गुजरात चुनाव के बीच आखिर क्यों चर्चा में है सोमनाथ ?
Mohit Asthana 29 Nov 2017 2:19 PM GMT
गुजरात के विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस लेने की जद्दोजहद कर रही है तो बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा का चिन्ह बन गया है। बुधवार को पीएम मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात पहुंचे हैं। ऐसा पहली बार है जब ये दो दिग्गज एक ही दिन सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने जाएंगे। सोमनाथ मंदिर के आसपास तो हलचल है कि सोशल मीडिया पर भी #Somnath ट्रेंड कर रहा है।
जहां एक तरफ सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का ये कहना है कि जब राहुल गांधी के पर बाबा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मंदिर के उद्घाटन के लिये तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को जाने से रोका था तो राहुल को कोई हक नहीं बनता है सोमनाथ मंदिर जाने का। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने ट्विट कर राहुल का समर्थन भी किया है। इन सब मुद्दों के बीच हम आपको बताते हैं सोमनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में कि कैसे सोमनाथ मंदिर को लूटा गया और कैसे मंदिर का बार-बार पुन: निर्माण किया गया।
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सोमनाथ का इतिहास
इतिहास में इस मंदिर को जब भी बनवाया गया तब-तब इसे किसी मुस्लिम शासक ने तोड़ दिया। सोमनाथ मंदिर पहली बार किस समय बना इसका कोई प्रमाण नहीं है। अनुमान है कि 649 ईसवी में इसे वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने दुबारा बनवाया था। इस मंदिर को 725 ईसवी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल-जुनैद ने तुड़वा दिया। 815 ईस्वी में प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इस मंदिर को दुबारा बनवाया। यह मंदिर अपनी धन संपदा के लिये बहुत प्रसिद्ध था।
जब महमूद गजनवी ने किया था मंदिर पर आक्रमण
सन 1024 ईस्वी में महमूद गजनवी ने अपने 5 हजार साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और 25 हजार लोगों को कत्ल करके मंदिर की सारी धन दौलत सोना चांदी लूट कर ले गया। इतिहासकार उतबी ने अपनी किताब यामिनी में गजनवी के सोमनाथ मंदिर पर हुए आक्रमण के बारे में लिखा है गजनवी को सोने के रूप में अकल्पनीय धन संपदा प्राप्त हुई। जितना ताल वो ऊंट-घोड़ों पर लेकर जा सकता था उतना ले गया बाकी छोड़ना पड़ा।
जब नेहरू जी ने डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को मंदिर का जीर्णोद्धार करने से किया मना
ऐसे में जीर्णोद्धार के बाद मंदिर के लोकार्पण के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को न्यौता भेजा गया, जिसे उन्होंने गर्व के साथ सहजता से स्वीकार कर लिया। लेकिन जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि राजेन्द्र प्रसाद मंदिर का जीर्णोद्धार करने जाएं। उनका कहना था कि अगर वो मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये जाते हैं तो हिंदुत्व को बढ़ावा देने का संदेश जाएगा जो कि देश हित में नहीं है।
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नेहरू ने कहा- 'व्यक्तिगत रूप से मैं यह सोचता हूं कि सोमनाथ में विशाल मंदिर बनाने का यह उचित समय नहीं। इसे धीरे-धीरे बनाया जा सकता था या बाद में ज्यादा प्रभावपूर्ण ढंग से तैयार किया जा सकता था। फिर भी मैं यह सोचता हूं कि बेहतर यही होगा कि आप मंदिर के उद्घाटन समारोह में न जाएं।"
“I do not like your trying to restore Somnath. It is Hindu revivalism.” - Jawaharlal Nehru said this to Dr. Munshi
— susmita chakraborty (@sush091979) November 28, 2017
He opposed Rajendra Prasad’s visit to Somnath Temple…
Now his grandson Rahul Gandhi will start his campaign from Somnath Temple on 29 th November !! pic.twitter.com/QHaygmVzit
हालांकि नेहरू के आग्रह को न मानते हुए डा. राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर में शिव मूर्ति की स्थापना की थी। डा. राजेन्द्र प्रसाद मानते थे कि धर्मनिरपेक्षता का अर्थ अपने संस्कारों से दूर होना या धर्मविरोधी होना नहीं हो सकता। सोमनाथ मंदिर के उदघाटन के वक्त डा. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है लेकिन नास्तिक राष्ट्र नहीं है'। यहां पर एक बात बता दें जवाहर लाल ने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये राजेन्द्र प्रसाद को तो मना किया लेकिन 1951 में कुंभ के मेले के दौरान जब जवाहर लाल नेहरू डुबकी लगाने गए थे उस दौरान कुंभ में मची भगदड़ में करीब 800 लोग मर गए थे।
Ur pathetic lies are the basis of BJPs "WhatsApp/ madeup history" ... It was Nehru who wrote to Sardar Patel to restore the Somnath Temple ( letters available ) . Sardar entrusted Gadgil ji to do it ( documents there) . Pls stop your bigotry & hate n lies !! https://t.co/uSRHZZNkEj
— Tehseen Poonawalla (@tehseenp) November 27, 2017
हालांकि इस बात का खंडन करते हुए ट्विट के जरिये तहसीन पूनावाला ने बताया है कि जवाहर लाल नेहरू ने सरदार पटेल को मंदिर का दुबारा निर्माण करने के लिये पत्र लिखा था। उसके बाद से ट्विटर पर कई लोगों ने उनसे उस लेटर की मांग की है लेकिन अभी तक ये लेटर उपलब्ध नहीं हो पाया है।
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