भारत में किसानों की बदहाल तस्वीर दिखाते हैं हाल ही में हुए ये किसान आंदोलन
Anusha Mishra 2 Jun 2017 4:49 PM GMT

लखनऊ। बढ़ते कर्ज़ के बोझ, गिरती माली हालत और सरकार की अनदेखी ने किसानों के अंदर गुस्से को जन्म दिया है और गुरुवार को महाराष्ट्र में जो हुआ वह उनके अंदर दबा यही गुस्सा था जो ज्वालामुखी बनकर फूटा। महाराष्ट्र के किसानों ने सैकड़ों गैलन दूध सड़कों पर बहा दिया। ट्रकों में भरे फलों और सब्जियों को भी सड़कों पर फेंका। सोशल मीडिया पर लोगों ने इन किसानों को जमकर कोसा भी। खाने-पीने की चीजों को इस तरह बर्बाद कराना देश की जनता को रास नहीं आया लेकिन किसानों के इस काम के पीछे उनकी मनोदशा क्या थी इस ओर शायद ही किसी का ध्यान गया हो।
किसानों की परेशानियां कभी खत्म नहीं होतीं, कभी बारिश का न होना तो कभी फसल के सही दाम न मिलना जैसी ख़बरें तो आती ही रहती हैं। किसानों का आत्महत्या करना भी अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई है। बहरहाल, उनकी परेशानियों में कोई कमी नहीं आई है। हम आपको बता रहे हैं हाल ही में उन किसान आंदोलनों के बारे में जिन्होंने देश को सोचने पर मज़बूर किया है...
छत्तीसगढ़ का टमाटर आंदोलन
नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद लगभग पूरे देश के किसानों का बुरा हाल था लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह सबसे मुश्किल साबित हुआ। छत्तीसगढ़ में टमाटर की बंपर पैदावार हुई। टमाटर का ज़्यादा उत्पादन और नोटबंदी के बाद बाज़ार में आई मंदी का प्रभाव यह पड़ा कि यहां के किसानों को टमाटर की कीमत सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो मिल रही थी। हताशा भरे किसानों का सब्र का बांध टूट गया और उनके गुस्से ने एक टमाटर आंदोलन को जन्म दिया। विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसानों ने अपनी सैकड़ों टन की पूरी की पूरी टमाटर की फसल को ट्रकों के आगे सड़कों पर डाल दिया। आलम यह था कि सड़कों पर बस टमाटर ही टमाटर नज़र आ रहे थे।
ये भी पढ़ें : किसान आगबबूला : महाराष्ट्र से लेकर मध्यप्रदेश तक सड़कों पर उतर ऐसे जताया विरोध
तमिलनाडु के किसानों का 41 दिन लंबा विरोध प्रदर्शन
तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली में इस साल अप्रैल से लेकर मई तक 41 दिन लगातार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि उनके इस आंदोलन पर कई तरह के प्रश्न भी उठे और उन्हें राजनीति से प्रेरित भी बताया गया। लेकिन ये किसान सिर्फ सरकारी बैंकों से ऋण माफी चाहते थे। वे चाहते थे कि केंद्र तमिलनाडु और कावेरी प्रबंधन बोर्ड के लिए एक महत्वपूर्ण सूखा राहत पैकेज दे जो कि मौसम के हिसाब से खराब सालों में भी उन्हें नदी के पानी का अच्छा-खासा हिस्सा उपलब्ध करवा सके। पिछले साल 140 सालों में तमिलनाडु में सबसे भयानाक सूखा पड़ा था जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी थी। सरकार से कोई राहत न मिलने पर इन किसानों ने दिल्ली का रुख किया। ये किसान 40 दिनों से अजीबो-गरीब तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार का ध्यान अपनी दुर्दशा की ओर दिलाने के लिए ये किसान अलग-अलग तरीके से विरोध कर रहे थे। कभी वो अपनी आधी मूंछ कटवा रहे थे तो कभी सिर मुंडवा रहे थे। यहां तक कि इन्होंने मल-मूत्र का सेवन तक किया। आखिर में 40 दिन बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी के उनसे मिलकर राहत का भरोसा दिलाने के बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन को टाल दिया।
ये भी पढ़ें : यूपी के बाद अब दूसरे राज्यों में किसानों का कर्ज माफ करने की उठी मांग
तेलंगाना में किसानों ने जलाई मिर्च की फसल
28 अप्रैल को तेलंगाना की खम्मम कृषि मंडी में गुस्साए किसानों ने अपनी फसल को आग लगा दी और कुछ कार्यालायों का भी सफाया कर दिया। ये किसान मिर्च की खेती करते हैं और वे अपनी फसल के लिए सही कीमत की मांग कर रहे थे। पिछले साल जहां उनकी फसल 12,000 रुपये प्रति कुंतल बिकी थी वहीं इस साल उन्हें इसके लिए 2000 से 4000 रुपये ही मिल रहे थे। कीमतों में इतनी गिरावट से किसान हताश हो गए थे इसीलिए गुस्से में आकर उन्होंने अपनी फसल को ही आग लगा दी। हालांकि केंद्र ने आखिरकार पिछले महीने यह घोषणा की कि वह 2017 के दौरान बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत दो राज्यों से 1.22 लाख टन लाल मिर्च की खरीद करेगी, जिससे घाटे की भरपाई हो सके।
महाराष्ट्र की किसान क्रांति
1 जून को महाराष्ट्र के किसानों ने एक सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन की शुरुआत की और इसको नाम दिया 'किसान क्रांति'। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी थी कि वे एक जून से शहरों में जाने वाले दूध, सब्जी समेत अन्य उत्पाद रोकेंगे। महाराष्ट्र के किसानों में यह गुस्सा राज्य सरकार की नीतियों को लेकर है। इन किसानों की मांग है कर्ज़ से मुक्ति जबकि राज्य सरकार किसानों की भलाई के लिए कई फैसले लेने का दावा कर रही है। किसानों का यहा आरोप भी लगाया कि अब उनके लिए खेती सिर्फ घाटे का सौदा साबित हो रही है लेकिन सरकार उनके हालात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है, किसान धीरे-धीरे कर्ज़ में डूबता जा रहा है। किसानों को मनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कृषिमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी ने कोशिश की, लेकिन इसका इन किसानों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा। इस आंदोलन के दौरान किसानों ने हजारों टन दूध सड़क पर बहा दिया और बाकी खाद्य उत्पादों को भी सड़क पर फेंका जिसकी कई लोगों द्वारा आलेचना भी की गई।
#WATCH: Milk spilled on road in Shirdi as farmers go on indefinite strike in Maharashtra. pic.twitter.com/sjVpFLBuMZ
— ANI (@ANI_news) June 1, 2017
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
Maharashtra farmers हड़ताल Strike Maharashtra farmer loan waiver Tamilnadu Farmers Farmer of India Farmer Strike Farmer protest Telangana chilli Farmers किसानों का विरोध प्रदर्शन किसान आंदोलन
More Stories