मानसिक रूप से  अस्वस्थ लोगों की खुदकुशी की कोशिश पर नहीं होगी  सज़ा

Basant KumarBasant Kumar   9 April 2017 2:49 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मानसिक रूप से  अस्वस्थ लोगों की खुदकुशी की कोशिश पर  नहीं होगी  सज़ाखुदकुशी.

नई दिल्ली(भाषा)। मानसिक रुप से कमजोर किसी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या के प्रयासों को अब नये कानून के तहत अपराध नहीं माना जाएगा जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्वीकृति मिल गयी है।

इस कानून में मानसिक रोगियों के उपचार में एनेस्थीशिया के बिना इलेक्ट्रो-कन्वल्सिव थैरेपी (ईसीटी) या शॉक थैरेपी के इस्तेमाल पर पाबंदी का भी प्रावधान है।

‘मेरी बेटी कभी आत्महत्या नहीं कर सकती, मुख्यमंत्री जी एक बार जांच करवा दीजिए’

राष्ट्रपति ने शुक्रवार को मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम, 2017 को अपनी मंजूरी दे दी जिसके मुताबिक मानसिक रोगियों को किसी भी तरह से जंजीरों में नहीं बांधा जा सकता। इस कानून का उद्देश्य मानसिक रुप से अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिकार देना और उनके हक को सुरक्षित रखना है।

बोर्ड परीक्षा का तनाव छात्रों की आत्महत्या का कारण

विधेयक के अनुसार, ‘‘भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 309 में कोई भी प्रावधान हो, लेकिन उसके बावजूद कोई भी व्यक्ति यदि आत्महत्या का प्रयास करता है तो उसे, अगर अन्यथा कुछ साबित नहीं हुआ, अत्यंत तनाव में माना जाएगा और उस पर मुकदमा नहीं चलेगा और ना ही कथित संहिता के तहत दंडित किया जाएगा।''

आईपीसी की उक्त धारा आत्महत्या का प्रयास करने वाले के लिए उस अवधि तक साधारण कैद का प्रावधान रखती है जिसे जुर्माने के साथ या उसके बिना एक साल तक बढाया जा सकता है.

कानून के मुताबिक केंद्र या राज्य सरकार की अत्यंत तनाव से ग्रस्त व्यक्ति और आत्महत्या का प्रयास करने वाले को देखभाल, उपचार और पुनर्वास की सुविधा देने की जिम्मेदारी होगी ताकि खुदकुशी की कोशिश की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम किया जा सके।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.