बाघों की संख्या दोगुनी करने के लिए भारत के बाघ अभयारण्य को मिला प्रतिष्ठित पुरस्कार

तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को 2010 से बाघों की संख्या दोगुनी होने के बाद TX2 पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि आवासों में सुधार, बाघों और उनके शिकार की कड़ी निगरानी और स्थानीय समुदायों के साथ बड़े पैमाने पर काम करने से यह उपलब्धि मिली है।

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बाघों की संख्या दोगुनी करने के लिए भारत के बाघ अभयारण्य को मिला प्रतिष्ठित पुरस्कार

भारत के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के अलावा, नेपाल में बर्दिया नेशनल पार्क ने 2010 से जंगली बाघों की आबादी को दोगुना करने के लिए इस साल का TX2 पुरस्कार जीता है। फोटो: पिक्साबे

भारत के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को 2010 के बाद से बाघों की संख्या दोगुनी होने के बाद प्रतिष्ठित TX2 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। तमिलनाडु के इरोड जिले में पश्चिमी घाट में सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व, 1.409 वर्ग किलोमीटर में फैला है और 2013 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है, यह लगभग 80 बाघों का घर है।

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया) के महासचिव और सीईओ रवि सिंह ने आज 25 जनवरी को जारी प्रेस बयान में कहा है, "TX2 पुरस्कार बाघों को बचाने के लिए सरकारों, एनजीओ और स्थानीय समुदायों के सराहनीय योगदान का सम्मान करता है। सम्मान के लिए हाल ही में चुने गए टाइगर रिज़र्व जैसे सत्यमंगलम दूसरों को इस अद्भुत प्रजाति और उसके हैबिटेट को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।"


ये पुरस्कार कंज़र्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS), फ़्यूना एंड फ़्लोरा इंटरनेशनल (FFI), ग्लोबल टाइगर फ़ोरम (GTF), IUCN का इंटीग्रेटेड टाइगर हैबिटेट कंज़र्वेशन प्रोग्राम (ITHCP),पेंथेरा, UNDP, द लॉयन्स शेयर, वाइल्ड लाइफ़ कंज़र्वेशन सोसाइटी (WCS) और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) WWF द्वारा वितरित किए जा रहे हैं। ये सभी 13 टाइगर रेंज देशों की 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो 2022 तक बाघों की वैश्विक आबादी को दोगुना करने के लिए प्रसिद्ध हैं।

यह पुरस्कार राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों की कोशिशों का सम्मान करता है जिन्होंने इस नए टाइगर रिज़र्व को भारत में सबसे ज़्यादा आबादी वाला स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस साल सितंबर में, टाइगर रेंज के देश व्लादिवोस्तोक में दूसरे ग्लोबल टाइगर समिट में महत्वाकांक्षी TX2 लक्ष्य- बाघों की संख्या दोगुनी करना- का मूल्यांकन करने और अगले 12 सालों के लिए बाघों के संरक्षण के लिए प्राथमिकताओं को समझने के लिए जुटेंगे।

इंटीग्रेटेड टाइगर हैबिटेट प्रोग्राम, IUCN के समन्वयक सुगोतो रॉय ने कहा, "बाघों के सफल संरक्षण में लगातार प्रबंधन और हैबिटेट के लैंडस्केप स्केल में सुधार, बाघों और उनके शिकार की कठोर निगरानी और स्थानीय समुदायों के साथ बड़े पैमाने पर काम करना शामिल है। इन सभी मानदंडों को उत्कृष्टता के साथ पूरा किया गया है, जिससे हमें विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण परिणाम मिले हैं।"

सत्यमंगलम को 2013 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था और अब इस क्षेत्र में लगभग 80 टाइगर हैं। नीलगिरि और ईस्टर्न घाट लैंडस्केप के बीच यह टाइगर रिज़र्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व, बांदीपुर टाइगर रिज़र्व और बीआर हिल्स टाइगर रिज़र्व जैसे दूसरे जाने माने टाइगर हैबिटेट से अच्छी तरह जुड़ा है। इरोड फ़ॉरेस्ट डिवीज़न, कोयंबटूर फ़ॉरेस्ट डिवीज़न और मलाई महादेश्वर वाइल्ड लाइफ़ सेंचुरी जैसे आस पास के क्षेत्र भी महत्वपूर्ण टाइगर हैबिटेट के रूप में उभर रहे हैं। इससे टाइगर भोजन और नए क्षेत्र की तलाश में आसानी से एक से दूसरे स्थान पहुंच सकेंगे।

भारत के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के अलावा, नेपाल में बर्दिया नेशनल पार्क ने 2010 से जंगली बाघों की आबादी को दोगुना करने के लिए इस साल का TX2 पुरस्कार जीता है।

'2021 में भारत में सबसे ज्यादा बाघों की मौत'

इस बीच, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व में 2012 और 2019 के बीच सात बाघों की मौत हुई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।


इससे यह भी पता चलता है कि भारत में पिछले साल 2021 में कुल 126 बाघों की मृत्यु हुई - 2012 में डेटा एकत्र करना शुरू करने के बाद से सबसे अधिक मौत हुईं हैं। दस वर्षों की अवधि में, बाघों की दूसरी सबसे बड़ी मृत्यु 2016 में 121 के रूप में दर्ज की गई थी। हालांकि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इन खबरों को 'एकतरफा' करार दिया है।

राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 और 2020 के बीच मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 202 मौतें दर्ज की गईं। इसके बाद महाराष्ट्र में 141 बाघों की मौत हुई और इसी अवधि में कर्नाटक में 123 बाघों की मौत हुई।

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