कोरोना वैक्सीन लेने के बाद अब तक 16 की मौत, डॉक्टर्स ने राष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग की
कोरोना वैक्सीन लेने के बाद अब तक 16 लोगों की मौत सामने आ चुकी है। ऐसे में देश के जाने-माने डॉक्टर्स और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पत्र लिख कर स्वास्थ्य मंत्रालय से इन मौतों के पीछे कारणों को लेकर तत्काल जांच की अपील की है।
Kushal Mishra 3 Feb 2021 3:02 PM GMT
देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत के साथ इन 19 दिनों में वैक्सीन लेने के बाद अब तक 16 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत की ख़बर सामने आ चुकी है।
ताज़ा मामला झारखण्ड की राजधानी रांची के मेदांता अस्पताल से जुड़ा है जहाँ एक फरवरी को 47 वर्षीय स्वास्थ्य कर्मी मन्नू पाहन को कोरोना का टीका लगाया गया था और मात्र 48 घंटों के अंदर उनकी मौत हो गई। मृतक स्वास्थ्य कर्मी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना का टीका लगने के बाद अब तक 16 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो चुकी है।
इन मौतों को लेकर देश के जन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और डॉक्टर्स ने सवाल उठाए हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर इन स्वास्थ्य कर्मियों की मौत के कारणों की तत्काल जांच किये जाने की मांग की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि कोरोना टीकाकरण में सभी मौतों, गंभीर और अति गंभीर (टीकाकरण के बाद की प्रतिकूल घटनाओं) की पूरी जानकारी और उनकी जांच को सार्वजनिक किया जाए। इस जानकारी में संख्या, टीकाकरण की तिथि, एइएफआई का विवरण, स्थान, जांच की स्थिति और परिणाम शामिल होने चाहिए। इसके अलावा पत्र में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं को लेकर बनी एईएफआई समितियों के कार्यवृत्त भी जारी करने की मांग की गई है।
पत्र में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य कर्मियों की मौत कोरोना का टीका लेने के कुछ घंटों से पांच दिन के बीच हुई है और उनकी उम्र 42 से 56 वर्ष के बीच रही। इनमें एक 23 वर्षीय फ्रंटलाइन वर्कर भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स में सभी के साथ हृदय संबंधी समस्याओं या मस्तिष्क आघात होने की समस्याएं सामने आई हैं और प्रत्येक मामले में लिया गया टीका कोविशील्ड था।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल एथिक्स के संपादक अमर जैसानी ने 'गाँव कनेक्शन' से कहा, "अब तक कोरोना वैक्सीन लेने के बाद हुईं मौतों में ज्यादातर मामले हृदय संबंधी और मस्तिष्क आघात के सामने आये हैं। ऐसे में इन सभी की समूह में तत्काल जांच किए जाने की जरूरत है ताकि कम से कम इसके पीछे छिपे कारणों का पता चल सके। इसकी जांच को सार्वजनिक भी किया जाना चाहिए ताकि कोरोना टीकाकरण को लेकर लोगों में कोई भ्रम न रहे।"
इस सबके बीच दो फरवरी को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कोरोना वैक्सीन को लेकर जानकारी दी है कि केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन को कोविड-19 टीकों से जुड़ी किसी गंभीर प्रतिकूल घटना के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
Central Drugs Standard Control Organisation hasn't received information about any specific severe adverse event causally linked to administration of #COVID19 vaccines: Centre tells #RajyaSabha
— Press Trust of India (@PTI_News) February 2, 2021
अमर जेसानी आगे बताते हैं, "विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कोरोना टीकाकरण को लेकर जारी अपनी गाइडलाइन्स में यह बात कहता है कि अगर टीका लेने के बाद दो या दो से अधिक मौतें, एक ही वैक्सीन से या एक ही कारण से या एक ही स्थान पर सामने आती हैं तो समूह में जांच की जानी चाहिए। ऐसे में अब तक हुईं मौतें भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीका लेने के बाद हुई प्रतिकूल घटनाओं की परिभाषा को पूरा करती है।"
हालांकि इन मौतों पर राष्ट्रीय स्तर पर बनी एईएफआई कमेटी ने अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है और सामने आये मामलों की जांच जिला स्तर पर बनी एईएफआई कमेटी के सदस्य कर रहे हैं।
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से जन स्वास्थ्य चिकित्सक डॉ. योगेश जैन ने 'गाँव कनेक्शन' से कहा, "एक जिम्मेदार सरकार से यही अपेक्षा की जा सकती है कि कोरोना टीकाकरण के बाद सामने आई मौतों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल जांच की जाए। जब तक टीकाकरण को लेकर स्पष्टता नहीं आएगी तब तक लोगों के मन में भ्रम बनने की संभावना रहेगी।"
"अगर सरकार यह कहती है कि इन मौतों से टीकाकरण का कोई संबंध नहीं है, तो ऐसा कहना ऐसा ही है जैसे बिना जांचे-परखे फैसला सुना दिया जाए, जरूरी है कि टीकाकरण को लेकर स्पष्टता लाई जाए," डॉ. योगेश जैन ने आगे कहा।
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