ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व होता है सतुआन

असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन पर्व भी मनाया जा रहा है।

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ग्रीष्म ऋतु के स्वागत का अनोखा लोकपर्व होता है सतुआन

सतुआन में चना, जौ का सत्तू और कच्ची कैरी (आम) की चटनी बनायी जाती है। (फोटो: @MundaArjun/Twitter)

भारत के बारे में कहा जाता है कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी, जिसका मतलब देश में हर एक कोस की दूरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है। इसी तरह से हर एक हिस्से में अलग-अलग पर्व भी मनाए जाते हैं, ज्यादातर त्योहार फसलों की बुवाई-कटाई और किसी खास मौसम के स्वागत के लिए मनाए जाते हैं।

14 अप्रैल को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग उत्सव मनाए जा रहे हैं, कई राज्यों में आज नव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन पर्व भी मनाया जा रहा है।

सतुआन पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला उत्तर भारत का पर्व है। असल में यह गर्मी का स्वागत करने वाले पर्व होता है। इस दिन को मेष संक्रांति भी कहा जाता है। सतुआन में कच्चे आम की कैरी की चटनी और सत्तू का घोल सूर्य देवता को चढ़ाया जाता है।

बिहार, उत्तर प्रदेश में लोग गर्मी से बचने के लिए सत्तू का घोल पीते हैं, सतुआन से इसकी शुरूआत हो जाती है। गर्मी बढ़ने के साथ ही आपको हर एक घर में सत्तू मिल जाएगा।

14 अप्रैल अलग-अलग क्षेत्र में मनाए जाते हैं अलग त्योहार

सौर नव वर्ष की शुरुआत है. आज भारत के अनेकों क्षेत्र में नव वर्ष से जुड़े त्यौहार जैसे जुड़ शीतल,पोहेला बोशाख, बोहाग बिहू, विशु, पुथंडू और बैसाखी मनाये जाते हैं।

विशु

विशु ये त्यौहार केरल में नव वर्ष के औसर पर मनाया जाता है, इस त्यौहार को केरल में मलयाली महीने मेदाम के पहले दिन मनाया जाता है।

बोहाग बिहू

ये त्यौहार असम में मनाया जाता है। इस त्यौहार को असमिया नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

पोहेला बोशाख

पोहेला बोशाख को हर साल 14 अप्रैल को बंगाली नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

पुथंडू

ये तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक त्यौहार है। इस त्यौहार को तमिल कैलेंडर चिथिराई मास के पहले दिन मनाया जाता है।

मिथिलावासी कल मनाते हैं जुड़ शीतल

मिथिलांचल के लोग आज सतुआनी तो कल जुड़ शीतल मनाएंगे। जुड़ शीतल से ही नया साल शुरू होता है। यह पर्व भी प्रकृति से जुड़ा होता है। इसमें इंसान से लेकर पेड-पौधों और पशु-पक्षियों का ध्यान रखा जाता है। सुबह-सुबह घर के बड़े घर के छोटों के सिर पर पानी डालकर उन्हें जुड़ाते हैं।

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