सृजन घोटाले में सामने आया सुशील मोदी की चचेरी बहन रेखा का नाम, जानें क्या है ये घोटाला

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   2 Sep 2017 6:18 PM GMT

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सृजन घोटाले में सामने आया सुशील मोदी की चचेरी बहन रेखा का नाम, जानें क्या है ये घोटालासुशील मोदी की चचेरी बहन रेखा मोदी।

लखनऊ। बिहार में सृजन घोटाले में अभी तक कई राजनेताओं गिरिराज सिंह, पूर्व सांसद शाहनवाज़ हुसैन, झारखंड के सांसद निशिकांत दुबे, भाजपा से अब निलंबित किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष विपिन शर्मा, उपेन्द्र कुशवाह की पार्टी के दीपक वर्मा के नाम सामने आए हैं। लेकिन हाल ही में इसमें रेखा मोदी का नाम सामने आया है जिसपर राजनीति शुरु हो चुकी है।

फिलहाल रेखा मोदी पटना से फरार हैं। रेखा मोदी और सृजन की सचिव मनोरमा देवी के बीच रिश्ते काफी मधुर थे। रेखा मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की चचेरी बहन है। इन सबके बीच इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने साफ कहा है कि सृजन घोटाले में जिस रेखा मोदी का नाम लिया जा रहा है उससे उनका या उनके परिवार का कोई लेना-देना नहीं हैं।

सुशील मोदी ने कहा कि रेखा मोदी से हमारे रिश्ते कितने मधुर रहे हैं इस बारे में हमारे राजनैतिक विरोधियों से भी जानकारी एकत्रित की जा सकती है। रेखा मोदी ने 2010 में अपने सगे भाई महावीर मोदी के खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें सुशील मोदी को भी आरोपी बनाया गया था। बाद में सुशील मोदी के खिलाफ मामले को पुलिस ने गलत करार दिया था, जिसके खिलाफ रेखा मोदी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह मामला अभी भी लंबित है।

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने जांच टीम से अनुरोध किया है कि वह पूरे मामले की जड़ तक जाए और हर दोषी को सजा दिलाए।

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क्या है सृजन घोटाला

इस पूरे घोटाले की सरगना या मास्टरमाइंड मनोरमा देवी नामक महिला हैं जिनका इस साल फ़रवरी में निधन हो गया। मनोरमा देवी की मौत के बाद उनकी बहू प्रिया और बेटा अमित कुमार इस घोटाले के सूत्रधार बने। मनोरमा देवी और उनकी संस्था सृजन को शुरू के दिनों में कई आईएएस अधिकारियों जिसमें - अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव, के पी रामैया शामिल हैं, ने बढ़ाया। गोरेलाल यादव के समय एक अनुसंशा पर दिसंबर 2003 में सृजन के बैंक खाते में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया।

उस समय बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं, रामैया ने 200 रुपये के महीने पर सबौर ब्लॉक में एक बड़ा जमीं का टुकड़ा सृजन को दिया।किसी जिला अधिकारी के कार्यकाल में अगर सर्वाधिक सृजन के खाते में पैसा गया तो वो था वीरेंद्र यादव जिसके 2014 से 2015 के बीच करीब 285 करोड़ सृजन के खाते में गया। वीरेन्द्र भी लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। अभी तक की जांच में ये पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक खाता में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के तहत या तो जाली दस्तखत या बैंकिंग प्रक्रिया का दुरुपयोग कर ट्रांसफर कर लिया जाता था जब भी किसी लाभार्थी को चेक के द्वारा सरकारी राशि का भुगतान किया जाता था तो उसके पूर्व ही अपेक्षित राशि सृजन द्वारा सरकारी खता में जमा कर दिया जाता था।

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मनोरमा देवी सृजन के खाते में जमा पैसा को बाजार में ऊंचे सूद पर देती थी या अपने मनपसंद लोगों को जमीन, व्यापार या अन्य धंधे में निवेश करने के लिए देती थी। पूरे साजिश में शामिल अधिकरियों का भी वो पूरा ख्याल रखती थी। उन्हें करोड़ तक कमीशन या आभूषण दिए जाते थे। पिछले साल नोटबन्दी के बाद सृजन के काम काज पर भी असर पड़ा। माना जा रहा है कि पैसा फंस जाने के कारण असल मुश्किलें शुरू हुईं और चेक बाउंस होने का सिलसिला शुरू हो गया।

     

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