अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष : योग, प्राणायाम और कोविड-19

चूंकि कोरोना वाइरस की अभी तक कोई दवा या टीका नहीं बन सका है इसलिए मानव के पास उसके शरीर का मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र ही उसका एकमात्र हथियार है और इस मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र को योग की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष : योग, प्राणायाम और कोविड-19COVID-19 की महामारी के समय में योग की महत्ता पूरी दुनिया के लिए और अधिक प्रासंगिक हो गई है। फोटो साभार : न्यूज़ चैंट

हरि नारायण मीना

हरि नारायण मीना

हजारों वर्षों के शोध और चिंतन-मनन के बाद विकसित योग की विधा भारत की प्राचीन धरोहर है। ग्यारह दिसम्बर 2014 में संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा द्वारा सन 2015 से प्रत्येक वर्ष की 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लेकर अंतराष्ट्रीय पहचान की मान्यता दी गयी थी।

महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में योग की परिभाषा 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोध' के रूप मे दी है। भले ही योग की यह परिभाषा योग की सर्वमान्य परिभाषा न हो लेकिन यह योग के व्यापक अर्थ को अपने में समेटे है। वास्तव में चित्त स्थिर हो जाए तो केवल शरीर ही नहीं आत्मा को भी साधा जा सकता है।

जब तक चित्त अपने अनुसार कार्य करता है हम वो नहीं कर पाते जो जीवन का उद्धार कर सके, लेकिन जैसे ही हम चित्त पर नियंत्रण स्थापित करते हैं, हम जीवन को साधने में कामयाब हो जाते हैं और यही योग का लक्ष्य भी है।

योग हमारे जीवन में एक गज़ब का संतुलन पैदा करता है जो शतायु और स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। आज अष्टांग योग के रूप में योग हमारे सामने मौजूद है। योग का एक-एक अंग अत्यंत महत्वपूर्ण है। योग के सारे आठों अंग मिलकर योग को पूर्णता प्रदान करते हैं।

आज COVID-19 की महामारी से पूरी दुनिया संकटग्रस्त है। ऐसे में योग की महत्ता पूरी दुनिया के लिए और अधिक प्रासंगिक हो गई है। योग कैसे COVID-19 संकट से निपटने में कारगर है, इसे समझने से पहले हम संक्षेप में COVOD-19 संकट को समझ लेते हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार COVID-19 एक संक्रामक रोग है जो एक नए खोजे गए कोरोना वायरस के कारण होता है। कोविड-19 वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग हल्के से मध्यम श्वसन तंत्र की बीमारी का अनुभव करते हैं और अधिकांश संक्रमित लोग विशेष उपचार की आवश्यकता के बिना ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन वृद्ध लोगों और हृदय रोग, मधुमेह, पुरानी श्वसन बीमारी और कैंसर जैसी अंतर्निहित चिकित्सा समस्याओं वाले लोगों में गंभीर बीमारी विकसित होने की अधिक संभावना होती है।

इसके संचरण को रोकने और धीमा करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि COVID-19 वायरस के बारे में अच्छी तरह से लोगों को बताया जाए, उन्हें जागरूक किया जाए कि यह कोरोना वाइरस कोरोना बीमारी का कैसे कारण है और यह कैसे फैलता है?

अपने हाथों को बार-बार धो कर या अल्कोहल आधारित सेनेटाईज़र का उपयोग करके और अपने चेहरे को न छूने से खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाया जा सकता है। COVID-19 वायरस मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर लार या नाक से निकलने वाली बूंदों से फैलता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम श्वसन शिष्टाचार का भी अभ्यास करें। उदाहरण के लिए एक लचीली कोहनी में खाँसी करके हम दूसरों को संक्रमित होने से बचा सकते हैं। लेकिन संक्रमण का शिकार होने के बाद मानव को कोरोना वाइरस से बचाने के लिए पूरी तरह उसका प्रतिरक्षा तंत्र ही सहायक होता है।

चूंकि कोरोना वाइरस की अभी तक कोई दवा या टीका नहीं बन सका है इसलिए मानव के पास उसके शरीर का मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र ही उसका एकमात्र हथियार है और इस मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र को योग की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।

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योग को जीवनचर्या में शामिल करके हम कोरोना जैसी महामारी से ही नहीं, अनेकों बीमारियों के शिकार होने से भी अपने आप को बचा सकते हैं। आठों अंगों में योग का प्रत्येक अंग कोरोना महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण है।

हम देख रहे हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना महामारी से बचाव के लिए जो एडवाईजरी जारी कर रहा है उसमें शरीर की स्वच्छता और प्रतिरक्षा को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर है और योग हजारों वर्षों से हमें स्वच्छता और शरीर की बाहर भीतर की निर्मलता और आसनों के अभ्यास से शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में सहायक बनता आया है।

योग के सारे अंग हमें कोरोना जैसे वाइरस से लड़ने में अत्यंत मददगार हैं, लेकिन सबका वर्णन यहाँ संभव नहीं इसलिए यहाँ हम उन महत्वपूर्ण अंगों पर ही प्रकाश डालेंगे जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

अष्टांग योग के पहले अंग यम में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का पालन महत्वपूर्ण है। योग में हिंसा का निषेध है और सत्य के पालन पर विशेष ज़ोर है या यूं कहें कि योग की प्रथम सीढ़ी सत्य और अहिंसा से शुरू होती है।

सच्चे व्यक्ति को किसी का भय नहीं रहता और भय नहीं हो तो कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। हम सब आज जानते हैं कि कोरोना वायरस बायोडाईवर्सिटी में छेड़छाड़ का नतीजा है।

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चीन के वेट मार्केट जहां जंगली जानवरों का अवैध व्यापार होता है वहाँ से ही यह वायरस चमगादड़ और पेंगोलिन जैसे जानवरों से मानव में स्थानांन्तरित हुआ है। जब हम अहिंसा में विश्वास रखेंगे तो यह संभव ही नहीं होगा।

योग का दूसरा अंग भी बहुत महत्वपूर्ण है और यह नियम है जिसमें शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय व ईश्वर प्रणिधान आते हैं। इस अंग में शौच सबसे महत्वपूर्ण है। शौच में शरीर की बाहर-भीतर की शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। यदि व्यक्ति का शरीर बाहर-भीतर से रोज शुद्ध होता रहता है तो उस पर बीमारियां आसानी से हमला नहीं कर सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा स्वच्छता पर ज़ोर है और हमारी तो संस्कृति में ही यह शामिल है, हाँ यह बात जरूर है कि हममें से अधिकांश आज पालन नहीं करते। योग में शौच द्वारा नेति, नौली व धोती आदि क्रियाओं द्वारा शारीरिक शुद्धि का भी विधान है।

कोरोना जैसे वायरस गले में टिक ही नहीं सकते यदि हम इन योगिक क्रियाओं का नियमित अभ्यास करें। इसी प्रकार संतोष का भी बड़ा महत्व है जो भोगवादी संस्कृति के अनुयायी होकर भागदौड़ की जिंदगी जी रहे हैं, उनमें हृदय रोग आदि का खतरा ज्यादा होता है जबकि संतोषी प्रवृति के व्यक्ति ज्यादा सुखी और तनाव मुक्त देखे गए हैं। विशेषज्ञों का भी कहना है कि जो लोग हृदय रोग व तनाव आदि बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें कोरोना महामारी से ज्यादा खतरा है।

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योग का तीसरा अंग आसन शारीरिक रूप से बलशाली व स्वस्थ रहने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दुनिया भर के एक्स्पर्ट्स कोरोना से बचने के लिए व्यायाम व योगा जैसी तकनीकों को अपनाने की सलाह दे रहे हैं ताकि शरीर की इम्युनिटी का स्तर ऊंचा रहे और कोरोना वायरस हमारे ऊपर कोई असर नहीं कर पाये।

योग में हजारों आसनों का वर्णन है लेकिन करीब 100 आसान ज्यादा महत्वपूर्ण है और उनमें से भी करीब 15 आसन यथा - सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन, जानुशिरासन, सर्पासन, उष्ट्रासन, ताड़ासन, शशकासन, मयूरासन, चक्रासन, शीर्षासन, शवासन और नौकासन जैसे आसन अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनका रोजाना यदि 20-30 मिनट भी अभ्यास किया जाए तो कायाकल्प हो सकता है।

जहां योगासनों द्वारा शारीरिक नियंत्रण संभव होता है वहीं योग के चौथे अंग प्राणायाम से प्राण पर नियंत्रण संभव होता है। प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता में चमत्कारिक वृद्धि कर उन्हें अधिक सक्षम बनाते हैं जिसके कारण फेफड़े न केवल शरीर में अधिक ऑक्सीजन पहुँचाते हैं बल्कि खून का शुद्धिकरण भी करते हैं।

COVID-19 में हमारे शरीर में फेफड़ों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। कोरोना वायरस श्वसन तंत्र पर ही मुख्य रूप से हमला करता है इसलिए फेफड़ों का स्वस्थ और मजबूत होना जरूरी है और योग से यह आसानी से हासिल किया जा सकता है। प्राणायाम से न सिर्फ फेफड़ों की क्षमता और मजबूती में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा होता है बल्कि हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती भी मिलती है।

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कोरोना वायरस दमा जैसे श्वसन रोगियों को बुरी तरह प्रभावित करता है लेकिन यदि नियमित रोज 15-30 मिनट प्राणायाम का अभ्यास किया जाए तो न सिर्फ दमा से निजात मिलेगी बल्कि कोरोना जैसे वाइरस के लिए ऐसे शरीर सदैव अभेध्य ही रहेंगे।

प्राणायाम कई हैं लेकिन यदि रोजाना इनमें से अनुलोम-विलोम व कपालभाति जैसे प्राणायामों का अभ्यास किया जाए तो भी काफ़ी फायदा मिल सकता है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हथियार प्राणायाम ही है। कोरोना वायरस फेफड़ों पर ही हमला करता है और यदि हमारे फेफड़े मजबूत है तो हम कोरोना वायरस को मात देने में सफल हो सकते हैं और यह नियमित प्राणायाम के अभ्यास से संभव है।

योग का पांचवां अंग प्रत्याहार इंद्रियों को अंतर्मुखी करने का अभ्यास कराता है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। जब हम इंद्रियों को बाहरी से अंतर्मुखी करने का प्रयास करते हैं तो एक अद्भुत आध्यात्मिक आनंद की तरफ चलना शुरू करते हैं और जिसके कारण शरीर में ऐसे हार्मोन्स स्रावित होते हैं जो हमारी इम्यून क्षमता को निश्चय ही बढ़ाते हैं, इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में योग का छठवां अंग धारणा और सहयोग करता है जो चित्त को एकाग्र करता है और चित्त यदि एकाग्र हो गया, स्थिर हो गया तो फिर आपको कोई चिंता ही नहीं, फिर आपने सब प्राप्त कर लिया, आपका अपने आप पर नियंत्रण हो गया और यह अत्यंत सुखप्रद संकेत है।

सातवाँ अंग ध्यान है और यह अवस्था लंबे समय तक चित्त के एक जगह एकाग्र होने से प्राप्त होती है। अंतिम और आठवाँ अंग समाधि है जो चेतन अवस्था में व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करती है और उस परम तत्व से हमें एकाकर कर देती है जिससे हमारा वजूद है, हम पैदा हुए हैं। यही केवल्य है। यहाँ पहुँचकर जीवन मरण का फंदा छूट जाता है। इस अवस्था को प्राप्त करने के बाद कुछ पाना शेष नहीं रह जाता।

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आज दुनिया भर में योग की चर्चा हो रही है और लोग योग के प्रभावों से चमत्कृत भी हैं क्योंकि योग एक निवारक की तरह काम करता है। योग से शरीर में ऐसे सकारात्मक शारीरिक बदलाव होते हैं जो कोरोना जैसे बीमारियों का शरीर पर प्रभाव ही नहीं पड़ने देते।

योग के साक्ष्य भारत में बहुत प्राचीन काल से मिलते हैं। आज से लगभग 5000 वर्ष पहले की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग के साक्ष्य मिले हैं। भारत में करोड़ों लोग सदियों से योगाभ्यास करते आ रहे हैं, इन्हीं कारणो से भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों का मृत्युदर का आंकड़ा अत्यंत कम है।

दुनिया भले ही अभी इस तथ्य को नहीं माने पर आने वाले समय में यदि शोध होंगे तो भारत के योग का करोड़ों लोगो की दिनचर्या में शामिल होना और वैकल्पिक चिकित्सा आयुर्वेद आदि की लंबी परंपरा व मसालों का हर घर में उपयोग इसके पीछे के कारण निकलेंगे।

अतः हम देखते हैं कि योग हमारी अत्यंत अनमोल धरोहर है जो सिर्फ भारतीयों का ही कल्याण करने में सक्षम नहीं बल्कि पूरी दुनिया की मानवता का कल्याण करने की क्षमता रखती है। लेकिन अफसोस यह है कि वैज्ञानिक तरीके से विकसित इस योग की धरोहर को हमारी आज की पीढ़ी भुलाती जा रही है जबकि पश्चिम के लोग इसे अपनाते जा रहे हैं।

(हरि नारायण मीना आईआरएस, योग प्रशिक्षक और 'COVID-19 संकट व विश्व का बदलता परिदृश्य' पुस्तक के लेखक हैं।)

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