ममता को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- केंद्र द्वारा बनाए कानून को राज्‍य कैसे दे सकता है चुनौती

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ममता को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- केंद्र द्वारा बनाए कानून को राज्‍य कैसे दे सकता है चुनौतीमुख्यमंत्री ममता बनर्जी। 

नई दिल्ली। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्‍चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को डांट लगाते हुए कहा कि वे इस मामले पर व्‍यक्‍तिगत रूप से याचिका दायर करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र द्वारा पारित कानून को राज्‍य कैसे चुनौती दे सकता है। पश्‍चिम बंगाल सरकार ने लिंकिंग को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी और अब इसे संशोधित कर दोबारा फाइल करेगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। टेलीकॉम कंपनियों को भी कोर्ट ने नोटिस भेजा है।

विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता और आधार लिंकिंग की तारीख सभी के लिए 31 मार्च 2018 तक बढ़ाने को लेकर सु्प्रीम कोर्ट में सुनवाई की गयी। पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च कर दी जाएगी। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा था कि समय सीमा सिर्फ ऐसे लोगों के लिये बढ़ाई जा रही है जिनके पास आधार नहीं है। ऐसे लोगों को आधार के लिये अप्लाई करना होगा। हालांकि अन्य सभी के लिए आखिरी तारीख 31 दिसंबर ही रहेगी।

उल्‍लेखनीय है कि विभिन्न योजनाओं के लिये आधार को अनिवार्य बनाने और इसे मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से जोड़ने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं आई हैं। इनमें से एक याचिका पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने सोशल वेलफेयर योजनाओं के लिये आधार की अनिवार्यता को चुनौती दी है।

इस याचिका पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच सुनवाई करेगी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता राघव तनखा ने आधार को मोबाइल फोन से जोड़ने की अनिवार्यता के खिलाफ याचिका लगाई है।

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