पशु खरीदने जा रहे हैं, तो जरा ठहरिये, कहीं आप ठगी के शिकार न हो जाएं

Diti BajpaiDiti Bajpai   8 Dec 2017 7:24 PM GMT

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पशु खरीदने जा रहे हैं, तो जरा ठहरिये, कहीं आप ठगी के शिकार न हो जाएंइस इंजेक्शन के लगाने के बाद दुधारू गाय से निकाले गये दूध की शुद्धता पर भी असर पड़ रहा है।

लखनऊ। ज्यादातर पशुपालक दूसरे राज्यों से महंगी कीमत पर दुधारू पशु तो खरीद लेते हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि दूध का उत्पादन उतना नहीं हो रहा जितना बिचौलिए या व्यापारी ने बताया था। ऐसे में पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी होता है।

फैजाबाद के सुहावाल ब्लॅाक के सिरखौल गाँव के राम सुंदर मौर्या ने छह महीने पहले एक साहीवाल गाय खरीदी। जिस बाजार से राम सुंदर ने गाय खरीदी थी उसका दावा था कि वो 20 लीटर दूध देती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राम सु्ंदर बताते हैं, " लखनऊ-फैजाबाद पर एक बाजार है, जहां से मैंने 60 हजार रुपए में गाय खरीदी थी पर वो गाय पंद्रह दिन में पांच लीटर ही दूध देने लगी। अब वो बिल्कुल दूध नहीं दे रही है।" राम सुंदर के पास पांच भैंसें और चार गाय है।

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यह समस्या राम सुंदर की ही नहीं बल्कि देश के कई पशुपालकों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए पशुपालक मंहगी दामों पर ज्यादा दूध देने वाली खरीदता है लेकिन बिचौलियों और व्यापारी की ठगी के चलते पशुपालकों को काफी नुकसान होता है।

"एक साल पहले मैंने एक भैंस खरीदी थी शुरू में जब लाए तो ठीक थी लेकिन उसके बाद वो बांझ हो गई। करीब हजारों रूपए का इलाज कराया तब जाकर वो दो तीन लीटर दूध दे रही है।" ऐसा बताते हैं, मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में रहने वाले राजेंद्र वर्मा। राजेंद्र पिछले कई वर्षों से डेयरी चला रहे है। फिर भी बिचौलियों की ठगी का शिकार हुए।

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अपने अनुभव के बारे में फैजाबाद के डेयरी संचालक राकेश दुबे बताते हैं, "ज्यादातर बाजारों में दुधारू पशुओं के थनों को बर्र छुआ देते है जिससे पशुपालक खरीद लेता है। बाजारों में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन का भी इस्तेमाल करते है जिससे जिस समय पशुपालक देख रहा होता है ज्यादा दूध दिखाता है।"

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दुधारू पशुओं को खरीदते समय किन-किन चीजों को ध्यान में रखना चाहिए इसके बारे में पशुचिकित्सक डॅा रुहेला बताते हैं, " अगर पशुपालक कुछ बातों को ध्यान में रखे तो वो सही पशु का चुनाव कर सकता है। जो पशुपालन कर रहा है वो शरीर की बनावट तो देख ही लेगा। लेकिन सबसे जरूरी है पशु की सेहत और उसकी वंशावली जिसको ध्यान देना बहुत जरूरी है।"

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इन बातों को रखें ध्यान

शारीरिक बनावट : अच्छे दुधारू पशु का शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है। उस के नथुने खुले हुए और जबड़े मजबूत होते हैं। उस की आंखें उभरी हुई, पूंछ लंबी और त्वचा चिकनी व पतली होती है। छाती का हिस्सा विकसित और पीठ चौड़ी होती है। दुधारू पशु की जांघ पतली और चौरस होती है और गर्दन पतली होती है। उस के चारों थन एकसमान लंबे, मोटे और बराबर दूरी पर होते हैं।

दूध उत्पादन कूवत : बाजार में दुधारू पशु की कीमत उस के दूध देने की कूवत के हिसाब से ही तय होती है, इसलिए उसे खरीदने से पहले 2-3 दिनों तक उसे खुद दुह कर देख लेना चाहिए. दुहते समय दूध की धार सीधी गिरनी चाहिए और दुहने के बाद थनों को सिकुड़ जाना चाहिए।

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आयु : आमतौर पर पशुओं की बच्चा पैदा करने की क्षमता 10-12 साल की आयु के बाद खत्म हो जाती है। तीसरा चौथा बच्चा होने तक पशुओं के दूध देने की कूवत चरम पर होती है, जो धीरे धीरे घटती जाती है। दूध का कारोबार करने के लिए 2-3 दांत वाले कम आयु के पशु खरीदना काफी फायदेमंद होता है। पशुओं की उम्र का पता उन के दांतों की बनावट और संख्या को देख कर चल जाता है। 2 साल की उम्र के पशु में ऊपर नीचे मिला कर सामने के 8 स्थायी और 8 अस्थायी दांत होते हैं। 5 साल की उम्र में ऊपर और नीचे मिला कर 16 स्थायी और 16 अस्थायी दांत होते हैं। 6 साल से ऊपर की आयु वाले पशु में 32 स्थायी और 20 अस्थायी दांत होते हैं।

वंशावली : पशुओं की वंशावली का पता लगने से उन की नस्ल और दूध उत्पादन कूवत की सही परख हो सकती है। हमारे देश में पशुओं की वंशावली का रिकार्ड रखने का चलन नहीं है, पर बढि़या डेरी फार्म से पशु खरीदने पर उस की वंशावली का पता चल सकता है।

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प्रजनन : सही दुधारू गाय या भैंस वही होती है, जो हर साल 1 बच्चा देती है। इसलिए पशु खरीदते समय उस का प्रजनन रिकार्ड जान लेना जरूरी है। प्रजनन रिकार्ड ठीक नहीं होने, बीमार और कमजोर होने से पाल नहीं खाने, गर्भपात होने, स्वस्थ बच्चा नहीं जनने, प्रसव में दिक्कतें होने जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं।

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