अहमदाबाद (गुजरात)। “हमारे यहां सोमवार (17 मई) सुबह से शाम 4 बजे तक धीमी हवा के साथ बरसात हो रही थी। अचानक शाम को 5 बजते-बजते तेज हवा चलने लगी और बिजली कट गई। रात के 8 बजे हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि मानो खुले में अगर गाड़ी खड़ी हो तो वह उड़ा जाए। इसके बाद 5 से 6 घंटे आंखों में नींद नहीं बल्कि डर था। हम मना रहे थे कि हमारा परिवार किसी तरह सुरक्षित बच जाए।,” तबाही के उस मंजर को याद करते हुए दीव की रहने वाली विजया लक्ष्मी ने गांव कनेक्शन को बताया।
दीव की रहने वाली विजया लक्ष्मी उन लोगों में से एक हैं, जो चक्रवात का यह रूप देखने के बाद हवा की रफ्तार को भूल नहीं पा रहे हैं।
चक्रवाती तूफान तौकते ने उस वक्त भारत पर अपना कहर बरपाया है, जब देश पहले ही कोरोना महामारी की मार झेल रहा है। लगभग एक सप्ताह पहले मौसम विभाग ने तौकते चक्रवात के जन्म लेने की भविष्यवाणी की थी। पूर्वानुमान जताया गया था कि अरब सागर में उथल पुथल होने के साथ दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक कम दबाव क्षेत्र बन रहा है। ऐसे में अरब सागर से सटे लक्षद्वीप के अलावा अरब सागर की लहरें चक्रवात का रूप लेकर केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, मुंबई, गोवा, गुजरात को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगी और हुआ भी यही। इस तूफान का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र और गुजरात में देखने को मिला। दोनों ही राज्यों में भारी नुकसान हुआ।
दीव में तहस-नहस हुआ करोड़ों की लागत वाला सोलर प्लांट
केंद्र शासित प्रदेश दीव, जिसे देश के पहले सोलर प्लांट से बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का दर्जा भी प्राप्त है। इस चक्रवात के चपेट में आने के बाद यहां की हालत काफी बदल चुकी है। तौकते चक्रवात के चलते करोड़ो रुपये की लागत से समुन्द्र के किनारे गंगेश्वर महादेव के समीप फुदम क्षेत्र के मलाला गांव में लगा सोलर प्लांट करीब 80 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हो चुका है।
विजया लक्ष्मी ने आगे बताया, ” सागर की लहरों की आवाज हर रोज हम सुनते थे, लेकिन सोमवार (17 मई) की रात में ये आवाज काफी डरावनी लग रही थी। रात को तीन बजे के बाद हवा की रफ्तार कम होने लगी और अगले दिन (18 मई) सुबह तक पूरी तरह से शांत हो गई। दोपहर तक धूप भी निकल आई, लेकिन जब हम अपने घर से बाहर निकले तो जो मंजर देखा वो सोमवार शाम 5 बजे से पहले वाला नहीं था। सड़कों पर पेड़ गिरे हुए थे, सागर के किनारे बसे लोगों के मकान तहस-नहस हो चुके थे और बोट पूरी तरह से बर्बाद हो गईं थीं।”
वहीं दीव कलेक्टर सोलोनी राय 19 मई की शाम मीडिया से बात करते हुए बताती हैं, ” दीव प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है कि जितना जल्दी हो सके हालात सामान्य किए जा सकें। इसके साथ ही 9 टीमें फील्ड में राहत बचाव के कार्य मे लगी हैं। इसके साथ ही एनडीआरएफ, आर्मी के जवान भी बड़े स्तर पर कार्य कर रहे हैं। पावर सप्लाई एवं नेटवर्किंग पर काम किया जा रहा है। अभी तक से मिली सूचना के अनुसार 5 हजार से अधिक पेड़ टूटे है और 40 से अधिक मकानों को नुकसान पहुंचा है। साथ ही सरकारी मकान भी क्षतिग्रस्त हुए है। वही मछली व्यवसाय से जुड़े लोगों की 30 से अधिक बोट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के अनुमान है।”
“दीव में बिजली व्यवस्था को सुचारू करने के लिए अस्थायी तौर पर स्थानीय प्रशासन ने अमरेली एवं राजकोट से 30 के आसपास जनरेटर मंगवाए हैं, जो एरिया वाइज 1 से 2 घंटे लोगों को बिजली सप्लाई दे रहे हैं। इससे लोगों को पानी भरने समेत अन्य जरूरी काम करने में राहत मिली है। इसके अलावा दीव प्रशासन की ओर से आपदा के आने से पहले 1600 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया, ” दीव कलेक्टर ने आगे कहा।
वहीं बिजली आपूर्ति (21 मई की शाम तक) बहाल नहीं होने के चलते दीव प्रशासन ने 21 मई को लोगों को मोबाइल चार्ज करने की सुविधा देते हुए सरकारी अस्पताल, कलेक्टर आफिस आदि जगहों पर मोबाइल चार्जिंग पॉइंट लगाए हैं।
गुजरात में उजड़े आम के बाग व नारियल के पेड़
17 से 19 मई के बीच तौकते के गुजरात पहुंचने के अनुमान के साथ ही सरकार ने मछुवारों को समंदर नहीं जाने का आदेश जारी किया। इसके साथ ही अधिकारियों को सरकार की ओर से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का आदेश भी दिया गया। 17 मई को आखिरकार दोपहर के बाद तूफान ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू किया और इसके साथ ही तबाही के मंजर सामने आने लगे। हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि अपने रास्ते मे पड़ने वाली सभी चीजों को खत्म करती गई। तूफान ने घंटे भर में ही प्रभावित जिलों की स्थिति बदल दिया। सड़क, बगीचे, पेड़, बिजली के खम्बे, सोलर प्लांट, मकान, नाव सहित अन्य चीजों को भारी नुकसान हुआ।
इस चक्रवात की वजह से गुजरात के गिर सोमनाथ, अमरेली, द्वारका, सूरत, भावनगर, जूनागढ़, पोरबंदर सहित अन्य जिलों में तेज रफ्तार हवा के साथ बरसात ने तबाही मचाई।
अमरेली के कलेक्टर आयुष ओक ने 21 मई को ट्वीट कर कहा, “आपदा नियंत्रण, एचएएम रेडियो और जिला पुलिस 5 सबसे अधिक प्रभावित तालुकों में वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने की प्रक्रिया में है। यह नेटवर्क राहत पहुंचाने में मदद करेगा। क्योंकि पेयजल पहुंचाना, रोजगार खो चुके और संपत्ति के नुकसान के लिए लोगों को मुआवजा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
Disaster control, HAM radio and district police is in the process to establish a wireless network in 5 most affected talukas. This network will help in relief as drinking water, cash doles and compensation for loss of livelihood and property is top priority @ddoamreli @SP_Amreli
— Collector & DM Amreli (@CollectorAmr) May 21, 2021
इसके अलावा इलाके में मोबाइल नेटवर्क के सुचारू रूप से दोबारा काम करने को लेकर उन्होंने कहा, “जिले में 842 मोबाइल टावरों में से 118 क्षतिग्रस्त हैं और 522 बिजली न होने के कारण काम नहीं कर रहे हैं। सभी कंपनियों ने नेटवर्क को चालू करने के लिए टीमों को तैनात किया है। हम इस काम पर लगातार नजर रख रहे हैं।”
Out of 842 mobile towers in the district 118 are damaged and 522 are non functional due to power cuts .. all service providers have deployed teams to make the entire network functional.. kindly keep patience we are monitoring their activities continuously
— Collector & DM Amreli (@CollectorAmr) May 21, 2021
गिर सोमनाथ जिले में सोमवार (17 मई) की दोपहर के बाद तौकते ने अपनी उपस्थिति दर्ज की और उसके कुछ ही घंटों में यहां के बगीचे में लगे आम झड़ गए, नारियल के पेड़ टूट गए एवं बोट बर्बाद हो गईं। जिले के वेरावल के साथ ऊना, राजपरा, नवाबन्दर और कोस्ट एरिया ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
“केवल वेरावल में 7 से ज्यादा फिशिंग बोट बर्बाद हो चुकी हैं। तीन बोट तो समंदर में डूब गई। वहीं 4 बोट बर्बाद हो गई, जिनको रिपेयर करने में कम से कम 4 से पांच लाख रुपये का खर्च आएगा, ” तुलसी गोहेल ने गांव कनेक्शन को बताया, जो श्री खारवा संयुक्त मच्छीमार बोट एसोसिएशन. वेरावल के अध्यक्ष हैं।
गोहेल आगे कहते है, “एक बड़ी फिशिंग बोट बनाने में 40 से 50 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन सराकर की ओर से कोई मदद नही मिलती है। 200 के आस पास रोज बड़ी और छोटी नाव मछली पकड़ने के लिए समंदर में जाती हैं। 23 साल में ऐसा तूफान नहीं देखा, लेकिन पिछले 2 साल से ऐसी स्थिति बन रही है।”
इसके साथ हमने जिले के राजपरा, नवाबन्दर इलाके के लोगों से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन नेटवर्क में दिक्कत होने के चलते उनका मोबाइल बंद आया।
उधर, सोमनाथ जिले में आम के बाग, नारियल और केला की खेती से काफी लोग जुड़े हुए हैं। हमने जब तलाला आम मार्केट के सेक्रेटरी हर सुख जारखनिया से बात की तो उन्होंने कहा, “एक ही क्षण में करोड़ों का व्यवसाय करने वाले की आम के बाग बर्बाद हो गए। आज आम के बगीचे में एक भी आम नहीं है। सरकार एवं अधिकारियों से विनती है कि जो किसान एक साल की मेहनत के बाद आम की कमाई करते हैं, उनके लिए कोई सहयोग राशि मुहैया कराई जाए।”
वहीं कोडिनार तहसील के कडोदरा गांव के रहने वाले बाबू परमार ने 2 एकड़ में 300 छोटे-बड़े नारियल के पेड़ लगाए हुए हैं। इस तूफान से 50 पेड़ बर्बाद हो गए। बाबू परमार बताते हैं, ” एक नारियाल का पेड़ साल का एक हजार रुपए देता है और 30 वर्ष तक लगातार फल देता हैं। आप ही अनुमान लगा लीजिए कि मेरा कितना नुकसान हुआ है।” इसी गांव के केशु परमार ने 2 एकड़ में केले की खेती की थी, जो आज पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
चक्रवात के जानकार महेश पलावत बताते है, “पिछले 23 वर्षो बाद इस तरह का चक्रवात गुजरात में आया है। 9 जून 1998 में कच्छ जिले के कांडला क्षेत्र में ऐसा चक्रवात आया था। उसके बाद अब यह दूसरा चक्रवात है। आगे भी ऐसे चक्रवात आते रहेंगे।” इसके पीछे की वजह के बारे में वे बताते है, “अरब सागर गर्म हो रहा है, जिसके चलते ऐसे चक्रवात का जन्म हो रहा है और इसका कारण क्लाइमेट का बदलना है। इसके साथ ही गुजरात में पिछले दो सालों में चक्रवात आने के मामले बढ़े है।”
सीएम ने किया गिर सोमनाथ और अमरेली का हवाई सर्वे
गुरुवार (20 मई) को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गिर सोमनाथ और अमरेली के प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और ग्रामीण लोगों से मुलाकात की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने ट्वीट के माध्यम से बताया, “मृतकों के परिवारों को राज्य सरकार की ओर 4 लाख रुपये एवं केंद्र सरकार की ओर से 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ कुल 6 लाख रुपये दिए जाएंगे। वहीं घायलों को राज्य सरकार की ओर से 50 हजार रुपये और केंद्र सरकार की ओर से भी 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।”
इससे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (19 मई) को केंद्र शासित प्रदेश दीव के अलावा गुजरात के गिर सोमनाथ, अमरेली जिला के जफराबाद, भावनगर जिले के महुआ इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। इस दौरान उन्होंने राज्य को 1 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
इस बीच, इस तबाही के बाद सरकार पूरी तरह से राहत बचाव कार्य में जुटी है। सरकार की ओर से प्रभावित जिलों में नुकसान का अनुमान लगाने के लिए अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है।