शादी में जाने से यहाँ ज़्यादा ज़रूरी क्यों है सोलर पैनल की रखवाली

कभी पानी बिजली को तरसते बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा से क्रांति तो आ गई, लेकिन इसके पैनलों की रखवाली यहाँ के लोगों के लिए किसी तपस्या से आज कम नहीं हैं। सौर पैनलों को चोरों से बचाने के लिए लोग, शादी जैसे आयोजनों में जाने से पहले अब इसकी रखवाली का इंतज़ाम करते हैं।

Aishwarya TripathiAishwarya Tripathi   11 May 2023 5:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
शादी में जाने से यहाँ ज़्यादा ज़रूरी क्यों है सोलर पैनल की रखवाली

बुंदेलखंड के किसान डीजल से चलने वाले सिंचाई पंपों की जगह सौर ऊर्जा वाले पंपसेटों की ओर रुख कर रहे हैं। फोटो: ऐश्वर्या त्रिपाठी 

महोबा, उत्तर प्रदेश। कभी पिछड़ा क्षेत्र होने का दंश झेलने वाले बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा एक वरदान जैसा है। बिजली और पानी जैसी ज़रूरतों को पूरा कर इसने स्थानीय लोगों, खासकर किसानों की जिंदगी ही बदल दी है। लेकिन इसे लेकर एक बड़ी चिंता भी है। इसकी सुरक्षा की गारंटी। शादी जैसे आयोजनों में जाने से पहले अब किसानों को सोचना पड़ता है, बाहर जाने पर इसकी पहरेदारी कौन करेगा ?

“किसी न किसी को पलेटे (सौर पैनल) देखने के लिए रहना पड़ता है। अगर हमें शादी का निमंत्रण मिलता है, तो परिवार में यह तय करने के लिए एक लंबी बातचीत होती है कि पलेट की सुरक्षा के लिए कौन रहेगा। ज़्यादातर मुझे या मेरे देवर को इसकी खातिर शादी छोड़नी पड़ती है।” तिंदौली गाँव की 45 साल की लक्ष्मी देवी ने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए कहा।

30 किलोमीटर दूर, बद्री प्रसाद तिवारी की भी ऐसी ही स्थिति है। महोबा के सूपा गाँव के निवासी अक्सर अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की तरफ से शादी जैसे आयोजनों में शरीक न हो पाने के कारण ताने सुनते हैं।

हर रात बद्री प्रसाद अपने सोलर पैनल की खुद रखवाली करते हैं।

बद्री प्रसाद के सामने उस समय अजीब स्थिति हो जाती है जब कोई रिश्तेदार या दोस्त शादी का निमंत्रण देता है। वे खेत या घर छोड़ कर बाहर जाए तो जाए कैसे ? ऐसे में उनके लिए न्योता स्वीकार करना तक मुश्किल हो जाता है। कहीं जाने का मतलब है सौर सिंचाई पंपसेट से हाथ धोना।

72 साल के बद्री प्रसाद कहते हैं, “जहाँ से न्यौता आता है वहाँ व्यवहार पहुंच जाए काफी है, प्लेट को अकेले कैसे छोड़ देंगे?”, सौर पैनल को स्थानीय बोली में 'प्लेट' भी कहा जाता है।

महोबा, मध्य भारत के सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र में पड़ता है। यहाँ के किसान डीजल से चलने वाले सिंचाई पंपों की जगह सौर ऊर्जा वाले पंपसेटों की ओर रुख कर रहे हैं। इस पंपसेट की सुविधा और सिंचाई के लिए किसान 72, हज़ार से लेकर 1 लाख रुपये इकठ्ठा कर खर्च कर रहे हैं। इससे रबी (सर्दियों) के मौसम में भी खेती में मदद मिल रही है।

कभी पिछड़ा क्षेत्र होने का दंश झेलने वाले बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा एक वरदान जैसा है।

हर रात बद्री प्रसाद अपने सोलर पैनल की खुद रखवाली करते हैं। वे कहते हैं, “मैं पहले ही एक पैनल के नुकसान का सामना कर चुका हूँ। यह अचानक से जल गया, अब क्या मुझे सिर्फ एक शादी में शामिल होने के लिए एक और जोखिम उठाना चाहिए?"

लक्ष्मी देवी के देवर धरमपाल राजपूत की तब से रातों की नींद उड़ी हुई है जब परिवार ने इस साल फरवरी में अपने खेत में सौर सिंचाई पंपसेट लगाया था। वह 'प्लेट' की रखवाली के लिए अपनी रातें खेत में गुजारते हैं और सुबह छह बजे तब घर जाते हैं जब लक्ष्मी देवी उसकी चौकीदारी के लिए खेत में आती हैं ।

हाल ही में लक्ष्मी देवी को एक शादी में शामिल होने का न्यौता आया था । वे कहती हैं, “मैंने पड़ोसियों से पूछा कि क्या वे हमारे सौर पैनल की रखवाली कर सकते हैं जब हमें शादी में बाहर जाना होगा। सौभाग्य से वे मान गए। उनकी उदारता के लिए धन्यवाद, हम परिवार के साथ अब शादी में शामिल हो सकते हैं। इसकी रखवाली के लिए किसी को रुकना नहीं पड़ेगा।

लक्ष्मी देवी के देवर धरमपाल राजपूत की तब से रातों की नींद उड़ी हुई है जब परिवार ने इस साल फरवरी में अपने खेत में सौर सिंचाई पंपसेट लगाया था।

लेकिन स्वामी प्रसाद जैसे कई ऐसे किसान हैं जिनके पास सौर पैनलों की रखवाली के लिए न तो परिवार का कोई सदस्य है और न ही कोई उदार पड़ोसी। 'अपनी सुरक्षा अपने हाथ' ऐसे किसानों का आदर्श वाक्य है।

महोबा के लमोरा गांव के प्रसाद अपनी सौर ऊर्जा से चलने वाली मोटर को अपने खेत के एक कोने में रखे लोहे के डब्बा में बंद रखते हैं। वे भगवान् से प्रार्थना करते रहते हैं मोटर से जुड़े सौर पैनल चोरी न हो।

“दिन का काम खत्म करने और घर वापस जाने के बाद, मैं मोटर को लॉक कर देता हूँ। मैं नहीं चाहता कि यह चोरी हो, क्योंकि एक बार चोरी होने पर मुआवजे का दावा करना और दोबारा मोटर लगवाना टेढ़ी खीर है, इतना समय कहा है। " स्वामी प्रसाद ने कहा।

महोबा के लमोरा गांव के प्रसाद अपनी सौर ऊर्जा से चलने वाली मोटर को अपने खेत के एक कोने में रखे लोहे के डब्बा में बंद रखते हैं।

कुछ किसान फसलों की कटाई के बाद मीलों लम्बा सफर तय कर खेत से 'प्लेट' घर लाकर उसकी सुरक्षा करते हैं। तिंदौली गांव में गांव कनेक्शन के रिपोर्टर ने कई ऐसे खेत देखे जहां रबी की फसल कट चुकी थी और अगले फसल चक्र की तैयारी के लिए खेत खाली थे। किसानों ने लोहे के बड़े-बड़े स्टैंडों से सोलर पैनल हटा दिए थे, जिन पर प्लेटें लगी हुई थीं । उन्हें घरों में सुरक्षित रख दिया है।

धर्मपाल राजपूत ने कहा, "चोरी गंभीर मसला है। कई बार, सिंचाई की ज़रूरत नहीं होने पर किसान अपने घरों के अंदर प्लेटें रख देते हैं।"

यह एक चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि एक सौर प्लेट का आकार लगभग तीन फीट गुणा चार फीट है। और तीन हार्स पावर के पंपसेट को चलाने के लिए ऐसी करीब 10 प्लेट्स को एक साथ जोड़ा जाता है।

Solar pump bundlelkhand #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.