अब घाटे में नहीं रहेंगे छोटे चाय किसान

Ashwani NigamAshwani Nigam   7 Dec 2017 7:01 PM GMT

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अब घाटे में नहीं रहेंगे छोटे चाय किसानचाय की खेती।

लखनऊ। चाय की हरी पत्तियों का उचित दाम नहीं मिलने से बड़ी संख्या में छोटे किसान चाय की खेती को छोड़ रहे हैं लेकिन सरकार ने इन चाय किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था अब की है कि चाय किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिल सकेगा।

चाय का बाजार में क्या रेट चल रहा है इसकी जानकारी देने के लिए चाय बोर्ड ऑफ इंडिया ने एसएमएस सेवा की शुरुआत की है, जिसमें किसानों को चाय के न्यूनतम दाम की जानकारी मिल जाएगी। इस बारे में बताते हुए कंफेडरेशन ऑफ स्माल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजयगोपाल चक्रवर्ती ने बताया '' देश के सभी जिलों में चार की हरी पत्तियों का कम से कम कितना दाम होगा इसको फिक्स कर दिया गया है। किसानों को इसकी जानकारी एमएमएस के जरिए मिल जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब छोटे चाय किसानों से कम दाम पर कोई व्यापारी चाय की पत्तिया नहीं खरीद पाएगा।''

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देश में कुल चाय बागानों में से लगभग 28 प्रतिशत हिस्से पर छोटे किसान चाय उगाते हें। देश में चाय के कुल उत्पादन में छोटे चाय किसानों को योगदान 26 प्रतिशत है। देश में चाय का उत्पादन तीन सालों के बाद बढ़ रहा है। टी बोर्ड की तरफ से अक्टूबर में महीने में चाय उत्पादन के जो आंकड़े जारी किए गए उसके मुताबिक इस साल चाय उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 17.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही चाय के निर्यात में ही 6.56 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

पिछले कुछ सालों से चाय उगाने वाले किसानों की आमदनी घट रही थी जिसके कारण से चाय उत्पादक किसान चाय बागान से मुंह मोड़ रहे थे। जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय किसान समिति के सचिव और कंफेडरेशन ऑफ स्माल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि छोटे बागानों में एक किलो पत्ते पर 11 रुपये का उत्पादन खर्च आता है, लेकिन कभी-कभी ही ऐसा होता है कि एक किलो चाय पत्ती का दाम 10 रुपए किलो तक मिलता है। बाकी समय दाम 14 रुपये तक ही सीमित रहता है। ऐसे में साल-दर-साल चाय की खेती मार खा रही है।

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बिहार का किशनगंज जिला भी चाय की खेती के लिए जाना जाता है। यहां भी बड़ी संख्या में छोटे किसान चाय उत्पादक किसान हैं। यहां के चाय किसान अली अहमद का कहना है कि एक किलो हरी चाय पतती उगाने में हम किसानों का लगभग 10 रूपए का खर्च आता है, लेकिन कई बार इसे 4 से 5 रुपए प्रति किलो के भाव पर बेचना पड़ता है। जून से सितंबर तक पत्ते की उपज ज़्यादा होती है और टी प्रोसेसिंग यूनिट वाले जान-बूझकर रेट कम कर देते हैं।

पश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी जिला चाय की खेती के लिए जाना जाता है। उत्तर बंगाल के इस क्षेत्र में छोटे चाय किसानों की कुल संख्या करीब 1 लाख 20 हजार है। इस इलाके में बड़े, छोटे बागान और बॉटलीफ को मिलाकर कुल लगभग 1470 लाख किलो चाय का उत्पादन होता है।

छोटे चाय उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए सरकार भी काफी दिनों से कई योजनाएं बनाकर काम कर हरी है। चाय उत्पादक किसान गुणवत्ता वाली चाय पैदा कर सें और उनके उत्पाद को उचित कीमत मिल सके इसके लिए चाय समिति के जरिए सामूहिक रुप से लघु चाय उत्पादकों का स्वयं सहायता समूह बनाया जा रहा है।

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इस समिति के जरिए उनको सही तरीके से चाय की पत्तियों को इकट्ठा करने की व्यवस्था करने, परिवहन व्यवस्था और गुणवत्ता वाली चाय प्रसंस्करण फैक्टरियों के साथ समाझेदारी के लिए वित्तीय मदद दी जा रही है। इसके अलावा चाय के लिए भंडारण के लिए गोदाम, खरीदारी के लिए चाय की पत्तियों के वजन के लिए पैमाना, चाय को इकट्ठा करने के लिए प्लास्टिक का टोकरा, पत्तियां ले जाने वाले नॉयलान के बैग और चाय संग्रहण केंद्र की स्थापना के लिए 100 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

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