जब तक आप ये खबर पढ़ कर खत्म करेंगे, भारत में एक और बच्ची का बलात्कार हो चुका होगा

निर्भया के दोषियों को आखिरकार फांसी हो गई। सात साल के लंबे इंतजार के बाद बलात्कार के चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 मिनट पर दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। यह मामला घटना के समय से ही सुर्खियों में रहा, लेकिन बलात्कार के कई मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें पीड़िता को इंसाफ नहीं मिल पाता, कई बार तो मामले को दबा भी दिया जाता है। पढ़िए इस पर गांव कनेक्शन की अवार्ड विनिंग सीरीज रक्तरंजित की सभी खबरें।

Diti BajpaiDiti Bajpai   6 Dec 2019 6:16 AM GMT

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जब तक आप ये खबर पढ़ कर खत्म करेंगे, भारत में एक और बच्ची का बलात्कार हो चुका होगाफोटो: अभिषेक वर्मा।

नाबालिगों से यौन शोषण के मामले अचानक सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन किसी भ्रम में मत रहिएगा। खेतों में, स्कूल के रास्ते में, शौच के लिए जाते वक़्त बलात्कार ग्रामीण महिलाओं की रोज़मर्रा की सच्चाई है और ऐसे मामले बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जो सुर्खियाँ और हैशटैग नहीं बन सके, ऐसे मामलों पर ध्यान लाने के लिए गाँव कनेक्शन शुरू कर रहा है एक विशेष सीरीज.. हमें ऐसे मामलों के बारे में बताइये, हम पीड़िताओं को न्याय दिलाने का भरसक प्रयास करेंगे।

लखनऊ। जब तक आप ये खबर पढ़ कर ख़त्म करेंगे, भारत में एक और बच्ची के साथ बलात्कार हो चुका होगा।

जम्मू-कश्मीर के कठुआ क्षेत्र में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार व हत्या के बाद उठे क्रोध के राष्ट्रीय ज्वार के बाद ऐसे कई मामले ख़बरों में आये हैं, लेकिन नाबालिग बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटनाएं अचानक नहीं बढ़ी हैं। दो अलग-अलग राष्ट्रीय सर्वे कहते हैं कि पिछले दस वर्षों में भारत में बच्चियों के विरुद्ध यौन शोषण के मामले 500% बढे हैं और सारे यौन शोषण अपराधों में 52% बच्चों के विरुद्ध होते हैं।

यौन शोषण गाँवों में नाबालिग लड़कियों की एक ऐसी सच्चाई, एक ऐसा राज़ है जो अक्सर घर में, या परिवार में, या खानदान में, या थानों में, या पंचायती बीच बचाव में दबा दी जाती है।

#रक्तरंजित : मंदसौर से लेकर कठुआ तक कई दर्दनाक ख़बरें सुर्खियां बनती हैं... आरोपियों को सजा देने की मांग करते हुए भीड़ भी सड़क पर उतरती है लेकिन ऐसे हादसों पर लगाम नहीं ला पा रही..

अधिकतर बलात्कारी शान से उसी गाँव में घूमते हैं जहाँ उन्होंने अपराध किया, और यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं को शर्म और तिरस्कार सहना पड़ता है।

"घर से अकेले निकलने में मुझे बहुत डर लगता है। कहीं वो फिर से खेत में न ले जाए," सोनी (बदला हुआ नाम), जो उत्तर प्रदेश के बबुर्दीपुर गाँव में रहती हैं, धीमी आवाज में कहती हैं। आठ अप्रैल 2018 की शाम को सोनी जब शौच के लिए जा रही थी तभी उसके गाँव में रहने वाले सूरज (21 वर्ष) ने तथाकथित तौर पर उसका बलात्कार किया, लेकिन आपसी बातचीत के बाद मामला रफा दफा हो गया और सोनी को अपने ही परिवार की प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

उस दिन मुझे बहुत मारा गया

"उस दिन घर में भी मुझे बहुत मारा गया था। मैं एक हफ्ते बिस्तर से नहीं उठ पाई," गाँव के बाहर बातचीत में सोनी ने बताया, लेकिन उसकी माँ ने आकर गाँव कनेक्शन रिपोर्टर से बातचीत बीच में ही रोक दी।

महिलाओं की संस्था महिला समाख्या की सीतापुर जिले की अध्यक्षा नीबू कली बताती हैं, "बदनामी के डर से और दवाब में आकर उसके ही मां- बाप ने सुलह समझौता कर लिया। आज वो लड़का दुष्कर्म करने के बाद पूरे गाँव में शान से घूम रहा है।"

बच्चे के सुरक्षा के भी प्रावधान

वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए "निर्भया" बलात्कार और हत्याकांड के बाद भारत में यौन हिंसा पर कानून कड़े किये गए और पॉक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012) क़ानून लाया गया। इस कानून के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में ज़मानत नहीं मिलती और पीड़ित बच्ची अथवा बच्चे की सुरक्षा के भी प्रावधान हैं।

"कानून ... बहुत ही बेहतरीन है पर उसका ठीक प्रकार से कार्यान्वयन नहीं है। चाहे पुलिस हो, वकील हो या फिर न्यायिक प्रक्रिया, वो सब अपना रोल नहीं निभा रहे है।" महिलाओं को कानूनी अधिकार दिलाने वाली संस्था "आली" की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अगर पीड़िता ने एफआरआई में देरी की है तो पीड़िता को गलत ठहरा दिया जाता है।"

पुलिस के लिए अच्छी उपलब्धि है

अधिकारी कहते हैं कि बढ़ते हुए अपराधों की संख्या का कारण अधिक जागरूकता और मामलों का दर्ज होना भी है। "पहले बहुत सारे मामले ऐसे थे, जिनमें नाबलिग बच्चियों के साथ घटनाएं होती थी, लेकिन लोक लाज की वजह से लोग सामने नहीं आते थे। लेकिन अब ऐसे मामले दर्ज हो रहे है तो जो रजिस्ट्रेशन ऑफ क्राइम है उसमें काफी सुधार हुआ है।" सीतापुर जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी ने गाँव कनेक्शन को बताया, "पुलिस के लिए एक अच्छी उपलब्धि है। मामले दर्ज होने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है।"

उन्होंने कहा, "80 प्रतिशत तक मामलों में बलात्कार किसी परिचित के द्वारा ही होता है, लेकिन उन्होंने माना कि न्यायिक प्रक्रिया पीड़ितों के लिए अक्सर लम्बी होती है। हम लोग तत्काल एफआईआर तो दर्ज कर लेते हैं, लेकिन बयान और मेडिकल कराने में काफी समय लगता है और अगर मैं अपने अनुभव की बात कहूं तो लगभग 1 साल के बाद मुकदमा ट्रायल पर आता है।"

सीरीज की सभी खबरें यहां पढ़ें-

पार्ट 2- रक्तरंजित : परिवार अक्सर खुद ही दबाते हैं बलात्कार के मामले
पार्ट 3- रक्तरंजित : 14 साल की बच्ची , जो बलात्कार के बाद अब 5 महीने के बच्चे की मां है
पार्ट 4- रक्तरंजित भाग-4 'मेरा बलात्कार कभी भी हो सकता है'
पार्ट 5- इंटरनेट की घटती कीमतों के कारण गाँव में बढ़ रहे बलात्कार: रक्तरंजित भाग 5
पार्ट 6- रक्तरंजित : परिवार अक्सर खुद ही दबाते हैं बलात्कार के मामले
पार्ट 7- रक्तरंजित पार्ट- 7: बलात्कार रोकने के लिए सिर्फ कड़े कानून काफी नहीं, जल्द कार्रवाई जरुरी

  

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