कहां हैं। पुलिस प्रशासन बस कहानियां बता रहे हैं। तरह तरह की बात हो रही है, लेकिन उनका पता नहीं चल रहा।'' संत दायानंद कहते हैं, ''हम दून अस्पताल रेफर करने की कहानी की भी पुष्टी नहीं करते क्योंकि ये बात हमें पुलिस की ओर से बताई गई है। कोई इंसान जो कई दिनों से अनशन कर रहा है, वो गायब है ये किसकी जिम्मेदारी है। उनका पता करना बहुत जरूरी है, लेकिन कैसे किया जाए।''
संत गोपालदास के घर वालों को भी उनका कुछ पता नहीं है। गोपालदास गुहाना हरियाणा के रहने वाले हैं। उनकी माता शकुंतला देवी फोन पर बताती हैं, ''उनका तो पता ही नहीं चल रहा। हमें कोई जानकारी नहीं अभी तक। मैं ऋषिकेश में अनशन पर भी बैठी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उनकी कोई कोई पक्की जानकारी नहीं है कि वो कहां हैं।''
समाजसेवी प्रवीण सिंह जो दिल्ली एम्स में गोपालदास के केयरटेकर भी थे वो बताते हैं, ''पुलिस शुरू से ही लापरवाही कर रही थी। संत गोपालदास को 5 नवंबर को ऋषिकेश से दिल्ली के एम्स आयुर्वेद में रेफर किया गया था। यहां से डॉक्टरों ने उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भेज दिया।'' प्रवीण सिंह आरोप लगाते हैं कि ''संत जी के साथ दिल्ली आए उत्तराखंड की पुलिस उन्हें स्ट्रेचर पर ही छोड़कर चली गई थी। क्योंकि उन्हें दिवाली में घर जाना था। इसके बाद मैंने उन्हें एम्स में भर्ती कराया। कुछ दिनों बाद पुलिस वाले आए और फिर संत जी के साथ रहे।''
प्रवीण कहते हैं, ''मैं बीच बीच में जाकर उनकी देखरेख कर रहा था, लेकिन अब उनका कुछ पता नहीं है।'' प्रवीण आरोप लगाते हैं कि ''एम्स से उन्हें गायब किया गया है। वो मेडिको लीगल केस हैं, ऐसे में पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वो बताए कि वो कहां गए। जब जांच की बात होती है तो जांच नहीं होती। आप कैसे किसी को गायब कर सकते हैं। पुलिस कैसे नहीं बताएगी।''
वहीं बीच ऐसी खबरें भी आईं कि लापता संत गोपालदास आंध्र प्रदेश में सकुशल हैं। जब इस खबर के संबंध में उत्तराखंड पुलिस के एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया, ''अखबार के सुत्रों को कहीं से पता चला था कि वो आंध्र प्रदेश में हैं। मुझसे जब इस खबर पर अखबार के रिपोर्टर ने बात की तो मैंने कहा था, हमारे पास बहुत से सबूत हैं कि वो अपने मन से गए हैं।'' हालांकि अशोक कुमार इस बात की तस्दीक नहीं करते कि संत आंध्र प्रदेश में हैं। अशोक कुमार कहते हैं, ''उनकी ओर से किसी ने मिसिंग रिपोर्ट नहीं लिखावाई है। पुलिस ने खुद से मिसिंग रिपोर्ट लिखी है। हम उन्हें नहीं तलाश रहे। जब घर वाले भी रिपोर्ट नहीं लिखा रहे तो क्यों तलाशें।''
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वहीं, संत के आंध्र प्रदेश होने की खबरों पर मातृसदन से जुड़े संत दयानंद बताते हैं, ''हमें भी अखबार से ही जानकारी मिली हैं। लेकिन सोचने वाली बात है कि एक संत जिसे नाक के रास्ते फोर्स फीडिंग कराई जाती थी। कई बार उनकी नाक से खून भी आ जाता था। वो कमजोर भी थे। ऐसे में वो इतनी दूर कैसे जा सकते हैं।'' दयानंद कहते हैं, ''अगर उन्हें जाना ही होता तो कबका चले गए होते। इतने दिन क्यों कष्ट झेलते। अगर किसी को जानकारी है कि वो कहीं हैं तो बात ही करा दें, लेकिन ऐसा भी नहीं हो रहा।''
गंगा की रक्षा के लिए तीन संत त्याग चुके हैं प्राण
इससे पहले गंगा को साफ करने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद का 11 अक्टूबर 2018 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उन्होंने गंगा एक्ट के लिए जल भी त्याग दिया था। स्वामी सानंद से पहले 2011 में गंगा की रक्षा के लिए अनशन करते हुए मातृसदन के संत स्वामी निगमानंद की भी अस्पताल में मौत हो गई थी। निगमानंद क्रशर व खनन माफिया के खिलाफ अनशन कर रहे थे। निगमानंद से पहले स्वामी गोकुलानंद भी गंगा की रक्षा के लिए प्राण त्याग चुके थे। गोकुलानंद भी क्रशर व खनन माफिया के खिलाफ अनशन कर रहे थे। इसके बाद 2003 में उनका शव नैनीताल जनपद के एक गांव के पास जंगल में मिला था। इन तीनों संत की मौत में एक समानता है कि ये सभी संत मातृसदन से जुड़े हुए हैं।
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