किसान आंदोलन: सरकार और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की वार्ता: किसानों का सरकारी खाना खाने से इनकार, साथ ले गए हैं अपनी रोटी

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किसान आंदोलन: सरकार और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की वार्ता: किसानों का सरकारी खाना खाने से इनकार, साथ ले गए हैं अपनी रोटी

दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान आंदोलनकारियों और सरकार के बीच वार्ता चल रही है। वार्ता का पहला चरण पूरा हो गया है। किसानों ने इस चौथे दौर की वार्ता के दौरान सरकार सरकार की चाय पीने और खाना खाने से इनकार कर दिया। किसान नेताओं ने कहा कि वो वार्ता के लिए आते हैं खाना खाने नहीं।

बीते 26 नवंबर से जारी किसान आंदोलन के बीच किसान नेताओं और सरकार में लगातार वार्ता चल रही है। सरकार की तरफ से यह पूरी कोशिश है कि यह गतिरोध जल्द से जल्द खत्म किया जाए, हालांकि सरकार इन कानूनों को वापस लेने की मंशा में नहीं दिख रही है। वहीं किसान नेता लगातार इन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की निश्चितता के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इसके बिना वे सड़कों से वापस नहीं हटेंगे। किसान नेता तीन कृषि बिलों समेत कुल आठ मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, जिसमें कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी प्रमुख हैं।

इससे पहले एक दिसंबर को किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही थी। सरकार ने बातचीत के लिए किसानों के एक छोटे समिति को गठित कर वार्ता जारी रखने का सुझाव दिया था लेकिन सभी 32 किसान नेताओं ने इसे सिरे से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि अगर बातचीत होगी, तो सभी लोगों से एक साथ होगी। इस पर सरकार ने 3 दिसंबर को आगे की वार्ता करने का निर्णय लिया था।

यह बैठक राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हुई थी, जिसकी अगुवाई केंद्र सरकार की तरफ़ से कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने की। इसके अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में मौजूद थे। बैठक से निकलते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रही और उसी क्रम में अगली बातचीत 3 दिसंबर को होगी। "सरकार चाहती थी कि इसके लिए एक छोटी कमेटी का गठन हो, लेकिन किसान प्रतिनिधि चाहते हैं कि सभी लोग हर स्तर की वार्ता में शामिल हों। हमें उनका यह प्रस्ताव भी मंजूर है।"

वहीं किसान नेताओं ने कहा कि वार्ता के साथ-साथ किसानों का सड़क पर आंदोलन लगातार जारी रहेगा जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए जाए। किसान नेता हरपाल सिंह ने गांव कनेक्शन से बातचीत में कहा, "एक दिसंबर की बातचीत में कोई हल नहीं निकला था। सरकार बैठक में लगातार कह रही थी कि तीनों कानून किसान हित में हैं और इसके लिए वे हमें प्रजेंटेशन भी देकर समझा रहे थे। लेकिन हम मानने को तैयार नहीं हैं। अब तीन दिसंबर की वार्ता का इंतजार है।"

भारतीय किसान यूनियन (उगरहा) के नेता रूप सिंह सन्ना ने कहा कि सरकार लगातार छोटी कमेटी बनाकर वार्ता कहने को कह रही थी, जो कि हमें नामंजूर है। कोई भी बातचीत होगी, तो उसमें सभी 32 नेता मौजूद रहेंगे नहीं तो कोई वार्ता नहीं होगी। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार किसानों की बात मान लेगी। उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर 3 नवंबर की वार्ता भी बेनतीजा रहती है, तो किसान अलग-अलग कई रास्तों को जाम करेंगे।


गौरतलब है कि प्रारंभ में इस किसान आंदोलन में प्रमुख रूप से सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों की ही भागीदारी हो रही थी लेकिन अब जब आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है तो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक सहित अलग-अलग राज्यों के किसान संघ भी इस आंदोलन को समर्थन देने आगे आ रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हजारों किसानों के साथ उत्तर-प्रदेश-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर जमे हुए हैं। वह बुधवार शाम सिंघु बॉर्डर भी गए और अन्य किसान नेताओं से बातचीत भी की। बाद में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसान दिल्ली में कानूनों को वापस लेने तक टिके रहेंगे। उन्होंने कहा कि हो सके हम दिल्ली से 26 जनवरी मना कर वापस लौटे। जिस तरह से 26 जनवरी के दिन भारतीय गणतंत्र को लिखित संविधान मिला था, उसी तरह हमें भी उम्मीद है कि हम अपने लिए एक लिखित कानून पास करनवा कर, 26 जनवरी मनाकर दिल्ली से वापस लौटेंगे।

उधर एक दिसंबर को किसानों से वार्ता के बाद सरकार की तरफ से भी अहम मंत्रियों की बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर हुई। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने उम्मीद जताई है कि 3 दिसंबर की वार्ता से जरूर कोई ना कोई हल निकलेगा। इस बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी बात करेंगे। इस दौर की बातचीत में सरकार के दो सबसे अहम मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह के भी उपस्थित रहने की उम्मीद है।

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दिल्ली में नए कृषि कानूनों पर पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद कृषि मंंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्या कहा?


  

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