तारीख़ पर तारीख़ : 2018 में भी पुराने मुकदमे निपटने की उम्मीद कम

Arvind ShuklaArvind Shukla   13 Jan 2018 12:11 PM GMT

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तारीख़ पर तारीख़ : 2018 में भी पुराने मुकदमे निपटने की उम्मीद कमप्रतीकात्मक तस्वीर 

देश के उच्चतम न्यायाल में न्यायाधीशों के 31 पद हैं। यहां 27 न्यायाधीश अभी हैं और 4 पद खाली हैं। इस साल यानि 2018 में इसमें से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित 7 जज रिटायर हो जाएंगे। यानि सुप्रीम कोर्ट में इस साल 13 जजों की कमी हो जाएगी।

किसी की घर पर कोई कब्ज़ा कर ले, किसी की बेटी का बलात्कार हो जाए, किसी के परिजन की हत्या हो जाए, लोगों को एक भरोसा होता है कि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलेगा, इनमें से किसी को न्याय मिलता है तो किसी की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। जिन्हें न्याय मिलता भी है, उन्हें भी कई साल लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण देश में न्यायाधीशों की कमी। 'दामिनी' फिल्म में सनी देओल का अदालत में बोला गया डायलॉग 'तारीख पर तारीख' आज भले ही लोग मज़ाक में इस्तेमाल करते हों लेकिन अदालतों के चक्कर लगाने वाले लोगों के लिए यही उनकी ज़िंदगी की हक़ीकत है।

ऐसा कहा जाता है कि नया साल लोगों को नई उम्मीदें देता है, लेकिन लग ऐसा रहा है कि वर्षों से न्याय का इंतज़ार कर रहे लोगों के लिए ये साल भी कुछ खास नहीं होगा। भारतीय न्यायपालिका की वार्षिक रिपोर्ट 2015 - 2016 के मुताबिक, न्याय व्यस्था की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए अगले तीन वर्षों में देश को 15,000 न्यायाधीशों की ज़रूरत और है। रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में जिला न्यायालय 1 जुलाई, 2015 से 30 जून, 2016 के बीच की अवधि में 2,81,25,066 नागरिक और आपराधिक मामले पेंडिंग थे लेकिन इस दौरान 1,89,04,222 मामलों की बड़ी संख्या का निपटान भी किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 तक सुप्रीम कोर्ट में 84 हज़ार मामले लंबित थे। इसके अलावा हाईकोर्ट में 38 लाख मामलों का निपटान होना था।

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ज़िला न्यायायलयों में जजों की कम संख्या के मामले में गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश का हाल सबसे बुरा है। गुजरात में 794, बिहार में 792 और यूपी में 624 जजों की कमी थी। जबकि गुजरात की निचली अदालतों में 1953, बिहार में 1825 और यूपी में 2394 जजों के पद हैं और यहां क्रमश : 1159, 1033 और 1770 जजों के पद ही भरे हैं। दिल्ली का हाल भी बुरा है। वहां 793 पदों में से 486 पदों पर ही जज काम कर रहे हैं और 307 पद खाली हैं।

लंबित मामलों की बात करें तो यूपी में 58.8 लाख मामले पेंडिंग हैं जिनमें से 43.73 लाख आपराधिक मामले हैं। महाराष्ट्र में 31.8 लाख मामले पेंडिंग हैं जिनमें से 20.39 लाख आपराधिक मामले हैं। पश्चिम बंगाल में 26.95 लाख, बिहार में 20.88 लाख , गुजरात में 20.56 लाख और दिल्ली में 5.98 लाख मामलों में फैसला नहीं हुआ है।

हालांकि हाल ही में ज़ारी विधि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक,वर्ष 2011 की जनगणना और उच्चतम न्यायालय, 24 उच्च न्यायालयों एवं अनेक अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता के आधार पर देश में प्रति 10 लाख लोगों पर 19.66 न्यायाधीश है। सार्वजनिक किए गए मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक वर्ष 2014 में यह अनुपात प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 17.48 न्यायाधीश का था। 1987 में लॉ कमीशन ने प्रति 10 लाख की आबादी पर जजों की संख्या 50 करने की अनुशंसा की थी, लेकिन 30 साल बाद भी लॉ कमीशन की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है।

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मंत्रालय में न्याय विभाग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में 31 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं जबकि 25 न्यायाधीशों के जरिए शीर्ष अदालत में कामकाज होता है। देश भर के 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 1,079 पद स्वीकृत हैं जबकि 684 न्यायाधीश ही काम करते हैं। न्यायाधीशों के 395 पद रिक्त हैं। वर्ष 2014 में न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता 906 थी। हालांकि स्वीकृत क्षमता तो बढी है लेकिन कामकाज या असल क्षमता में पर्याप्त इजाफा नहीं हुआ है। निचली अदालतों के मामले में, वर्ष 2014 से स्वीकृत न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढोतरी हुई है और रिक्तियां कम हुई हैं। वर्ष 2014 में निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों न्यायाधीशों की स्वीकृत क्षमता 20,214 थी। वर्ष 2017 में यह बढकर 22,677 हो गई। 2017 में 16,693 न्यायाधीश काम कर रहे थे जबकि 2014 में संख्या 15634 थी। साल 2017 के अंत में अधीनस्थ अदालतों में 5,984 रिक्तियां थीं।

सुप्रीम कोर्ट का हाल

देश के उच्चतम न्यायाल में न्यायाधीशों के 31 पद हैं। यहां 27 न्यायाधीश अभी हैं और 4 पद खाली हैं। इस साल यानि 2018 में इसमें से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित 7 जज रिटायर हो जाएंगे। यानि सुप्रीम कोर्ट में इस साल 13 जजों की कमी हो जाएगी।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट में दीपक मिश्रा की नियुक्ति 10 अक्टूबर 2011 को हुई थी। 28 अगस्त 2017 को उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के तौर पर नियुक्त किया गया। इस साल वो रिटायर हो रहे हैं लेकिन उससे पहले उन्हें दिल्ली सरकार व लेफ्टिनेंट गवर्नर के बीच की लड़ाई, रामजन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद, रोहिंग्या के निर्वासन मामले, आधार की संवैधानिक वैधता, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला, निर्भया मामले में आरोपियों की रिव्यू पिटीशन का मामला, केरल का हादिया केस जैसे कई बड़े मामलों पर फैसला सुनाना है। इसके अलावा उन्हें सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया के ज्ञापन तैयार करने में सरकार की मदद करनी होगी।

जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की नियुक्ति भी दीपक मिश्रा के साथ 10 अक्टूबर 2011 को ही हुई थी। वह 22 जून 2018 को अपने पद से रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस चेलमेश्वर उस समय सुर्खियो में थे जब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए कोलेजियम सिस्टम बनाया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट के चार जज इसके पक्ष में थीं, वहीं जस्टिस जे चेलामेश्वर इसके विपक्ष में थे। चेलामेश्वर ही वो अकेले जज थे जो उस कानून के पक्ष में थे जिसे छह सदस्य वाले राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के निर्माण के लिए लागू किया गया था।

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इस समिति के छह सदस्यों में से तीन का गैर न्यायिक होना ज़रूरी था। इस कानून को संसद में पास कर दिया गया था जो जजों की नियुक्ति में सरकार के रोल को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान भी संवैधानिक संशोधन की स्वीकृति देता है। जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा था कि वह इस संवैधानिक संसोधन के पक्ष में हैं। 1030 पन्ने वाले फैसले में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट दो दशक पुराने इस कोलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए प्रस्ताव की सुनवाई करेगा। इसके बाद होने वाली किसी भी कोलेजियम मीटिंग में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था। कॉलेजियम ने बाद में जस्टिस चेमलेश्वर के सुझाव को स्वीकार करते हुए न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संचलन विधि को अपनाने पर सहमति जताई थी।

जस्टिस मदन बी लोकुर

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की नियुक्ति 4 जून 2012 को हुई थी। वह इस साल 30 दिसंबर को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। वह सुप्रीम कोर्ट की 'सोशल जस्टिस' बेंच की अध्यक्षता करते हैं, जिसमें जस्टिस यूयू ललित का नाम भी शामिल है। पीठ ने सामाजिक न्यायालय के क्षेत्र में सूखे की राहत, जेल सुधार, बाल विवाह, दिल्ली / एनसीआर में प्रदूषण जैसी सार्वजनिक हित याचिका में कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं।

जस्टिस अमित्व रॉय

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रॉय की नियुक्ति 27 फरवरी 2015 को हुई थे। वह 1 मार्च 2018 को अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे।

जस्टिस आर के अग्रवाल

17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले जस्टिस आरके अग्रवाल 4 मई 2018 को सेवानिवृत्त होंगे।

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जस्टिस आदर्श कुमार गोयल

जस्टिस गोयल की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति 7 जुलाई 2014 को हुई थी, वह 6 जुलाई 2018 को रिटायर होंगे।

जस्टिस कुरियन जोसेफ

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कुरियन की नियुक्ति 8 मार्च 2013 को हुई थी। वह 29 नवंबर 2018 को सेवानिवृत्त होंगे।

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