आलू प्याज के बाद महंगा बिक रहा अंडा, आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकती है कीमत

आलू प्याज के बाद अंडा भी महंगा बिक रहा है, विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में अभी अंडे के दाम और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं। उत्पादन घटने और मांग बढ़ने से कीमतें बढ़ गईं हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   3 Nov 2020 11:03 AM GMT

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आलू प्याज के बाद महंगा बिक रहा अंडा, आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकती है कीमत

आलू, प्याज के बाद अंडे की कीमतें बढ़ गईं हैं, वैसे तो हर साल सर्दी की शुरुआत में अक्टूबर-नवंबर से अंडे के दाम बढ़ने लगते थे, लेकिन इस बार अंडे का दाम कुछ ज्यादा बढ़ गया और आगे दिसंबर-जनवरी में मांग बढ़ने के साथ ही कीमतें और बढ़ सकती हैं।

मार्च-अप्रैल में कोरोना के शुरूआत के साथ सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलने लगीं कि अंडा और चिकन खाने से भी कोरोना हो सकता है, लोगों के इस डर ने पोल्ट्री इंडस्ट्री पर गहरा असर डाला, नतीजन देश भर में बहुत से पोल्ट्री फार्म बंद हो गए।

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरूआत में फरवरी, 2020 में अंडे की कीमत फरवरी, 2019 के मुकाबले लगभग 15-20 फीसदी कम हो गई थी। अहमदाबाद में अंडों की कीमत फरवरी 2019 के मुकाबले 14 फीसदी कम हो गई, जबकि मुंबई में 13 फीसदी, चेन्नई में 12 फीसदी और वारंगल (आंध्र प्रदेश) में 16 फीसदी कम दाम में अंडे की बिक्री हुई, फरवरी के बाद रेट और कम होता गया।


देश में सबसे अधिक अंडा उत्पादन करने वाले राज्य आंध्र प्रदेश में भी लॉकडाउन और कोरोना के अफवाहों के चलते बहुत सारे पोल्ट्री फार्म बंद हो गए। आंध्र प्रदेश के माचिरेदडिगरिपल्ले (Machireddigaripalle) में राजशेखर पोल्ट्री फार्म चलाने वाले राजशेखर नायडू भी उन पोल्ट्री व्यवसायियों में से एक हैं, जिन्हें काफी नुकसान हुआ।

राजशेखर नायडू गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारे 20 हजार मुर्गियों का फार्म है, इस साल फरवरी के बाद से नुकसान शुरु हुआ जो अभी तक चल रहा है। पहले साल ब्रायलर में साल में छह बैच (बार) पालते थे, इस बार एक ही चल पाया है। कोरोना की वजह से पहले सस्ते में ब्रायलर और लेयर मुर्गे-मुर्गियों को बेचना पड़ा। जिस कंपनी से दवाई आती थी, वो भी नहीं ले पाए, जिसकी वजह बीमारी से भी बहुत सी मुर्गियां मर गईं। इसलिए प्रोडक्शन बहुत कम हो गया है।"

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख अंडा उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश (19.1 %), तमिलानाडू (18.2 %) तेलंगाना (13.2 %) , पश्चिम बंगाल (8.3 %) , हरियाणा (5.2 %) प्रमुख राज्य हैं। इसके पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आते हैं।


मार्च 2020 में जहां अंडों की कीमतें कम हुई थी, इस समय कम प्रोडक्शन और ज्यादा मांग की वजह से महंगा हो गया। नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NECC) के अनुसार इस बार नवंबर 2020 में अंडे का औसत रेट अहमदाबाद में 525.00 रुपए प्रति कैरेट, हैदराबाद में 470.00, लखनऊ में 570.00, दिल्ली में 520.33 रुपए हो गई है, जबकि नवंबर, 2019 में यही कीमत प्रति कैरेट अहमदाबाद में 458.40 रुपए प्रति कैरेट, हैदराबाद में 409.27, लखनऊ में 475.73, दिल्ली में 444.30 थी।

उत्तर प्रदेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं, "पोल्ट्री व्यवसाय पहले से ही घाटे में चल रहा था और फिर कोरोना वायरस की वजह से पूरी तरह से बर्बाद हो गया। पहले लोगों को बाजार ने मिल पाने की वजह से सस्ते में बेचना पड़ा, कितने पोल्ट्री फार्म बंद हो गए। ब्रायलर और लेयर दोनों के साथ ही यही हुआ। अब जब पोल्ट्री फार्म ही नहीं बचे तो प्रोडक्शन कहां से होगा।"


वो आगे बताते हैं, "मान के चलिए सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में 40 फीसदी पोल्ट्री बंद हो गए, अब जब प्रोडक्शन ही नहीं हो और सर्दियों में मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो रेट तो बढ़ेगा ही। अभी आने वाले दिनों में और भी ज्यादा रेट बढ़ेगा। अंडे का रेट पहले ही बढ़ गया होता, लेकिन बहुत से कारोबारियों ने लॉकडाउन के दौरान अंडा खरीदकर कोल्ड स्टोरेज में रख दिया था, जिसकी वजह से अभी तक वही अंडा मार्केट में आ रहा था।"

देश में कई कंपनियां किसानों से ठेके पर ब्रायलर और लेयर पालन करवाती हैं। इस काम में जगह, स्ट्रक्चर और देखरेख किसान की होती है, वहीं चूजा, फीड और दवा की लागत कंपनियां उठाती हैं। बदलते में किसान को तैयार चूजे पर प्रति किलो के हिसाब से कमीशन मिलता है।

हरियाणा के हिसार और जींद जिले में पोल्ट्री का बड़ा कारोबार होता है। यहां से देश के 7 राज्यों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में अंडा सप्लाई किया जाता है, अब जब उत्पादन कम हो रहा तो सप्लाई भी कम हो रही है।

पोल्ट्री किसानों के साथ इस व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियों को भी नुकसान हुआ है। हरियाणा के जिंद में चूजों को सप्लाई करने वाली कंपनी सनराइज हैचरी के अमित बताते हैं, "पिछले कुछ महीनों में कंपनियों को भी बहुत नुकसान हुआ है। अब पोल्ट्री फार्मर्स के पास पैसे ही नहीं हैं तो फिर से फार्म कैसे शुरू करेंगे। बहुत सारे फार्म बंद हो गए हैं, अभी चूजों की मांग थोड़ी बढ़ी है, लेकिन पहले के जितनी अभी भी नहीं हुई है।"


ज्यादा पोल्ट्री फार्मर ने या तो दूसरा व्यवसाय शुरू कर दिया, जो अभी चला भी रहे हैं तो बहुत कम मात्रा में। लॉकडाउन के बाद से बहुत से लोगों को मुर्गियों को खिलाने के लिए कर्ज तक लेना पड़ा रहा है। उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के तेरा गाँव में दस हजार लेयर मुर्गियों का फार्म चलाने वाले बलराम सिंह ने जून महीने में अनाज बेचकर और कर्ज लेकर मुर्गियों को किसी तरह से पाल रहे थे। आज जिस अंडे का दाम पांच से आठ रुपए हो गया है, वही अंडा उन्होंने डेढ़ से ढाई रुपए बेचा।

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NECC)के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजीत सिंह कहते हैं, "दाम बढ़ने के का एक ही कारण है, पोल्ट्री फार्म बंद होना। किसान मार्च-अप्रैल में नए चूजे लेकर आते हैं, जिससे अक्टूबर-नवंबर के नया प्रोडक्शन शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार फार्मर्स के पैसे ही नहीं थे कि वो फिर पोल्ट्री शुरू कर पाते। बहुत से फार्म में तो मुर्गियों को जमीन में दफना दिया गया। ऐसे में जाहिर सी बात है अगर पॉपूलेशन कम हुई है तो अंडों का प्रोडक्शन भी कम ही होगा। नंवबर से फरवरी तक अभी दाम और भी ज्यादा बढ़ेगा। इससे दोनों उपभोक्ता को भी परेशानी होगी, जबकि पोल्ट्री फार्मर पहले से ही नुकसान उठा रहे हैं।"

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