तो क्या अब खुलेआम दुकानों में बिकेगी ऑक्सीटोसिन?

ऑक्सीटोसिन प्राकृतिक रुप से पैदा होने वाला हार्मोन है जो प्रसव के दौरान गर्भाशय संकुचन पैदा करता है और नयी माताओं को स्तनपान कराने में मदद पहुंचाता है, लेकिन डेयरी उद्योग में इसका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर होता है ।

Diti BajpaiDiti Bajpai   23 Aug 2018 1:30 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
तो क्या अब खुलेआम दुकानों में बिकेगी ऑक्सीटोसिन?साभार: इंटरनेट

नई दिल्ली (भाषा)। ऑक्सीटोसिन की बिक्री पर अपनी पाबंदी हटाते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी खुदरा दवा दुकानों को एक सितंबर से इस जीवन रक्षक हार्मोन को बेचने की अनुमति दी है।

मंत्रालय ने 27 अप्रैल को अपनी अधिसूचना में कहा था कि निजी दवा दुकानों के माध्यम से ऑक्सीटोसिन की बिक्री पर एक जुलाई से पाबंदी रहेगी और यह दवा केवल सरकारी अस्पतालों और क्लीनिकों में ही बेची जाएगी। बाद में उसने पाबंदी का क्रियान्वयन एक सितम्बर तक टाल दिया था। एक अधिकारी ने कहा, "सभी खुदरा दुकानों को ऑक्सीटोसिन बेचने की इजाजत है।"

ऑक्सीटोसिन प्राकृतिक रुप से पैदा होने वाला हार्मोन है जो प्रसव के दौरान गर्भाशय संकुचन पैदा करता है और नयी माताओं को स्तनपान कराने में मदद पहुंचाता है, लेकिन डेयरी उद्योग में इसका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर होता है । किसानों की सुविधा के हिसाब से दूध पाने के लिए पशुओं को यह सूई लगा दी जाती है। लौकी, तरबूजे, बैंगन, खीरे आदि सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए भी इस हार्मोन का उपयोग किया जाता है। सरकार पहले ही इसके आयात पर रोक लगा चुकी है।

यह भी पढ़ें- ये दूध डेयरी देखकर हो जाएंगे हैरान, भैंसों के लिए म्यूजिक सिस्टम से लेकर चटाई तक

सरकार ने घरेलू उपयोग के लिए ऑक्सीटोसिन का निर्माण केवल एक सरकारी कंपनी तक सीमित कर दिया है। सरकारी कंपनी कर्नाटक एंटीबायोटक्सि प्राइवेट लिमिटेड (केएपीएल) एक सितंबर के बाद ऑक्सीटोसिन का निर्माण एवं वितरण करने वाली एकमांत्र कंपनी होगी।

छह अगस्त को एक बैठक में मंत्रालय ने राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से खरीद का आदेश केवल केएपीएल को देने को कहा था ताकि सरकारी अस्पतालों एवं क्लीनिक में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की कोई कमी न हो।


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.