स्वतंत्रता दिवस विशेष: काकोरी कांड में शहीद हुए थे ठाकुर रोशन सिंह, आज इनके परिवार के पास नहीं है घर

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रामजी मिश्रा, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

काकोरी (यूपी)। 9 अगस्त की तारीख भारतीय इतिहास की वो तारीख है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। इसी दिन 1925 का काकोरी कांड इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। काकोरी कांड की लूट में शामिल तमाम आजादी के दीवाने नौजवानों को गिरफ्तार किया गया। इन नौजवानों में कुछ को फांसी की सजा भी हुई, जिनमें से एक थे ठाकुर रोशन सिंह। स्‍वतंत्रता सेनानी होने के बाद भी इनके गांव में मूलभूत कोई सुविधा उपलब्‍ध नहीं है। इनका परिवार लाख कोशिश के बाद भी बदहाली की जिंदगी गुजार रहा है।

ठाकुर रोशन सिंह के गांव का नाम नवादा दरोवस्त है। 22 जनवरी 1892 को जन्में इस सपूत को काकोरी कांड में दोषी करार देते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने 19 दिसम्बर 1927 को फांसी दे दी थी। यह गांव शाहजहांपुर जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर है।

इस गांव के ही भारतीय सेना में कैप्टन रह चुके और वर्तमान प्रधान पति अशोक सिंह बताते हैं कि उन्हें जब फांसी की सजा सुना दी गई तो उन्होंने ठाकुर हुकुम सिंह को 14 तारीख को एक पत्र लिखा। हुकुम सिंह ठाकुर रोशन सिंह के जिगरी दोस्त थे। उन्हें काकोरी कांड की पूरी जानकारी थी, लेकिन वह इस केस में नहीं फंसे। रोशन सिंह ने अपने खत में नीचे लिखा था "जिंदगी जिंदादिली का नाम है रोशन, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।"

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वहीं ठाकुर रोशन सिंह के छोटे लड़के बृजपाल सिंह, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। रोशन सिंह के परपोते और बृजपाल के लड़के स्वर्गीय प्रमोद सिंह की पत्नी गुड्डी देवी ने बताया कि उन्हें तमाम कठिनाइयों के बाद भी विधवा पेंशन, शौचालय और कालोनी नहीं मिली। उनका घर टूट रहा है। उनके पति का 2 साल पहले देहावसान हो गया था। थोड़ी बहुत खेती से घर का खर्च चलता है।

ठाकुर रोशन सिंह के परपौत्र जितेंद्र प्रताप सिंह गांव के ही सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं। वह बताते हैं कि 30 दिसम्बर 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ गांव को आये थे। विकास कार्य शुरू हुआ है, अभी हाल ही में यहां बिजली की व्यवस्था कराई गई है।

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ठाकुर रोशन सिंह के भतीजे राम गोपाल सिंह बताते हैं कि ठाकुर रोशन सिंह के पास आंदोलन चलाने के लिए पैसा नहीं बचा तो उन्होंने का पूरी स्टेशन से सरकारी खजाना लूट लिया। ठाकुर रौशन सिंह की कुर्बानी के बाद आजादी तो मिली लेकिन उनका खुद का गांव अभी तक तमाम संघर्ष झेल रहा है। यह विडंबना नहीं तो और क्या है। यहां न सड़के हैं और ना ही कोई विकास।

पूर्व प्रधान पति जय देव प्रसाद बताते हैं कि ठाकुर रोशन सिंह को गिरफ्तार करके लहड़ुआ (बैलगाड़ी ) पर ले जाया गया था। आज उनके बलिदान की वजह से गांव को प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने डिग्री कालेज, पुल और सड़कें दी हैं। यह गांव तीन तरफ से नदी से घिरा हुआ है, पहले यहां नदी का सैलाब आने से बहुत नुकसान होता था।

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गांव के श्रीपाल सिंह बताते हैं कि गांव के लोग नदी को पार करने के लिए कछुआ पुल मांगने गए थे। जब ग्रामीणों की बात आदित्यनाथ योगी तक पहुंची तो उन्होंने कहा कि क्या ठाकुर रोशन सिंह के गांव में आज भी पुल नहीं है। इसके बाद उन्होंने कहा कि इस गांव के लिए हम पक्का पुल देते हैं।

रोशन सिंह के गांव के आसपास पक्की सड़कें हैं लेकिन गांव के अंदर सड़कों की हालत बहुत खराब है। जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। चारों ओर गंदगी के ढ़ेर हैं। इस संबंध में प्रधान पति कैप्टन अशोक सिंह ने बताया कि यहां पर सफाई कर्मी नहीं हैं। पूर्व में इस गांव का कोई विकास नहीं हुआ था। गोद लेने के बाद भी यहां के सांसद ने इस गांव में कोई कार्य नहीं कराया।

लोगों को अभी भी चिकित्सा के लिए दस से पन्द्रह किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। हालांकि गांव में अस्‍पताल का निर्माण जल्‍द शुरू होने वाला है। वहीं अब गांव में अस्‍पताल के अलावा डिग्री कालेज के बनने का काम भी जल्दी ही शुरू होने जा रहा है।

इस मामले को लेकर जब तिलहर उपजिलाधिकारी मोइन इस्लाम से बात की गई तो उन्‍हें कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, मैं बीडीओ को इस संबंध में कह दे रहा हूं। उनकी जो भी समस्याएं होंगी उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलकर दूर कराया जाएगा। ऐसी कोई समस्या है तो तुरंत इसे जांच कराएंगे और उचित सहायता भी कराई जाएगी।

   

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