सजा-ए-मौत के लिए फांसी की जगह दूसरा विकल्प बताये सरकार: सुप्रीम कोर्ट

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सजा-ए-मौत के लिए फांसी की जगह दूसरा विकल्प बताये सरकार: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली। मौत की सज़ा के लिए फांसी के अलावा दूसरे विकल्पों के इस्तेमाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में अपना जवाब दखिल करने को कहा है।

याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि सजा-ए-मौत कैसे दी जाए, बल्कि, केंद्र सरकार बताए कि दूसरे देशों में मौत की सजा कैसे दी जाती है? इससे पहले 6 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के लिए दूसरे विकल्पों के इस्तेमाल संबंधी याचिका दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई वैकल्पिक तरीका भी हो सकता है। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दूसरे देशों में मौत की सज़ा के लिये क्या-क्या तरीके अपनाये जाते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार और हफ्ते समय दिया।

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायिका सजा-ए-मौत के मामले में फांसी के अलावा कोई दूसरा तरीका भी तलाश सकता है, जिसमें मौत शांति में हो, पीड़ा में नहीं। सदियों से ये कहा जाता रहा है कि पेनलेस डेथ की कोई बराबरी नहीं। कोर्ट भी कहता आया है कि हमारा संविधान दयालु है जो जीवन की निर्मलता के सिद्धांत को मानता आया है। ऐसे में विज्ञान में आई तेजी के चलते मौत के दूसरे तरीके को तलाशा जाए। अटार्नी जनरल को केस में मदद करने के लिए कहा गया है।

मामले में याचिकाकर्ता की दलील थी कि फांसी की सजा अमानवीय और बर्बर है। आज के सभ्य समाज में ये स्वीकार्य नहीं है। लिहाजा मौत की सजा ऐसी हो जिसमें दर्द कम हो। साथ ही मौत का डर भी नहीं सताए, क्योंकि मौत से ज्यादा मौत का डर ज्यादा दुखदायी होता है। याचिका में यह दलील भी दी गई कि फांसी की सजा में करीब 40 मिनट लगते हैं, जबकि इंजेक्शन, गोली मारने और बिजली के झटके से मारने में महज कुछ मिनट। ऐसे में मौत की सजा के तहत इन्हीं में से या ऐसे ही किसी तरीके को अपनाया जाना चाहिए।

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