सफाई कर्मचारी दिवस पर चढ़ी चार सफाई कर्मियों की बलि

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सफाई कर्मचारी दिवस पर चढ़ी चार सफाई कर्मियों की बलिप्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। एक तरफ जहां पूरा देश सफाई कर्मचारी दिवस मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ सेफ्टी टैंक की सफाई करने के लिए गए चार सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश में बिना सुरक्षा उपकरणों के सफाई करने उतरे कर्मियों की जान चली गई। आपको बता दें कि 31 जुलाई को देश भर में सफाई कर्मचारी दिवस मनाया जाता है।

मध्य प्रदेश के देवास जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर पिपलरावा थाना इलाके के गाँव बरदु में सेफ्टी टैंक की सफाई करने के लिए घुसे चार सफाईकर्मियों की आज तड़के मौत हो गई। पिपलरावा थाना प्रभारी बीएल मीणा ने बताया, "मृतकों की पहचान विजय सिहोते, ईश्वर सिहोते, दिनेश गोयल और रिंकू गोयल के रूप में हुई है। ये सभी देवास के रहने वाले थे।"

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थाना प्रभारी आगे बताते हैं, "गाँव बरदु में सेफ्टी टैंक की सफाई के लिए देवास से पांच सफाईकर्मियों की टीम बुलवाई गई थी। यह सेफ्टी टैंक बरदु गाँव के रहने वाले कमल सिंह सेंधव के घर के सीवेज का था और उसने इन पांचों सफाईकर्मियों को 8,000 रुपये में इसे साफ करने का ठेका दिया था। यह टीम कल देर रात से ही काम कर रही थी।" मीण बताते हैँ, "इस बीच आधी रात के बाद टीम का एक सदस्य इस सेफ्टी टैंक से निकाली गई गंदगी को फेंकने के लिए टैंकर लेकर बाहर गया और जब वह वापस लौटा तो उसने देखा की उसके चारों साथी सेफ्टी टैंक में मृत पड़े मिले। ऐसा माना जा रहा है कि टैंक के अंदर दम घुटने के कारण हुई है।" मौके पर पहुंची पुलिस ने जेसीबी मशीन की सहायता से टैंक तोड़कर चारों के शव बाहर निकाले और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाये। मीणा ने बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।

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हर साल हो जाती हैं कई मौतें

भारत में 1964 से हर साल 31 जुलाई को सफाई कर्मचारी दिवस मनाया जाता है। सफाई कर्मचारियों की स्थिति में सुधार के लिए कई सारे नियम बनाए गए हैं। इन सारे नियमों के बावजूद भारत में सफाई कर्मचारियों की स्थिति में ज़्यादा परिवर्तन नहीं आया है। यहां बिना किसी सुरक्षा के ही उन्हें सीवर में उतरना पड़ता है। हर साल हज़ारों सफाई कर्मचारियों की गंदे नालों से निकलने वाली ज़हरीली गैसों की वजह से मौत हो जाती है। नियम तो यह है कि सीवेज की सफाई करते समय कर्मचारी के पास सूट, मास्क और गैस सिलेंडर होना चाहिए। इनका सूट स्पेसिफिक होता है जो गंदे पानी से कर्मचारियों की सुरक्षा करता है लेकिन उन्हें ये चीज़ें मुहैया नहीं कराई जातीं। एक गैर लाभकारी संगठन प्रैक्सिस इंडिया की 2014 में ज़ारी रिपोर्ट 'डाउन द ड्रेन' के मुताबिक, सिर्फ दिल्ली में ही एक साल में 100 से ज़्यादा सफाई कर्मचारियों की नालों और सीवर टैंकों की सफाई करने के दौरान हो जाती है।

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