दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं, उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के साथ मिलकर करें काम : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उपराज्यपाल वहीं स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं जहां उन्हें संविधान यह अधिकार देता हो। उपराज्यपाल हर फैसले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते हैं।
गाँव कनेक्शन 4 July 2018 6:36 AM GMT
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि उपराज्यपाल को कैबिनेट की सलाह के हिसाब से ही काम करना होगा, वह स्वतंत्र नहीं हैं। इसके अलावा पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल वहीं स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं जहां उन्हें संविधान यह अधिकार देता हो। उपराज्यपाल हर फैसले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते हैं। उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को मिलजुलकर काम करना चाहिए। केंद्र-राज्य संबंध बेहतर होने चाहिए। संविधान पीठ के एक और जज जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि चुनी हई सरकार की जवाबदेही ज्यादा होती है।
पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।
Centre and Delhi Government power tussle matter in Supreme Court: Chief Justice of India Dipak Misra says 'The LG must work harmoniously with the state, the LG and council of ministers have to be constantly aligned.'
— ANI (@ANI) July 4, 2018
Its a good verdict by Supreme Court. LG and Delhi Govt have to work harmoniously,can't always have confrontation. Daily squabbles are not good for democracy. I welcome the decision: Soli Sorabjee,former Attorney General of India pic.twitter.com/pmeMyoNUnR
— ANI (@ANI) July 4, 2018
हाई कोर्ट के फैसले को पलटा
इससे पहले इसी मामले में 4 अगस्त 2016 को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और दिल्ली सरकार उपराज्यपाल की मर्जी के बिना कानून नहीं बना सकती। साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फैसले को मानने के लिए मजबूर नहीं हैं, वहीं दिल्ली सरकार को कोई भी अधिसूचना जारी करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी। लेकिन बुधवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हाई कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से पलट दिया है।
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल विवाद में दिल्ली सरकार का कहना था कि उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार को कोई काम नहीं करने देते और हर एक फाइल व सरकार के हर फैसले पर रोक लगा देते हैं। वहीं उपराज्यपाल की ओर से कहा गया था कि भले ही दिल्ली में चुनी हुई सरकार को लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य न होकर केंद्र शासित प्रदेश है। इसलिए दिल्ली के बारे में फैसले लेने और कार्यकारी आदेश जारी करने का अधिकार केंद्र सरकार को है।
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