शोपियां एनकाउंटर में शहीद हुए कर्णवीर सिंह राजपूत के पिता ने कहा: '12 दिन में आने का वादा किया था लेकिन वो न आया, खबर आ गई'
शोपियां एनकाउंटर में मध्यप्रदेश के सतना जिले के सिपाही कर्णवीर सिंह राजपूत शहीद हो गए। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता ने कहा-12 दिन बाद आने का वादा किया था मुझे क्या मालूम की वो नहीं आएगा उसकी खबर आएगी।
Sachin Tulsa tripathi 21 Oct 2021 7:24 AM GMT
सतना (मध्य प्रदेश)। यूपी के शाहजहांपुर के शहीद सिपाही सरज सिंह की राख भी ठंडी नहीं हुई थी कि 10वें दिन शाहजहांपुर से लगभग 467 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश के सतना जिले के सिपाही कर्णवीर सिंह के वतन पर मर मिटने की खबर आ गई। खबर के बाद उनके सतना नगर के उतैली स्थित घर में मातम छा गया। 25 साल के कर्णवीर सिंह के माता-पिता तो रो ही रहे थे पड़ोसी और मित्रों का भी बुरा हाल था। सिपाही कर्णवीर सिंह 20 अक्टूबर को शोपियां एनकाउंटर में दुश्मन की गोली का शिकार हो गए थे।
पिता रवि कुमार सिंह की आंखों में आंसू तो थे लेकिन जुबां यह कहते नहीं थक रही थी कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है। अब मैं सीना चौड़ा कर जी सकूंगा। रवि कुमार सिंह भी सूबेदार मेजर से 2017 में रिटायर हुए हैं।
"मुझ से कल सुबह (19 अक्टूबर को) ही फोन पर बात हो रही थी। बोला था कि 12 दिन बाद छुट्टी लेकर आएगा और फिर मेरा इलाज कराएगा लेकिन वो ना आ पाया इससे पहले उसकी खबर आ गई।"
20 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर के शोपियां एनकाउंटर में मध्यप्रदेश के सतना ज़िला में आने गांव देवमऊ-दलदल निवासी कर्णवीर सिंह (25 वर्ष) शहीद हो गए। पिता के मुताबिक कर्णवीर 4 साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे।
"साल 2017 में सेना में भर्ती हुआ था। 21 राजपूत रेजिमेंट कर्णवीर की पेरेंट्स यूनिट थी। हाल ही में 44 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) श्रीनगर में डिप्लॉय किये गए थे। आज ही (20 अक्टूबर) सुबह 8 बजे आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान कर्णवीर के हेड में इंजरी थी अन्य दो साथी भी घायल हो गए लेकिन कर्णवीर की ऑन द स्पॉट डेथ हो गई।" पिता रवि कुमार सिंह ने आगे जोड़ा। मां मिथिलेश सिंह का रो-रो कर बुरा हाल था। वह कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं थीं। छाती पीटकर यह कह रहीं थी कि मैंने अपना हीरा खो दिया।
सैनिक स्कूल में की थी पढ़ाई
प्रारंभिक शिक्षा के बारे में सिपाही कर्णवीर सिंह के मौसी के बेटे उत्तम सिंह ने फोन पर 'गांव कनेक्शन' को बताया, "कक्षा आठवीं से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई हटिया गांव में मौसी के यहां रह कर की। हटिया गांव सतना ज़िला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।"
पिता ने बताया कि आगे की पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल और महू के सैनिक स्कूल में हुई। महू से ही उनका चयन सेना में हो गया।
भाई ने कहा-हमेशा देश सेवा के लिए प्रेरित करते थे
कर्णवीर हमेशा अपने छोटे भाइयों (बुआ, मामा और चाचा के बच्चे) को आर्मी की कहानियां सुनाते थे। वह उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित भी करते थे।
चचेरे भाई नितिन सिंह ने 'गांव कनेक्शन' से कहा, "हमारे भैया हमेशा आर्मी के बारे में बताते थे। आर्मी में ऐसा होता है...आर्मी में वैसा होता है। कभी बॉर्डर की कहानी तो कभी किसी युद्ध की वीरगाथा सुनाते रहते थे। और यह कहते थे कि देश सेवा के लिए तैयारी करो।"
वीर जवान श्री कर्णवीर सिंह राजपूत जी चले गये, लेकिन हमारी स्मृतियों में हमेशा अमर रहेंगे। हम उनको वापस नहीं ला सकते हैं, लेकिन उनका परिवार अकेला नहीं है। उनके परिवार के साथ सम्पूर्ण देश और मध्यप्रदेश खड़ा है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) October 20, 2021
पिता भी आर्मी में ही रहे
सिपाही कर्णवीर अपने माता पिता की छोटी संतान थे उनसे बड़े एक भाई शक्ति सिंह हैं। कर्णवीर सिंह की चाची सविता सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, "अभी उनसे (कर्णवीर) बात चल रही थी कि वह कब आएंगे पिता जी का इलाज कराना है। पिता (रवि कुमार) पिछले दिनों बीमार हो गए थे। उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा था। वह भी आर्मी से रिटायर्ड हैं।"
#jammu kashmir #Terrorist attack #madhya pradesh #story
More Stories