सेक्स वर्कर : घुटन भरे पेशे से निकलना क्यों नहीं चाहती लाखों लड़कियां ?

Neetu SinghNeetu Singh   10 Dec 2018 1:21 PM GMT

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सेक्स वर्कर : घुटन भरे पेशे से निकलना क्यों नहीं चाहती लाखों लड़कियां ?

सीरीज का पहला भाग: 'मैं एक सेक्स वर्कर हूं, ये बात सिर्फ अपनी बेटी को बताई है ताकि...'

नई दिल्ली। सेक्स वर्कर्स की सेहत और सुरक्षा को लेकर देश में कई संगठन काम कर रहे हैं। इनमें से कई संगठन इस पेशे को कानून के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि या तो सरकार इसे अपराध की श्रेणी से बाहर निकाले या फिर इन पेशे में जुड़ी लड़कियों को रोजगार के दूसरे विकल्प दिए जाएं।

"अब ज्यादातर सेक्स वर्कर मजबूरी में इस पेशे में आती हैं, लेकिन होती उनकी मर्जी है। इसलिए उनके काम को पेशे का दर्जा दिया जाए। हमारे संगठन में जितनी महिलाएं जुड़ी हैं, उनमें कई शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हो चुकी हैं, जब वो ऐसे शोषण का शिकार हो चुकी हैं तो अपने मन से काम क्यों नहीं कर सकती हैं।" सेक्स वर्कर राइट एक्टिविस्ट कुसुम कहती हैं।

दिल्ली में कांफ्रेंस में हुई शामिल

कुसुम ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन से जुड़ी हैं। इस संगठन में देश के 16 राज्यों की 2 लाख महिलाएं शामिल बताई जाती हैं। संगठन में विभिन्न इलाकों, जाति-धर्म और संप्रदाय से जुड़े कम्यूनिटी बेस्ड 90 से ज्यादा संगठन शामिल हैं। कुसुम 20 से 24 नवंबर को दिल्ली में महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन क्रिया द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में शामिल होने पहुंची थीं। इस कॉन्फ्रेंस का नाम था, नारीवादी नेतृत्व, आंदोलन निर्माण और अधिकार प्रशिक्षण।

कुसुम बताती हैं, "यहां आने के बाद कई महिलाएं इसे गलत नहीं मानती हैं, अगर सरकार इसे गलत मानती है तो उसे चाहिए इऩ लोगों को कहीं नौकरी या फिर दूसरे रोजगार दिए जाएं।"

इसे गलत काम मानते हैं

कुसुम बताती हैं, "इस संगठन में शामिल ज्यादातरों में कोई घर की मजबूरी, बच्चों का पेट पालने, या फिर पति बच्चों की बीमारी के चलते ये काम शुरू करती हैं, लेकिन वो जिनके लिए ये काम करती हैं, वहीं पता चलने पर उन्हें नहीं अपनाते, क्योंकि इसे गलत काम माना जाता है। लोग सीधे बदचलन समझते हैं। लेकिन यहां आने के बाद कई महिलाएं इसे गलत नहीं मानती हैं, अगर सरकार इसे गलत मानती है तो उसे चाहिए इऩ लोगों को कहीं नौकरी या फिर दूसरे रोजगार दिए जाएं।"

हमारे काम को कानूनी पेशे का दर्जा मिलना चाहिए

सेक्स वर्कर संगठन की कोशिश है कि किसी तरह सेक्स वर्कर को लेकर लोगों का नजरिया बदले। कुसुम कहती हैं, "हमारे काम को कानूनी पेशे का दर्जा मिलना चाहिए। मजदूर का दर्जा मिले, और अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए।"

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ये पेशा कितना घुटन भरा है

कुसुम- जिस्म फरोशी के पेशे से जुड़ी महिलाओं की बेहतरी के लिए लगातार आवाज उठा रही है।

ये पेशा कितना घुटन भरा है, कुसुम की बातों से समझा जा सकता है। "एक बार इस पेशे में आ गए तो निकलना मुश्किल होता है। हर जगह मुश्किल है। पहला ग्राहक खोजना मुश्किल होता है। अगर इसे ग्रुप से जुड़ गए तो हमें सिर्फ 30-40 फीसदी ही पैसा मिलता है।" वो आगे बताती हैं, "ज्यादातर लड़कियों ने मुझे बताया है कि ज्यादातर ग्राहक नहीं चाहते गर्भनिरोधक चीजों का इस्तेमाल किया जाए, लड़कियां मना भी करती हैं, लेकिन वो नहीं मानते तो कई बार मजबूरी में करना होता, क्योंकि वो इसके अलग पैसे देते हैं।"

ज्यादातर शारीरिक समस्याओं में फंस जाती हैं

ग्राहकों की मांग पर जो लड़कियां राजी हो जाती हैं। उनमें से ज्यादातर शारीरिक समस्याओं में फंस जाती हैं। सुमन कहती हैं, " अगर हम चेकअप के लिए हॉस्पिटल गए और एड्स पॉजिटिव पाया गया तो अस्पताल वाले बुरा सलूक करते हैं। घर वाले घर से निकाल देते हैं, अगर कोई नौकरी पेशा है तो उसका दफ्तर नौकरी से निकाल देता है।"

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मारपीट कर भगा भी देते हैं

कुसुम बताती हैं, "देखिए ये बात किसी से छिपी नहीं है कि इस क्षेत्र में लाखों लड़कियां हैं, लेकिन अगर वो अलग-अलग रहती हैं तो बड़ी दिक्कतें होती हैं। बुक करके ले गए तो पैसे नहीं देते। अपने लिए बुक करते हैं और फिर कई लोगों को बुला लेते हैं, क्योंकि ये काम गलत समझा जाता है। इसलिए पुलिस आदि का भी डर रहता है, इसका ग्राहक भी फायदा उठाते हैं। मारपीट कर भगा भी देते हैं।"

क्योंकि ये पुलिस की नजरों में गलत है

पिछले कई वर्षों से सेक्स वर्कर का काम कर रही इसी संगठन से जुड़ी एक युवती ने बताया, " अगर हम दलाल के जरिए जाते हैं और अगर एक रात के 5 हजार रुपए लिए गए हैं तो मुझे 1000 से 2000 ही मिलते हैं। वो हमेशा पुलिस का डर दिखाते हैं। हमसे कहा जाता है, अगर अपने मन से गई तो पता नहीं जिंदा आओगी भी या नहीं। क्योंकि ये पुलिस की नजरों में गलत है।"

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फिर गलत हम ही क्यों हैं?

अपने समर्थन में वो युवती कहती हैं, "अगर अपनी मर्जी से कोई ये काम करना चाहे तो किसी को क्या दिक्कत है। और जो लोग सबके सामने इसका मजाक उठाते हैं, उनमें से तमाम लोग हमारे ग्राहक हैं। इतने रिटायर्ड अधिकारी, नेता सब तो आते हैं। फिर गलत हम ही क्यों हैं?"

तीन हिस्सों में बंटा है कारोबार

इस संगठन के मुताबिक, ये कारोबार तीन हिस्सों में बंटा है। पहला है- ब्रोथल वर्कर जैसे जीबी रोड, (चिन्हिंत जगह) दूसरा-होम बेस्ड जो महिलाएं घर में रहती हैं और अपने ग्राहक खुद तय करती हैं। तीसरे हैं स्ट्रीट बेस्ड और ब्रोकर ब्रेस्ड- जो दलालों के सहारे काम करती हैं। कुसुम का संगठन इऩ्हीं लोगों की आवाज उठाता है।

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