85 कीटनाशकों पर बैन लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई, केंद्र को भेजा नोटिस

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
85 कीटनाशकों पर बैन लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई, केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट देश में 85 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई करने पर राजी हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मुद्दे पर केंद्र को नोटिस भी भेजा है। यह याचिका समाजसेवी और किसान मुद्दों के लिए काम करने वाली कविता कुरुगंती ने दायर की थी। कविता कुरुगंती की दलील है कि ये कीटनाशक नागरिकों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2018 में केंद्र सरकार ने 12 कीटनाशकों पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगाई थी।

जस्टिस अरुण मिश्रा और विनीत सरन की बेंच ने केंद्र और संबंधित पक्षों को नोटिस भेजा है। याचिका में यह मांग भी की गई है कि राज्य सरकारों को इस बात का अधिकार दिया जाए कि वे अपने स्तर पर कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ले सकें। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना था, "ये कीटनाशक दूसरे देशों में बैन हो चुके हैं लेकिन भारत में इनका इस्तेमाल जारी है। इससे किसानों की सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है।"

भारत में 100 से ज्यादा ऐसे कीटनाशक बिक रहे हैं, जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित हैं।

इस याचिका के मुताबिक, "घातक कीटनाशकों का लगातार इस्तेमाल किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों के जीवन के अधिकार के खिलाफ है। सेहत पर पड़ने वाले इनके दूरगामी दुष्प्रभावों को छोड़ भी दें और सिर्फ जहरीले असर की बात करें तो भी हालात बहुत गंभीर हैं, इन विषैले रसायनों को हटाने के लिए फौरन कदम उठाने की जरूरत है।"

यह भी देखें:
किसानों की जिंदगी और खेती को जहरीला कर रहीं कीटनाशक कंपनियां

कविता कुरुगंती ने अपनी याचिका में कहा है, "इन घातक कीटनाशकों का प्रयोग ऐसे समय में भी जारी है जब इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि जैविक खेती जैसी कृषि तकनीकें किसानों को लाभ दिलाने और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में कामयाब हैं।"

राज्य सरकारों की भूमिका पर याचिककर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है, "राज्य सरकारों को इस मामले में अधिकार न देना संविधान की सातवीं अनुसूची के खिलाफ है, जिसमें सूची नंबर दो में आइटम 14 के तहत खेती और पादप संरक्षण राज्य सरकारों के विषय बताए गए हैं।"

कीटनाशकों से यवतमाल में बीमार हुए थे 84 लोग

याचिका में इस बात की आशंका जताई गई है कि कीटनाशकों के जहर से होने वाली मौतें और उनकी वजह से किसान और मजदूरों के बीमार होने के मामले अभी और बढ़ेंगे क्योंकि अभी कपास जैसी फसलों पर दो और महीने कीटनाशकों का छिड़काव होना है। याचिका में महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के यवतमाल में कीटनाशकों की वजह से 84 लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और महाराष्ट्र के ही अकोला में 40 मौतों का जिक्र भी किया गया है। इनमें से एक मौत सरकारी अस्पताल में हुई थी।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा गया है कि वह, "आदेश पारित कर राज्य सरकारों को यह शक्ति दे कि राज्य कीटनाशकों के सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य संबंधी और वातावरणीय दुष्प्रभावों के मद्देनजर उन्हें अपने स्तर पर प्रतिबंधित कर सकें।"

यह भी देखें: कीटनाशकों पर पाबंदी लगाने में क्यों पिछड़ रही है सरकार ?

12 कीटनाशकों पर केंद्र सरकार ने लगाया था बैन

इससे पहले अगस्त 2018 में केंद्र सरकार ने बेनोमिल, फेनारिमोल, कार्बाराइल, मिथॉक्सी एथाइल मरकरी क्लोराइड, थियोमेटॉन समेत 12 कीटनाशकों पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया था। भारत में अब इनकी बिक्री, निर्माण और आयात-निर्यात नहीं होगा। इसके अलावा छह दूसरे कीटनाशकों ट्रायाजोफस, ट्राइक्लोरोफोन, एलाचलोर, डिचलोरवस, फोरेट, फोस्फामिडॉन को 31 दिसंबर 2020 के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया। ये कीटनाशक खाने और जमीन के साथ सतही और भूगर्भ जल को दूषित कर रहे थे। पशु-पक्षियों पर इसके घातक परिणाम दिख रहे थे।

गौरतलब है कि भारत में 100 से ज्यादा ऐसे कीटनाशक बिक रहे हैं, जो दूसरे एक या एक से ज्यादा देशों में प्रतिबंधित हैं। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कीटनाशक उत्पादक देश है। विश्व भर में प्रति वर्ष लगभग 20 लाख टन कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। टॉक्सिक लिंक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 108 टन सब्जियों को बचाने के लिए 6000 टन कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है। जबकि कुल कीटनाशकों में से करीब 60 फीसदी का उपयोग कपास में होता।

यह भी देखें: भारत में 12 कीटनाशकों पर तत्काल पाबंदी, जहरीले राउंडअप के खिलाफ भी उठी आवाज

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.