स्काइमेट ने जारी की रिपोर्ट, खरीफ फसलोंं के उत्पादन में कमी की जताई आशंका

भारत की मौसम और कृषि जोखिम की निगरानी करने वाली अग्रणी कंपनी स्काईमेट ने खरीफ की फसल को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। रिपोर्ट में मानसून को लेकर पूर्वानूमान और उसका खरीफ के फसलों के उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसको लेकर भी जानकारी दी गई है।

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स्काइमेट ने जारी की रिपोर्ट, खरीफ फसलोंं के उत्पादन में कमी की जताई आशंका

लखनऊ। भारत की मौसम संबंधी भवि‍ष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने खरीफ की फसल को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। रिपोर्ट में मानसून को लेकर पूर्वानूमान और उसका खरीफ के फसलों के उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसको लेकर भी जानकारी दी गई है। स्काइमेट की रिपोर्ट के अनुसार इस बार मानसून की बारिश समान्य से कम होने की संभावना है।

स्काईमेट ने आशंका जताई है कि पूर्वी भारत के साथ-साथ मध्य भारत के एक बड़े हिस्से में कम बारिश होने की संभावना है। इसके इतर बिहार,झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ साथ विदर्भ,मराठावाड़ा और मध्यप्रदेश के दक्षिणी भागों में भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं गुजरात के कुछ भाग, ओडिशा, छत्तीसगढ़, और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में समान्य बारिश होने की संभावना है।

देश के 66 फीसदी जिलों में मानसून समान्य से होगा कम

स्काइमेट के रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार देश के 66 फीसदी जिलों में मानसून समान्य से 40 प्रतिशत कम होगा। रिपोर्ट्स में खरीफ फसलों पर इस बार के मानसून का क्या प्रभाव पड़ेगा इस बारे में भी जानकारी साझा की गई है। देश के खाद्यान्न उत्पादन में सबसे ज्यादा हिस्सा खरीफ के फसलों का माना जाता है। खरीफ के फसलों का कुल उत्पादन पर सीधा असर मानसून में होने वाले बदलावों से पड़ेगा। मानसून में इजाफा और कमी अनाज के उत्पादन और कमी पर भी प्रभाव डालेगी। मानसून में लंबे समय का ब्रेक भी फसलों के पैदावार में कमी लाने का काम करेगा।

कपास का उत्पादन बढ़ने की संभावना

कपास का उत्पादन 2019-20 में 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। राष्ट्रीय मोर्चे पर कपास का रकबा 2.7 प्रतिशत बढ़कर 12.57 मिलियन हेक्टेयर होने की संभावना है। भारत में महाराष्ट्र के अलावा गुजरात और आंध्र प्रदेश में कपास के सबसे ज्यादा उत्पादन के लिए जाने जाते हैं।महाराष्ट्र में सोयाबीन और दाल, गुजरात में मूंगफली, तेलंगाना में मक्का और हल्दी, आंध्र प्रदेश में धान और मूंगफली कपास की प्रतिस्पर्धी फसलें हैं। पिछले सीजन में कपास की बढ़ती कीमतें और समान्य से कम बारिश होने की संभावना को देखते हुए स्काईमेट ने अनुमान लगाया है कि ज्यादातर किसान अन्य फसलों को छोड़ कपास की खेती की ओर अपना रूख कर सकते हैं।

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4 प्रतिशत कम होगा धान का उत्पादन

धान का उत्पादन इस खरीफ सीजन में लगभग 4 प्रतिशत घटकर 97.78 मिलियन टन रहने की संभावना है। एक साल पहले देश में 101.96 मिलियन टन धान का उत्पादन हुआ था। स्काईमेट के अनुमान और मानसून की स्थिति के अनुसार इस सीजन धान की राष्ट्रीय औसत उपज लगभग 2545 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने की उम्मीद है। हालांकि उन्नत किस्मों के बीज, बेहतर कृषि पद्धतियों और सिंचाई सुविधाओं में विस्तार के कारण भारत में चावल की पैदावार बढ़ रही थी।

   

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