दिल्ली : 15 साल पहले खत्म हो चुका था करार, बावजूद इसके डलता रहा कूड़ा

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दिल्ली : 15 साल पहले खत्म हो चुका था करार, बावजूद इसके डलता रहा कूड़ाइस घटना के बाद लापरवाही की खबरें भी सामने आने लगीं।

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को एक ऐसी दुर्घटना हुई जिसने पूरी दिल्ली को हिलाकर रख दिया। पूर्वी दिल्ली के बाहरी क्षेत्र स्थित गाजीपुर में शुक्रवार को कूड़े के पहाड़ का एक हिस्सा गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद लापरवाही की खबरें भी सामने आने लगीं।

गाजीपुर के जिस कचरा स्थल पर पूर्वी दिल्ली का कूड़ा डाला जा रहा था वहां कचरा डालने की मियाद 15 साल पहले 2002 में ही समाप्त हो गई थी, लेकिन तमाम चेतावनी को नजरअंदाज करके वहां कूड़ा फेंका जा रहा था। कूड़े के इस ढेर के लिए 20 मीटर ऊंचाई को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इसकी ऊंचाई 50 मीटर को पार कर चुकी थी। इसकी ऊंचाई को देखते हुए यहां कभी भी दुर्घटना संभावित थी, जो शुक्रवार को हुई भी।

लापरवाही से गिरा कूड़े का पहाड़?

गाजीपुर की सैनिटरी लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ के गिरने के मामले में ईस्ट एमसीडी के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से इस साइट को लेकर चिंता जाहिर करने के बावजूद एमसीडी की ओर से कदम नहीं उठाए गए।

दिल्ली में मॉनसून से पहले उससे निपटने की तैयारियों पर एमसीडी लाखों रुपये खर्च भी करती है। बारिश में कूड़ा ढीला होने की समस्या भी नई नहीं है। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 50 से 60 मीटर की उंचाई तक कूड़ा डाला जा चुका है। ईस्ट एमसीडी डीडीए से जगह की मांग करती रही। इसके अलावा अन्य प्रॉजेक्ट भी शुरू नहीं हो पाए। इसकी वजह से यहां कूड़े का यह ढेर बढ़ता ही गया।

इस घटना के बाद ईस्ट एमसीडी के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी लेने से बचते दिखाई दिए। कई अधिकारियों ने अपने फोन तक स्विच ऑफ कर लिए। निगम से मिली जानकारी के अनुसार 29 नवंबर 2016 को केंद्रीय सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के साथ करार हुआ था। इसके मुताबिक 29.62 हेक्टेयर जमीन पर फैले इस कूड़े के पहाड़ पर कूड़े को निकालने, उसे अलग करने और एनएच-24 के विस्तार में उपयोग किया जाना था, लेकिन योजना कागजों में ही फंसी रह गई। ईस्ट एमसीडी की मेयर नीमा भगत ने बताया कि पिछले कई सालों से लैंडफिल साइट के लिए हम डीडीए से जगह मांग रहे हैं। लेकिन हमारी समस्याओं को सुना ही नहीं गया। यह जानकारी हम हाईकोर्ट में भी दे चुके हैं। एनएचआई से करार भी हुआ, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। इस मामले की पूरी जांच होगी और इसके लिए एक जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि लग रहा है कि बारिश की वजह से कूड़ा ढीला होकर गिरा है।

डीपीसीसी ने चेतावनी दी

डीपीसीसी ने भी इस साइट पर खतरे की आशंका को देखते हुए ईस्ट एमसीडी को तैयारियां करने के लिए कहा था। लेकिन ईस्ट एमसीडी ने कोई कदम नहीं उठाए। डीपीसीसी के मेंबर सेक्रटरी एसएम अली ने कई बार ईस्ट एमसीडी को इस साइट के बारे में चेतावनी दी थी। 2012 से लेकर 2016 तक कई बार पत्र लिखे गए। अंतिम पत्र 8 दिसंबर 2016 को लिखा गया था। इसमें ईस्ट एमसीडी के चीफ इंजिनियर को कहा गया था कि गाजीपुर साइट एक बड़ा खतरा बन रही है।

इस पर बार-बार आग लग रही है। इस पत्र में कहा गया था कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के मुताबिक अन इंजिनियर्ड लैंडफिल साइट किसी कीमत पर नहीं सहन की जाएंगी। इस साइट पर आग को रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के पानी का इस्तेमाल करें, साथ ही कंस्ट्रक्शन ऐंड डिमॉलिश वेस्ट से कवर करें। यह काम पंद्रह दिन में किया जाना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद ईस्ट एमसीडी ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इन वजहों को भी हादसे का जिम्मेदार माना जा रहा है।

पूर्वी नगर निगम के कमिश्नर रणबीर सिंह ने बताया कि वह सरकारी एजेंसियों से बात कर कूड़ा फेंकने के लिए एक वैकल्पिक साइट तलाशने की कोशिश करेंगे। बता दें कि गाजीपुर का कचरा साइट पूर्वी नगर निगम के क्षेत्र में ही आता है। वरिष्ठ नगर निगम के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने डीडीए से कई बार जमीन मुहैया कराने की अपील की थी। पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने दावा किया, 'मैंने उपराज्यपाल अनिल बैजल से कूड़ा फेंकने का स्थान बदलने के लिए बात की है। साथ ही मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग की है।'

            

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