तेलंगाना: CM की बेटी के सामने चुनाव लड़ने उतरे 185 हल्‍दी किसान

Ranvijay SinghRanvijay Singh   30 March 2019 6:42 AM GMT

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तेलंगाना: CM की बेटी के सामने चुनाव लड़ने उतरे 185 हल्‍दी किसान

लखनऊ। तेलंगाना की निजामाबाद लोकसभा सीट से 185 हल्‍दी किसानों ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया है। किसानों ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि हल्‍दी किसानों की समस्‍या उजागर हो सके। किसानों की मांग है कि हल्‍दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया जाए। साथ ही हल्‍दी बोर्ड की स्‍थापना भी की जाए।

लोकसभा की इस सीट से मुख्‍यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कलवकुंतला कविता मौजूदा सांसद हैं और चुनाव भी लड़ रही हैं। ऐसे खबरें चल रही हैं कि किसानों ने उनके खिलाफ नामांकन दाखिल किया है। इन खबरों पर 'टरमरिक फार्मर एसोसिएशन ऑफ इंडिया' के तेलंगाना राज्‍य के अध्‍यक्ष के.नरसिम्‍हा नायडू कहते हैं, ''यह लड़ाई सिर्फ केसीआर के बेटी के खिलाफ नहीं है। यह सबके खिलाफ है, चाहे वो बीजेपी हो, कांग्रेस हो या टीआरएस। मुख्‍य मांग तो यह है कि सरकार हल्‍दी पर एमएसपी तय नहीं कर रही है। उसपर एमएसपी तय हो जाए तो किसानों के लिए राहत होगी। इसलिए किसानों ने यह कदम उठाया ताकि यह मुद्दा हाईलाइट हो सके।''

'टरमरिक फार्मर एसोसिएशन ऑफ इंडिया' के तेलंगाना राज्‍य के अध्‍यक्ष के.नरसिम्‍हा नायडू

नरसिम्‍हा नायडू बताते हैं, ''अभी किसानों को बाजार में हल्‍दी का दाम 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक मिलता है। कई बार इससे कम दाम में भी बेचना होता है। किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार हल्‍दी पर 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय कर दे। साथ ही हल्‍दी बोर्ड की स्‍थापना हो, जिससे किसानों को सहुलियत मिल सके।''

नरसिम्‍हा नायडू बताते हैं, 2014 में वो इसी मुद्दे को लेकर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उस वक्‍त उन्‍होंने हल्‍दी किसानों से अपील की थी कि वो भी नामांकन दाखिल करें, जिससे यह मुद्दा उठ सके। वो बताते हैं, ''उस वक्‍त 27 किसानों ने मेरे साथ नामांकन दाखिल किया था, जिसमें से 10 नामंकर रद्द कर दिए गए थे।''

नायडू बताते हैं, ''तेलंगाना में करीब दो लाख लोग हल्‍दी की खेती करते हैं। निजामाबाद में ही 50 हजार हल्‍दी के किसान हैं। निजामाबाद लोकसभा में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें से 5 विधानसभा में किसान हल्‍दी उगाते हैं। यह बहुत बड़ी संख्‍या है। इसे हल्‍दी बेल्‍ट के तौर भी जाना जाता है। आरमोर, बालकोंडा, कोरक्‍ला, जेगित्‍याल विधानसभा क्षेत्र हल्‍दी बेल्‍ट में आते हैं।''

2010 में हल्‍दी किसानों के धरने में पहुंचे राजनाथ सिंह।

नायडू बताते हैं, ''यह मांग 2006 से ही चली आ रही है। हम 2006 से लेकर 2014 तक चार बार दिल्‍ली में भी धरना कर चुके हैं। 2010 में जब धरना किया तो राजनाथ सिंह भी हमारे साथ थे। 2007 में हमारे धरने में धर्मेंद्र प्रधान भी आए थे। इस मांग के बारे में सबको पता है लेकिन लापरवाही बरती जा रही है।''

नामांकन दाखिल करने वाले एक किसान गंगाधर बडाम ने न्‍यूज एजेंसी भाषा को बताया कि, ''सरकार हल्दी और लाल ज्वार के लिए एमएसपी जैसे अपने चुनावी वादों को पूरा करने में नाकाम रही है। इसलिए हमलोग विरोध जताने के लिये चुनाव लड़ रहे हैं।''

निजामाबाद लोकसभा सीट से हल्‍दी किसानों के नामांकन भरने के बाद मौजूदा सांसद कलवकुंतला कविता ने एक जनसभा में कहा था कि, ''क्या मैं हल्दी बोर्ड के लिये मंजूरी दूंगी, या राजग सरकार देगी? मैं किसानों से अनुरोध करती हूं कि वे भाजपा नेताओं से इस मुद्दे पर सवाल करें। बोर्ड के गठन को लेकर केंद्र को मनाने के लिये मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की।''

यह भी पढ़ें: तेलंगाना विधानसभा चुनाव: के. चंद्रशेखर राव की सत्‍ता में क्‍यों हुई वापसी

वहीं, 'टरमरिक फार्मर एसोसिएशन ऑफ इंडिया' के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष देवशिगामणि भी सांसद कलवकुंतला कविता की बात से सहमती जताते हैं। वो कहते हैं, ''सांसद ने किसानों की हल्‍दी बोर्ड बनाने की मांग सुनी थी और उसे माना भी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसपर आदेश नहीं आया, इसलिए यह बन नहीं पाया है।'' वो कहते हैं, ''हल्‍दी के दाम हर रोज नीचे गिर रहे हैं और जो दाम मिल रहे हैं वो जायज नहीं हैं, साथ ही घाटे का सौदा भी है। तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री खेती को बहुत महत्‍व दे रहे हैं लेकिन हल्‍दी की खेती के लिए कुछ खास नहीं कर रहे। सरकार को हल्‍दी के दाम तय करने चाहिए।''

निजामाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

निजामाबाद लोकसभा सीट पर मुख्‍य लड़ाई तेलंगाना राष्‍ट्रीय समिति (टीआरएस), बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। टीआरएस से मौजूदा सांसद कलवकुंतला, बीजेपी से डी. अरविंद और कांग्रेस से मधु याशकी गौड़ यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने निजामाबाद लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले नौ विधानसभा क्षेत्रों में से आठ पर जीत दर्ज की थी। आंध्र प्रदेश से अलग होकर नया राज्‍य बने तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं। इन सभी सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होगा।


  

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