SSC CGL 2017: नौकरी मिलनी थी मिल रही 'तारीख'

SSC CGL 2017 के अभ्यर्थियों को अभी भी रिजल्ट का इंतजार है।

Daya SagarDaya Sagar   5 April 2019 4:15 PM GMT

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SSC CGL 2017: नौकरी मिलनी थी मिल रही तारीख

लखनऊ। अनामिका (बदला हुआ नाम) जब एसएससी (SSC) परीक्षा की तैयारी कर रहीं थीं, तो गर्भवती थीं। टियर-थ्री की परीक्षा दीं तो दो महीने का बच्चा गोद में था। अब वह बेटा लगभग एक साल का हो गया है, लेकिन जिस परीक्षा की तैयारी वह कर रही थीं उसका परिणाम अभी तक नहीं आया है।

अनामिका की तरह ऐसे लगभग 50 हजार अभ्यर्थी हैं, जिनको एसएससी सीजीएल 2017 की परीक्षा के परिणाम का इंतजार है। अभ्यर्थियों ने इसके लिए सड़क से संसद तक की लड़ाईयां लड़ीं। दिल्ली में अठारह दिनों तक धरना दिया। लेकिन निराशा के सिवा अभी तक उनके हाथ में कुछ नहीं आया है।

एसएससी मुख्यालय के सामने एसएससी अभ्यर्थियों का प्रदर्शन (मार्च, 2018 नई दिल्ली)


एसएससी सीजीएल 2017 की तरह ही एसएससी सीएचएसएल 2017 (कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल) परीक्षा के भी करीब 53 हजार अभ्यर्थी परीक्षा परिणाम आने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बीते एक अप्रैल को टिप्पणी की, "लाखों बेरोजगार युवा सिर्फ इसलिए पीड़ित हैं क्योंकि संगठन का कोई व्यक्ति भ्रष्ट था।"

क्या है पूरा मामला?

कर्मचारी चयन आयोग (एसएसएसी) एक स्वायत्त सरकारी निकाय है, जो हर साल कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) नाम से एक परीक्षा करवाता है। इस परीक्षा के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों में बी और सी लेवल के कर्मचारियों की भर्तियां होती हैं। सामान्य भाषा में कहें तो इनकम टैक्स इंस्पेक्टर, एक्साइज ड्यूटी इंस्पेक्टर, सीबीआई सब इंसपेक्टर और कैग ऑडिटर सहित तमाम पद इसके अंतर्गत आते हैं।

यह परीक्षा तीन चरणों में होती हैं, जिसे टियर-वन, टियर-टू और टियर-थ्री परीक्षा कहते हैं। 2016 से यह परीक्षा ऑनलाइन हो गई जिसे 'सिफी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड' की सहायता से एसएससी आयोजित कराया जाता है।

एसएससी सीजीएल 2017 की परीक्षा की अधिसूचना 16 मई, 2017 को जारी हुई थी। 30 लाख 26 हजार अभ्यर्थियों ने इसका फॉर्म भरा। 15 लाख 26 हजार अभ्यर्थियों ने टियर वन की परीक्षाएं दी, जो 5 अगस्त, 2017 से 23 अगस्त, 2017 के बीच हुआ। एक लाख, 89, 843 अभ्यर्थी टियर-वन की परीक्षा में सफल हुए और टियर-टू की परीक्षा के लिए क्वॉलिफाई किया।

इसके बाद टियर-टू की परीक्षाएं 17 फरवरी से 22 फरवरी तक आयोजित की गईं। इसमें 21 फरवरी की परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया। जिसकी वजह से एसएससी ने 21 फरवरी की गणित प्रश्न पत्र को दोबारा फिर से 9 मार्च को आयोजित कराया।

पेपर लीक की खबरें आने के बाद कई अभ्यर्थियों ने एसएससी के खिलाफ नई दिल्ली सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थित एसएससी मुख्यालय के सामने 18 दिनों तक धरना दिया। इन अभ्यर्थियों का कहना था कि एसएससी सही तरीके से परीक्षा कराने में असफल रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी समयबद्ध (टाइमबाउंड) सीबीआई जांच होनी चाहिए। इसके अलावा अभ्यर्थी ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली कंपनी 'सिफी' को बदलने और एसएससी चेयरमैन असीम खुराना की इस्तीफे की भी मांग कर रहे थे।

तैयारी नहीं रूकनी चाहिएः एसएससी अभ्यर्थियों द्वारा मार्च, 2017 में किए गए धरना प्रदर्शन का एक दृश्य। कई अभ्यर्थी ऐसे भी दिखे थे जो धरना स्थल पर भी पढ़ाई कर रहे थे। (नई दिल्ली)


सरकार ने परीक्षा रद्द करने की मांग तो नहीं मानी लेकिन परीक्षा में गड़बड़ियों की शिकायतों को देखते हुए मामले को सीबीआई जांच के लिए भेज दिया। सीबीआई ने भी कार्रवाई करते हुए संदेहास्पद परीक्षार्थियों और अनाम एसएससी अधिकारियों सहित कुल 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। अभी भी पूरा मामला सीबीआई जांच के अधीन है, जिसकी प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट लेता रहता है।

इस दौरान एसएससी ने 8 जुलाई 2018 को टियर थ्री की परीक्षाएं आयोजित कराई, जिसमें टियर टू की परीक्षा में सफल 47003 अभ्यर्थियों ने भाग लिया।

अदालती कार्यवाहीः तारीख पे तारीख

वहीं दूसरी तरफ जुलाई, 2018 में ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। अभ्यर्थियों के एक दल ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को गड़बड़ बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की। जबकि एक धड़ा ऐसा भी था जो दोषियों पर कार्रवाई के साथ जल्द से जल्द परीक्षा का परिणाम चाह रहा था।

इस मामले में पहली सुनवाई 30 जुलाई, 2018 को हुई। 31 अगस्त, 2018 को हुई तीसरी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए इस परीक्षा के परिणाम पर रोक लगा दी। वहीं 29 अक्टूबर, 2018 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस परीक्षा को क्यों ना रद्द किया जाए?

लखनऊ के अंकित श्रीवास्तव ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया कि इस दौरान कई परीक्षार्थियों की सांसें अटक गई थीं। अंकित बताते हैं, 'हमने इस परीक्षा के लिए दो साल से तैयारी की थी। लगभग डेढ़ साल तक रिजल्ट का भी इंतजार किया। तीनों टियर की परीक्षाएं अच्छी हुईं थीं इसलिए उम्मीद थी कि परीक्षा निकल जाएगा। लेकिन कोर्ट के इस रिमार्क से हमें गहरा झटका लगा था।'

अंकित की तरह कई विधार्थी ऐसे हैं जो नहीं चाहते परीक्षा रद्द हो। इसके लिए वे लगातार धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं।


अंकित नहीं चाहते कि यह परीक्षा पूरी तरह से रद्द हो। फ्रस्टेशन में कहते हैं,

"अगर रद्द करना था तो इसे तभी रद्द कर देना चाहिए था। सीबीआई को भी अब तक की जांच में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं मिली है। तो परीक्षा रद्द करने का कोई तुक नहीं बनता है। कोर्ट, सरकार और एसएससी को चाहिए कि वह पेपर लीक के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई कर अंतिम परिणाम घोषित करें।"- अंकित श्रीवास्तव, लखनऊ


इंजीनियरिंग से स्नातक किए अंकित कानपुर की अपनी एक दोस्त का भी जिक्र करते हैं जो इस परीक्षा के परिणाम का इंतजार करते-करते डिप्रेशन का शिकार हो गईं। अंकित कहते हैं, "दो साल तैयारी, तीन टियर की परीक्षा और फिर दो साल तक रिजल्ट का इंतजार, कौन डिप्रेशन में नहीं आ जाएगा।"

आपको बता दें कि एसएससी-सीजीएल का यह मामला संसद में भी कई बार गूंजा है। सरकार से कई सांसदों ने इस संबंध में सवाल पूछे। सरकार ने हर बार यह जवाब दिया, 'मामले की सीबीआई जांच कर रही है।' सरकार, संसद और कोर्ट दोनों जगहों पर लगातार यह कह रही है कि यह पेपर लीक का मामला नहीं है।


एसएससी मामले में सरकार का संसद में दिया गया जवाब। लगभग ऐसा ही जवाब सरकार ने संसद और कोर्ट में हर बार दिया, जब भी उनसे सवाल पूछा गया।


सरकार ने कोर्ट में एक हलफनामा दायर करते हुए कहा है, उपरोक्त परीक्षाओं में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है। भारत के सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता ने माना,

"परीक्षा में कुछ गड़बड़ी हुई थी और उन सभी की पहचान सीबीआई द्वारा की गई जांच में हुई है। लेकिन यह गड़बड़ी इतनी बड़ी नहीं है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया जाए।"- सरकार का हलफनामा


अभ्यर्थियों का दर्द

राजस्थान के पिलानी के अभ्यर्थी महेश सिंह 'गाँव कनेक्शन' से फोन पर बताते हैं, "मेरे पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं। पहले मेरी बीटेक की पढ़ाई के लिए पिता जी ने कर्ज लिया। फिर दिल्ली में रहकर अच्छे इंस्टीट्यूट से तैयारी करनी थी तो फिर कर्ज लिया। मेरे लिए यह करो या मरो की स्थिति थी। नौकरी पाकर पिता जी का कर्ज चुकाना था। मैंने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की थी। लेकिन अब तक परिणाम नहीं आया है। कोर्ट की कार्रवाई भी काफी धीमी और झुंझला देने वाली है। अब मुझे कोई दूसरा विकल्प भी नहीं सूझ रहा।"

वहीं दिल्ली में रहकर तैयारी कर रहे रोहतक के सुमित पांचाल बताते हैं कि मां अब फोन पर मेरा हाल चाल लेने से पहले केस का स्टेटस पूछती है- 'मामले में आगे क्या कार्यवाही हुई, कोर्ट ने क्या कहा?' सुमित कहते हैं-

"मैं पिछले पांच साल से दिल्ली में रहकर पढ़ाई और तैयारी कर रहा हूं। घर में एक भी सरकारी जॉब नही है। इस सीजीएल की वजह से जिंदगी कहां से कहां आ गई। इस सीजीएल की वजह से मैंने अपना एलएलबी का कोर्स अधूरा छोड़ दिया था। अब मुझे पछतावा होता है कि मैंने अपनी मां की बात क्यों नहीं मानी। उन्होंने मुझे एलएलबी छोड़ने से मना किया था। इस केस की लंबी कार्यवाही से मैं तंग आ चुका हूं। जल्द ही कुछ फैसला आना चाहिए।"- सुमित पांचाल, रोहतक

सुमित ने एलएलबी का कोर्स छोड़ा था तो दिल्ली के ऋषभ श्रीवास्तव ने अपनी प्राइवेट जॉब छोड़ दी थी। बकौल ऋषभ,

"टियर टू अच्छा हुआ था तो लगा कि अब क्लियर ही हो जाएगा। इसलिए जॉब छोड़कर टियर थ्री की तैयारी करने लगा। लेकिन अब सब कुछ अधर में है और दुःखद ये है कि इसका जिम्मेदार मैं नहीं सिस्टम है।"- ऋषभ श्रीवास्तव

ऋषभ ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र का मजाक भी बताया।


कहां तक पहुंचा है यह मामला?

ताजा घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अप्रैल को एक अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च 2018 को दोबारा कराई गई टियर-टू परीक्षा का परिणाम जारी करने की इजाजत दे दी है। हालांकि अंतिम परिणाम पर अभी भी अनिश्चितता के बादल है। आपको बता दें कि भारत के कार्मिक विभाग ने 2016 में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसके अनुसार किसी भी सरकारी रिक्तियों की भरने की प्रक्रिया विज्ञप्ति की तारीख से छः महीने के अन्दर पूरी कर देनी चाहिए।

भारत के कार्मिक विभाग द्वारा 2016 में जारी किया गया सर्कुलर


इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन करने का भी सुझाव दिया है ताकि ऐसी परीक्षाओं की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। इस समिति के लिए इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि और प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक विजय पी. भाटकर को सदस्य बनाने का सुझाव कोर्ट द्वारा दिया गया है।

एक अप्रैल के सुप्रीम कोर्ट के रिमार्क की प्रति


सहरसा के आशीष पांडेय (24) ने कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "परीक्षा देने के दो साल बाद भी अभी तक कुछ साफ नहीं हो पाया है। हर महीने सिर्फ तारीखें मिल रही हैं, कोई निर्णय नहीं आ रहा। अब तो आगे की तैयारी करने के लिए ना तो मानसिक मजबूती बची है और ना ही आर्थिक ताकत। 2016 की परीक्षा अच्छी नहीं हुई थी तो 2017 की तैयारी जमकर की थी। तीनो टियर की परीक्षा अच्छी गई तो लगा कि बाबू या इंस्पेक्टर बन जाऊंगा। लेकिन अब 'उम्मीद' करने की भी उम्मीद नहीं बची है।" इसी निराशा के साथ आशीष फोन काट देते हैं।

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