गन्ना किसान के बेटे ने एशियन गेम्स में जीता निशानेबाजी का गोल्ड मेडल
Alok Singh Bhadouria 21 Aug 2018 1:04 PM GMT

अपने घर के दो कमरों को शूटिंग रेंज बनाकर प्रैक्टिस करने वाले सौरभ चौधरी ने एशियन गेम्स में अपने देश और अपने गांव कलीना का नाम दुनिया भर में मशहूर कर दिया। सौरभ ने 10 मीटर पिस्टल इवेंट में गोल्ड जीता है। 16 बरस के सौरभ का यह पहला सीनियर इवेंट है और उसके मुकाबले में थे 2010 के विश्व चैंपियन जापान के मत्सुदा। सौरभ के पिता जगमोहन सिंह यूपी के जिले मेरठ के गांव कलीना के एक छोटे गन्ना किसान हैं। खुशी की बात यह है कि कांस्य पदक भी एक और भारतीय खिलाड़ी अभिषेक वर्मा के नाम रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सौरभ को शानदार जीत पर बधाई दी है।
कुछ ही महीने पहले सौरभ ने जर्मनी में जूनियर वर्ल्ड कप में भी गोल्ड जीता था इसलिए प्रतियोगिता की शुरूआत से ही सभी की निगाहें सौरभ पर थीं। पर सब कुछ इतना आसान नहीं था। गांव कनेक्शन से बातचीत में सौरभ के बड़े भाई नितिन बताते हैं, "महज तीन साल पहले ही सौरभ ने शूटिंग प्रैक्टिस शुरू की थी। हमारे पिता एक छोटे गन्ना किसान हैं। 15 बीघा खेती है। आज की मंहगाई में किसी तरह गुजारा चल जाता है। पर हमने सौरभ की शौक की खातिर कोई कसर नहीं छोड़ रखी। गोलियों का एक पैकेट 550 रुपयों का आता है और तीन दिन ही चल पाता है। इसी तरह पिस्टल भी बहुत मंहगी है। पहले तो सौरभ अपने कोच की पिस्टल से प्रैक्टिस करता रहा लेकिन जब स्टेट लेवल की प्रतियोगिताएं जीतीं तो हमने किसी तरह पैसों का इंतजाम करके पौने दो लाख में उसके लिए पिस्टल खरीदी।"
शूटिंग एक मंहगा गेम है गोलियों से लेकर पिस्टल तक हर चीज मंहगी है। मेडल जीतना तो दूर एक किसान के बेटे के लिए तो इस खेल का हिस्सा बनना ही किसी सपने के सच होने जैसा ही है, पर सौरभ की मेहनत रंग लाई। सौरभ के चचेरे भाई अनुज बताते हैं, "सौरभ मेरठ से 55 किलोमीटर दूर बागपत जिले के बेनोली में बनी एक एकेडमी में शूटिंग सीखने जाता था। वहां से आकर अपने घर पर बने दो कमरों में उसने प्रैक्टिस रेंज बना रखी थी। वह यहीं अपनी प्रैक्टिस करता था।"
लेकिन सौरभ को जितना लगाव शूटिंग से है उतना ही खेती से भी। सौरभ के बड़े भाई नितिन बताते हैं, "प्रैक्टिस पूरी होने के बाद या किसी प्रतियोगिता के बाद जब सौरभ को समय मिलता तो हम लोगों के साथ खेती में हाथ बंटाने चल पड़ता।"
महज 16 बरस का सौरभ अपनी उम्र से कहीं ज्यादा गंभीर और एकाग्र दिखाई देता है। उसके बारे में यह भी पता चला कि सौरभ को अंग्रेजी समझने में दिक्कत होती थी लेकिन वह अपने अंग्रेज कोच के हाव-भाव पर नजर रखकर उनके निर्देश समझ लेता था। जब गेम की वजह से सौरभ की पढ़ाई प्रभावित होती थी तो उसके पिता जगमोहन सिंह को उसके भविष्य की चिंता होने लगती थी। लेकिन एशियन गेम्स में मिली कामयाबी के बाद सौरभ के गांव में खुशी का माहौल है, लोग मिठाइयां बांट रहे हैं और जगमोहन सिंह का सीना गर्व से फूला हुआ है, आखिर एक किसान के बेटे ने दूर देश में गोल्ड मेडल जो जीता है।
16-year old Saurabh Chaudhary illustrates the potential and prowess our youth is blessed with. This exceptional youngster brings home a Gold in the Men's 10m Air Pistol event at the @asiangames2018. Congratulations to him! #AsianGames2018 pic.twitter.com/FHmF6TM8tK
— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2018
The Shooting Stars of 🇮🇳 of Day 3 from #AsianGames2018 #IndiaAtAsianGames #SaurabhChaudhary #AbhishekVerma @asiangames2018 pic.twitter.com/xZ9ev8TMJn
— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) August 21, 2018
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