अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार, कोर्ट ने स्वामी से कहा, आप पक्षकार नहीं

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अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार, कोर्ट ने स्वामी से कहा, आप पक्षकार नहींसुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर जल्‍दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत का मानना है कि दोनों पक्षकारों को और समय मिले। अदालत ने जल्‍द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वह पक्षकारों को ‘विमर्श के लिए और समय देना चाहता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि "हम नहीं जानते थे कि इस मामले में आप भी एक पक्ष हैं।” सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्‍वामी से पूछा कि "मामले में आप किस अधिकार से अदालत के समक्ष उपस्थित हुए हैं? हमारे पास अभी आपको सुनने के लिए समय नहीं है।”

दूसरी तरफ, स्‍वामी ने ट्वीट कर कहा कि वह जल्‍द ही दूसरा रास्‍ता अख्तियार करेंगे। उन्‍होंने लिखा, "जजों ने कहा कि उनके पास समय नहीं है और मामले को स्‍थगित कर दिया। दूसरे शब्‍दों में कहूं तो जो फैसला टालना चाहते थे, वे सफल हो गए। मैं जल्‍द दूसरा रास्‍ता निकालूंगा।” कुछ दिन पहले ही शीर्ष अदालत ने अयोध्‍या विवाद में मध्‍यस्‍थता की पेशकश करते हुए दोनों पक्षों से आपसी बातचीत के जरिए रास्‍ता निकालने को कहा था।

21 मार्च को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा ये मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है और दोनों पक्ष आपस में बैठ और बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करें। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा अगर दोनों पक्षो को लगता है तो वो खुद मध्यक्षता कराने के किए तैयार हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर पक्ष चाहे तो इस मामले में कोर्ट किसी को मध्यस्थ नियुक्त कर सकता है।

स्वामी ने जल्द सुनवाई की मांग की थी

कोर्ट ने तब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा था कि वो 31 मार्च को मामले की सुनवाई के लिए फिर से मेंशन करे। दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम मंदिर विवाद का मामला पिछले 6 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को रोजाना सुनवाई कर जल्द फैसला सुनाना चाहिए।

स्वामी की भूमिका पर सवाल

इधर बाबरी मस्जिद के पैरोकार मोहम्मद हासिम के बेटे के वकील और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को चिट्टी लिखकर सुब्रह्मण्यम स्वामी की भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। चिट्ठी में कहा गया है कि स्वामी ने जल्द सुनवाई की मांग की थी लेकिन इस मामले में वो पक्षकार नहीं हैं, बल्कि उन्होंने हस्तक्षेप याचिका डाली है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब तक ये तय नहीं किया है कि उनकी याचिका को स्वीकार किया जाए या नहीं। चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि स्वामी पक्षकारों के वकीलों को भी सुनवाई से जुड़ी जानकारी नहीं देते।

                

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