निजता के अधिकार को लेकर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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निजता के अधिकार को लेकर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसलासुप्रीम कोर्ट।

लखनऊ। निजता के अधिकार को लेकर देश की सर्वोच्च न्यायालय आज आपना फैसला सुनाएगी। कोर्ट अपने फैसले में बताएगा कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

निजता के अधिकार पर बहस इसलिये शुरू हुई क्योंकि आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की दलील है कि बायोमैट्रिक डाटा और सूचनाएं एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के दो पहले के फैसलों में 8 न्यायाधीशों की पीठ कह चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक नहीं है।

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ऐसे में भारत सरकार और याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार के मामले को बड़ी पीठ के द्वारा सुने जाने की अपील की थी। जिसके बाद 9 न्यायाधीशों की पीठ गठित हुई थी। पीठ के अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस जे.चेलमेश्वर, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

ये है सरकार की दलीलें

निजता सन्निहित अधिकार है लेकिन ये कॉमन लॉ में आता है।

निजता का मामला परिस्थितियों पर तय होता है।

संविधान निर्माताओं ने इसे जानबूझकर मौलिक अधिकारों में शामिल नहीं किया था।

निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया तो तकनीक का सहारा लेकर गुड गर्वनेंस के प्रयास रूक जाएंगे।

याचिकाकर्ताओं की दलील

निजता सम्मान से जीवन जाने के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।

कोर्ट कई फैसलों में निजता के अधिकार को मान्यता दे चुका है।

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कोर्ट की टिप्पणी

कैसे परिभाषित किया जाएगा निजता के अधिकार को और उसका दायरा क्या होगा।

अगर मौलिक अधिकार माना गया तो किस आधार पर दी जाएगी चुनौती।

मेरा बच्चा स्कूल जाएगा ये मेरी पसंद है। ये निजता में नहीं आएगा लेकिन मै बेडरूम में क्या कर रहा हूं ये निजता का अधिकार होगा।

शादी, संतान या सेक्सुअल पसंद निजता का अधिकार हो सकता है।

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