#आजादीकीनिशानियां : विभाजन की चर्चा जिस टेबल पर हुई थी वह आज यहां पर रखी गई है
गाँव कनेक्शन 14 Aug 2019 9:45 AM GMT
लखनऊ। हम 73 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे है| आज भी आजादी की जो जंग को हम भूल नहीं सकते, जब महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी शासकों की नींद हराम कर दी थी। जब भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारी बेहद कम उम्र में ही देश के लिए शहीद हो गए। नहीं भूल सकते अंग्रेजी सेना की उस बर्बरता को जब जलियांवाला बाग में निहत्थी जनता पर गोली चलाई गई थी।
सोशल मीडिया के इंडियनहिस्ट्रीपिक्स नाम के अकाउंट से हम आज आपके लिए आजादी की उस जंग की कुछ निशानियां लेकर आए हैं-
ये वही मेज है जहां पर विभाजन को लेकर जवाहर लाल, मोहम्मद अली जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन के बीच चर्चा हुई थी। वर्तमान में यह शिमला के वाइसरीगल लॉज में स्थित है।
ब्रिटिश शासन के दौरान अविभाजित भारत का मानचित्र
1927 में क्रान्तिकारी ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद में काकोरी कांड के तहत फांसी दी गई।
पंजाब स्थित खटकर कालन में क्रांतिकारी भगत सिंह का पुश्तैनी घर।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को यूनिफॉर्म।
लाहौर का शादमान चौक जहां 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर लटकाया गया था।
1929 में स्वतंत्रता सेनानी जतींद्र नाथ की लाहौर जेल में 63 दिन तक भूख हड़ताल में रहने के बाद मौत हो गई।
1928 में सरदार पटेल ने बारदोली सत्याग्रह की शुरुआत की
1930 में पेशावर के किस्सा ख्वानी बाज़ार में अंग्रेजी सेना ने शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों पर गोली चलाई। 400 लोग मारे गए।
महात्मा गांधी कोलकाता के दमदम जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को देखने गए थे
जलियांवाला बाग का शहीद कुआं, जहां 1919 में 120 लोग अंग्रेजी शासक जनरल की आर्मी की गोली से बचने के लिए इसमें कूद गए थे।
भगत सिंह ने इसी पिस्तौल की मदद से अंग्रेज पुलिस अफसर जॉन सांडर्स की हत्या की थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड से आहत रबींद्रनाथ टैगोर ने सर की उपाधि लौटा दी थी।
1911 में मोहन बगान फुटबॉल टीम ने नंगे पांव मैच खेलकर ब्रिटिश आर्मी की पूर्वी यॉकशायर रेजिमेंट को हराया था। आईएफए शील्ड के साथ खिलाड़ी।
जवाहर लाल नेहरू अपने बहनोई रंजीत सीताराम नैनी जेल के अंदर
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