महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर मार्च तक हर दिन 7 किसानों ने की खुदकुशी

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में विधानसभा में जानकारी दी थी कि अकेले सितंबर में ही राज्य में 235 किसानों ने मौत को गले लगा लिया था, राहत और पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने एक सवाल के जवाब में जवाब दिया कि विदर्भ क्षेत्र के छह जिलों में 15,629 किसानों ने जनवरी 2001 से अक्टूबर 2018 के बीच खुदकुशी की

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महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर मार्च तक हर दिन 7 किसानों ने की खुदकुशीप्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

लखनऊ। किसानों की खुदकुशी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। महाराष्ट्र में जनवरी 2019 से लेकर मार्च के बीच 610 किसानों ने खुदकुशी की है। इस हिसाब से रोजाना सात किसानों ने खुदकुशी की है। मौत के ये आंकड़े महाराष्ट्र सरकार और उनके अधिकारियों द्वारा पेश किए उस रिपोर्ट को झुठलाती है जो ये कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी करने में कमी आई है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि इस राज्य के कई हिस्सों गंभीर सूखे की समस्या है। हर रोज यह बद से बदतर होती जा रही है।

मिरर नाउ के अनुसार एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है। आरटीआई के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने यह जानकारी दी है, जिसमें बताया गया है कि वर्ष 2019 में जनवरी से लेकर मार्च तक अमरावती में 227 किसान, औरंगाबाद में 198, नासिक में 119, नागपुर में 38 और पुणे में 29 किसानों ने खुदकुशी की है। मराठवाड़ा, यावतमाल और उसके आस-पास के इलाकों में स्थिति लगातार खराब हो रही है। इन इलाकों में सूखे ने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं से निपटने में असफल रहने को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता अभिषेक मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस कह चुके हैं कि एक किसान की मौत भी चिंता का विषय है। साथ ही मिश्रा ने कहा कि हमारी पार्टी की सरकार ने 34 जिलों में 'जलयुक्त शीवर अभियान' चलाया है। इसके तहत किसान पानी को स्टोर कर सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 'छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना' के तहत 24,000 करोड़ रुपए किसानों की कर्जमाफी के लिए दिए हैं। हालांकि सीनियर पत्रकार गिरिश कुबेर ने कहा कि 'जलयुक्त शीवर अभियान' फेल हो गया है क्योंकि यह पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है। यह स्कीम पेपर पर बहुत अच्छा है।


महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में विधानसभा में जानकारी दी थी कि अकेले सितंबर में ही राज्य में 235 किसानों ने मौत को गले लगा लिया था। राहत और पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने एक सवाल के जवाब में जवाब दिया कि विदर्भ क्षेत्र के छह जिलों में 15,629 किसानों ने जनवरी 2001 से अक्टूबर 2018 के बीच खुदकुशी की।

इनमें से 7008 किसान वित्तीय मुआवजे के हकदार थे और उनके परिजनों को बतौर वित्तीय सहायता हरेक को एक लाख रुपया दिया गया है। इसमें से 215 मामलों की जांच अभी लंबित है।


   

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