भारत के कुछ क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर, छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों में खतरा और बढ़ा

भारत में कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर की पुष्टि हो गई है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि कोरोना का कहर अब ग्रामीण भारत में देखने को ज्यादा मिल सकता है। अगर ग्रामीण भारत में कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
corona in india, corona virus in rural indiaदेश में दो दिन लगातार 90 हजारा से ज्यादा कोरोना के मामले आये हैं। संक्रमण के मामले में अब भारत बस अमेरिका से पीछे है। (फोटो साभार Aisanet)

भारत कोरोना संक्रमण के मामले में ब्राजील को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक संक्रमितों वाला दूसरा देश बन गया है। भारत अब बस अमेरिका से पीछे है। देश में COVID19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या अब 42,01914 हो गई है जिसमें 8,82,542 मामले सक्रिय हैं। इस बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है।

एनडीटीवी से बातचीत के दौरान डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, "अगले कुछ महीनों तक मामले ऐसे ही देखने को मिलेंगे। हम यह नहीं कह सकते कोरोना 2021 तक खत्म हो जायेगा, लेकिन हम यह जरूर कह सकते हैं कि मामले बढ़ने की बजाया स्थिर हो जायेंगे।"

मामले कम क्यों नहीं हो रहे हैं, इस पर डॉ गुलेरिया ने कहा, "कोरोना का संक्रमण पूरे देश में फैल चुका है। छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण फैल चुका है। हमारी जनसंख्या ज्यादा है इसलिए भी हमारे यहां ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, फिर भी प्रति 10 लाख पर मामले कम हैं।"

अपनी बात जारी रखते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि कई राज्यों में संक्रमण की लहर दोबारा दिख रही है। इसके लिए कई वजहें हैं। एक वजह है कि हमारी टेस्टिंग क्षमता में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत में 10 लाख से ज्यादा टेस्टिंग रोजाना हो रही है। जिन क्षेत्रों में टेस्टिंग ज्यादा हो रही है वहां पर ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं।"

दूसरे नंबर पर पहुंचा भारत, अब बस अमेरिका से पीछे

भारत अब कोरोना संक्रमण के मामलों में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के कुल 90,802 मामले सामने आए हैं जिसके बाद कोरोना के कुल मामले 42 लाख से ज्यादा हो गये हैं। ऐसा लगातार दूसरा दिन है जब देश में कोरोना के 90 हजार से ज्यादा मामले सामने आये हैं। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा अमेरिका में हैं। वहां संक्रमण के कुल मामले 62.75 लाख मामले हैं, जो भारत से कुछ 29 लाख ज्यादा हैं। वहीं ब्राज़ील में 41,37,521 केस हैं।

यह भी पढ़ें-संकट: 26,000 की आबादी पर एक डॉक्टर और 3,100 लोगों पर एक बेड वाला ग्रामीण भारत कोरोना से कैसे लड़ेगा?

हालांकि, सरकार का दावा है कि देश में वायरस से ठीक होने वाले मामलों की संख्या भी ठीक है। अब तक ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 32 लाख के पार हो गई है। पिछले 24 घंटे में ठीक हुए मरीजों की संख्या 69,564 है, वहीं अब तक ठीक होने वाली मरीजों की संख्या 32,50,429 हो गई है। रिकवरी रेट भी 77.30% है। कुल एक्टिव मरीजों की संख्या 20.98% यानी 8,82,542 है। डेथ रेट 1.70% पर चल रहा है।

ग्रामीण भारत में खतरा बढ़ा

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि देश में लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ग्रामीण भारत में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होने का डर है। ऐसा होगा तो रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त महीने में कोविड 19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की बार करें तो इनमें 26 जिले ग्रामीण क्षेत्रों के थे। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के ग्रामीण इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

देश में लगभग नौ लाख कोरोना के सक्रिय मामले हैं, जिनमें 62 फीसदी मामले पांच राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और तमिलनाडु में हैं।

इसी तरह कोरोना के कारण होने वाली कुल मौतों में 70 फीसदी पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली से आते हैं। इनमें केवल दो राज्यों कर्नाटक और दिल्ली में इसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है।

ग्रामीण भारत में संकट ज्यादा बड़ा क्यों?

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश की लगभग 69 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, लेकिन ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बहुत ठीक नहीं है। भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को और बेहतर भारत सरकार की ही रिपोर्ट नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 से समझा जा सकता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 21,403 सरकारी अस्पताल (प्राथमिक, सामुदायिक और उप-जिला / मंडल अस्पताल को मिलाकर) हैं जिनमें 2,65,275 बेड हैं, जबकि शहरों के 4,375 अस्पतालों में 4,48,711 बेड हैं। देश में तो वैसे हर 1,700 मरीजों पर एक बेड है लेकिन ग्रामीण भारत में इसकी स्थिति चिंताजनक है। ग्रामीण क्षेत्रों में 3,100 मरीजों पर एक बेड है। राज्यों की बात करें तो इस मामले में बिहार की स्थिति सबसे खराब है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसान बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 10 करोड़ आबादी रहती है जिनके लिए कुल 1,032 अस्पताल है जिनमें महज 5,510 बेड हैं। इस हिसाब से देखेंगे तो लगभग 18,000 ग्रामीणों के लिए एक बेड की व्यवस्था है।

यह भी पढ़ें- गांव कनेक्शन सर्वे : 40 फीसदी ग्रामीणों ने लॉकडाउन को बताया बहुत कठोर, 51 फीसदी बोले - बीमारी बढ़ने पर फिर हो तालाबंदी

राज्यों की बात करें तो इस मामले में बिहार की स्थिति सबसे खराब है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसान बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 10 करोड़ आबादी रहती है जिनके लिए कुल 1,032 अस्पताल है जिनमें महज 5,510 बेड हैं। इस हिसाब से देखेंगे तो लगभग 18,000 ग्रामीणों के लिए एक बेड की व्यवस्था है।

वहीं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 77 फीसदी (15 करोड़ से ज्यादा) आबादी गांवों में रहती है, जिनके लिए 4,442 अस्पताल और कुल 39,104 बेड हैं। लगभग 3,900 मरीज पर एक बेड की व्यवस्था है। तमिलनाडु इस मामले में सबसे अच्छी स्थिति में है जहां के ग्रामीण क्षेत्र में कुल 40,179 बेड हैं और कुल 690 सरकारी अस्पताल हैं। इस हिसाब से तमिलनाडु में हर बेड पर लगभग 800 मरीज हैं।


बेड के अलावा डॉक्टर्स की उपलब्धता भी ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स की मानें तो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 26,000 की आबादी पर महज एक एलोपैथिक डॉक्टर हैं जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) कहता है कि हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर होने चाहिए वहीं पूरे देश की बात करें तो देश में 10,000 की आबादी पर लगभग सात डॉक्टर हैं।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के यहां रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या लगभग 1.1 करोड़ है। कोरोना से लड़ रहे दूसरे देशों की बात करें तो चीन में प्रति 10 हजार की आबादी पर 17 से ज्यादा डॉक्टर हैं। 32 करोड़ की कुल आबादी वाले अमेरिका में प्रति 10 हजार लोगों पर 25 से ज्यादा और 6 करोड़ की कुल आबादी वाले इटली में प्रति 10 हजार पर लगभग 37 डॉक्टर हैं।

यह भी पढ़ें- पति की कोरोना से मौत के बाद एक महिला की निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य बीमा को लेकर लिखी पोस्ट लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही

राज्यों के हिसाब से डॉक्टरों की उपलब्धता के मामले में पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे खराब है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 881 डॉक्टर हैं जबकि यहां की लगभग 6.2 करोड़ आबादी गांवों में रहती है। मतलब लगभग 70,000 लोगों पर एक डॉक्टर है। झारखंड और बिहार की हालत भी खराब है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में 50,000 से ज्यादा की आबादी पर सिर्फ एक डॉक्टर है।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.