सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में योग को अनिवार्य करने की मांग वाली याचिका खारिज की
गाँव कनेक्शन 8 Aug 2017 1:52 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय योग नीति बनाने और देशभर में पहली से आठवीं कक्षा के लिए योग को अनिवार्य करने की मांग को मंगलवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ''ये वो मुद्दे हैं जिन पर सरकार फैसला करती है, हम यह कहने वाले कोई नहीं हैं कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए।'' पीठ ने कहा कि यह हमारा काम नहीं है। हम इस पर निर्देश कैसे दे सकते हैं।
न्यायालय ने कहा कि उसके लिए ऐसी राहत देना संभव नहीं है जो याचिका दायर करने वाले वकील और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्वनि कुमार उपाध्याय तथा जे सी सेठ ने मांगी है। कोर्ट ने कहा, 'स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए यह मौलिक अधिकार नहीं है।'
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उपाध्याय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी, एनसीटीई और सीबीएसई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे ‘‘जीवन, शिक्षा और समानता जैसे विभिन्न मौलिक अधिकारों की भावना को ध्यान में रखते हुए पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए ‘योग और स्वास्थ्य शिक्षा’ की मानक किताबें उपलब्ध कराए।’’ उच्चतम न्यायालय ने गत वर्ष 29 नवंबर को केंद्र से कहा था कि वह याचिका को एक अभिवेदन की तरह ले और इस पर फैसला करे।
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याचिका में कहा गया था, ‘‘राज्य का यह कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों खासतौर से बच्चों और किशोरों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराए। कल्याणकारी राज्य में यह राज्य का कर्तव्य होता है कि वह अच्छे स्वास्थ्य के अनुकूल परिस्थितियों को बनाए रखना सुनिश्चित करें।’’ इसमें कहा गया था कि सभी बच्चों को ‘योग और स्वास्थ्य शिक्षा’ दिए बिना या योग का प्रचार-प्रसार करने के लिए ‘राष्ट्रीय योग नीति’ तय किए बिना स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित नहीं किया जा सकता।
Supreme Court dismissed the plea to make yoga compulsory in schools from class 1 to 8 across the country.
— ANI (@ANI_news) August 8, 2017
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