इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC का फैसला- सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को देनी होगी जानकारी
गाँव कनेक्शन 12 April 2019 6:10 AM GMT
लखनऊ। चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसाल सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी दल इस संबंध में 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को जानकारी दें। इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें, असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) नाम के एनजीओ ने इस मामले पर पीआईएल दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी दलों को 15 मई तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सीलबंद लिफाफे में 30 मई तक चुनाव आयोग को सौंप देनी होगी। इस जानकारी में चंदा देने वालों का ब्यौरा भी देना होगा। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ से कहा गया था कि चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत राजनीति में काले धन को समाप्त करने के लिए की गई थी। दानदाताओं की गोपनीयता अनेक कारणों से बनाए रखी जानी चाहिए। इनमें से एक कारण यह भी है कि अगर चुनाव में दूसरी राजनीतिक पार्टी अथवा संगठन जीतता है तो इस सूरत में किसी कंपनी पर प्रतिघात का भय न हो।
In an interim order, Supreme Court asks political parties to give details of donors who donated through electoral bonds, amounts received from them, details of payment received on each bond etc. to the Election Commission by May 30. https://t.co/LQ4JefXQCu
— ANI (@ANI) April 12, 2019
वहीं एडीआर ने अपनी याचिका में इस स्कीम की वैधता को चुनौती देते हुए कहा था कि इस स्कीम पर रोक लगाई जानी चाहि या फिर इसके तहत डोनर्स के नामों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। एडीआर की ओर से उपस्थित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि इस योजना का काले धन पर रोक लगाने के प्रयासों से कोई लेना-देना नहीं है। इस मामले पर चुनाव आयोग का पक्ष है कि वह इस तरह की फंडिंग के खिलाफ नहीं है, लेकिन चंदा देने वाले शख़्स की पहचान अज्ञात रहने के खिलाफ है।
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