तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के पांच मजहबों के जज आज सुना सकते हैं ऐतिहासिक फैसला

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तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के पांच मजहबों के जज आज सुना सकते हैं ऐतिहासिक फैसलासुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुना सकती है।

लखनऊ। देश के सबसे अहम तीन तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। फैसला सुबह साढ़े दस बजे तक आ सकता है। बताते चलें कि तीन तलाक मामले में 11 मई से उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा था। 18 मई को सुनवाई खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ ने तीन तलाक मामले पर सुनवाई की थी।

पांच विभिन्न धर्मों के न्यायाधीश कर रहे हैं सुनवाई

इस मामले की खासियत ये है कि इसमें पांच अलग-अलग धर्मों को मानने वाले न्यायमूर्ति शामिल है। हांलाकि न्यायाधीश का कोई धर्म नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये सुनिश्चित कर दिया था कि अभी वो एक बार में तीन तलाक पर ही विचार करेगा। निकाह हलाला के मामले में पीठ बाद में विचार करेगी।

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याचिकाकर्ताओं की दलील

  • तीन तलाक महिलाओं के साथ भेदभाव है इसे खत्म किया जाये।
  • महिलाओं को तलाक लेने के लिये कोर्ट जाना पड़ता है। जब कि पुरूषों को मनमाना हक दिया गया है।
  • कुरान में भी तीन तलाक का जिक्र नहीं है।
  • यह गैरकानूनी एवं असंवैधानिक है।

केंद्र सरकार की दलील

  • ये धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है इसलिये इसे धार्मिक आजादी के मौलिक अधिकार में संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
  • तीन तलाक महिलाओं को संविधान में मिले बराबरी और गरिमा के साथ जीवन जीने के हक का हनन है।
  • पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित 22 मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके है।
  • अगर कोर्ट ने हर तरह का तलाक खत्म कर दिया तो सरकार नया कानून लाएगी।
  • सुप्रीकोर्ट मौलिक अधिकारों का संरक्षक है कोर्ट को फैसला देकर इसे खत्म कर देना चाहिये।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील

  • तीन तलाक अवांछित है लेकिन वैध है।
  • 1400 साल से चल रही है प्रथा।
  • पर्सनल लॉ में इसे मान्यता दी गई है। तलाक के बाद उस पत्नी के साथ रहना पाप है। धर्म निरपेक्ष अदालत इस पाप के लिये मजबूर नहीं कर सकती।

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उच्चन्यायालय की टिप्पणी

  • जो चीज ईश्वर की नजर में पाप है वो इंसान द्वारा बनाए कानून में कैसे वैध हो सकती है।
  • क्या तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है।
  • क्या निकाहनामे में मिहला को तीन तलाक को न कहने का हक दिया जा सकता है।
  • अगर हर तरह का तलाक खत्म कर दिया जाएगा तो पुरूषों के पास क्या विकल्प होगा।

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