हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है फिल्म ‘द ब्रदरहुड’, साफ करेगी अखलाख हत्याकांड की तस्वीर

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हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है  फिल्म ‘द ब्रदरहुड’, साफ करेगी अखलाख हत्याकांड की तस्वीरजैसलमेर के किले का एक दृश्य। भाटी गोत्र वाले लोग वर्ष 1530 में जैसलमेर से ग्रेटर नोएडा पहुंचे थे।

लखनऊ। ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गाँव में 28 सितम्बर 2015 को अखलाख हत्याकांड घटना पूरे देश भर को याद है। यहीं के दो गाँव घोड़ी बछेड़ा और तिल बेगमपुर में हिन्दू-मुस्लिम रिश्तों की हकीकत शानदार मिसाल है, जिसे बयां करेगी डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द ब्रदरहुड”।

दादरी के बिसाहड़ा कांड ने पूरी दुनिया के सामने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच रिश्तों की काली तस्वीर पेश की, लेकिन हकीकत इससे बिलकुल विपरीत है। ग्रेटर नोएडा में हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्थानीय संस्कृति को पेश करती डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द ब्रदरहुड” जल्दी रिलीज होने वाली है। डॉक्यूमेंट्री जर्नलिस्ट पंकज पाराशर ने निर्देशित की है। पंकज पाराशर कई मुद्दों पर शार्ट फिल्म और डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं।

दादरी का रेलवे स्टेशन।

करीब 24 मिनट की अवधि वाली डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत दादरी के बिसाहड़ा गाँव से होती है। जहां 28 सितम्बर 2015 की रात कुछ उन्मादी युवकों ने गौ हत्या की अफवाह पर अख़लाक़ नाम के व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। डॉक्यूमेंट्री दिखाती है कि यह अकेली घटना इस क्षेत्र की वास्तविक तस्वीर नहीं है। भाटी गोत्र के हिंदुओं और मुसलमानों के इतिहास को दिखाने के लिए जैसलमेर, सोमनाथ और ग्रेटर नोएडा के इतिहास का फिल्मांकन किया गया है।

मुस्लिम परिवारों को पाकिस्तान जाने से रोका

1857 के गदर से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाएं “द ब्रदरहुड” में देखेने को मिलेंगी, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास में बड़ी जगह रखती हैं, जिनसे दोनों समुदायों के बीच ताल्लुक़ातों की गहराई पता चलती है। 1947 में आजादी के बाद बंटवारे का दुखदायी दौर लोगों को झेलना पड़ा। लेकिन भटनेर से कोई मुस्लिम परिवार देश छोड़कर पाकिस्तान नहीं गया था। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि किस तरह यहां के लोगों ने साथ रहना पसंद किया और मुस्लिम परिवारों को आगे बढ़कर पाकिस्तान जाने से रोक लिया था।

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‘घोड़ी बछेड़ा’ हिन्दू ठाकुर तो तिल ‘बेगमपुर मुस्लिम’ ठाकुरों का गाँव है

ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा और बुलंदशहर जिले के तिल बेगमपुर गाँव के बीच भाईचारे के रिश्तों को शानदार ढंग से पेश किया गया है। घोड़ी बछेड़ा हिन्दू ठाकुरों का गाँव है और तिल बेगमपुर मुस्लिम ठाकुरों का गाँव है। लेकिन घोड़ी बछेड़ा गाँव तिल बेगमपुर गाँव को अपना बड़ा भाई मानता है। मतलब, एक हिन्दू गाँव का बड़ा भाई मुस्लिम गाँव है। दोनों गाँवों के बीच सुख और दुख के बेमिसाल रिश्ते कायम हैं। गौतम बुद्ध नगर के पूर्व जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह का भी डॉक्यूमेंट्री में इंटरव्यू है। नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बिसाहड़ा काण्ड के वक्त सकारात्मक भूमिका निभाई थी। उन्हें इसके लिए समाज के हर वर्ग से सराहना मिली थी। वह कहते हैं कि भारत की साझा संस्कृति आधुनिक विकासवाद की नींव है। एनपी सिंह ने आगे कहा, यह डॉक्यूमेंट्री आज के माहौल के लिए बेहद उपयोगी है। मुझे उम्मीद है कि ये शब्द केवल हमारी बातों में सुनने को नहीं मिलेंगे बल्कि हमारे आचरण में भी नजर आएंगे।

दादरी के विधायक तेजपाल सिंह नागर ने कहा, यह एक शानदार और सन्देश वाहक डॉक्यूमेंट्री है। सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित कर रही है। एक दुखद घटना ने इस क्षेत्र की छवि को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन धरातल पर हकीकत बिलकुल अलग है। यही द ब्रदरहुड में देखकर अच्छा लगा। बिसाहड़ा काण्ड के बाद सामुदायिक सद्भाव के लिए ग्रेटर नोएडा के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी ने लोगों के बीच काम किया।

‘नफरतों का देखें असर कि गाय हिन्दू और बकरा मुसलमान हो गया’

जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि करीब 10-12 हजार मुस्लिम वोटरों ने उन्हें इस चुनाव में वोट दिया है, जबकि वह बीजेपी के उम्मीदवार थे। पूरे प्रदेश में हिन्दू और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण हुआ लेकिन यहां भाटी हिन्दू और मुसलमानों की एकता ने उन्हें जिताया है। “नफरतों का देखें असर कि गाय हिन्दू हो गई और बकरा मुस्लमान हो गया” इन पंक्तियों के साथ जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह का कहना है कि, हिन्दू और मुस्लमान तो भारत माता की दो भुजाएं हैं। दोनों साथ रहकर ही इस देश का विकास कर सकती हैं। यही वह देश है जहां गौतम बुद्ध ने सबसे पहले शांति का संदेश दिया था। महात्मा गांधी ने उस दर्शन और सन्देश का दुनिया में प्रचार किया। इस सुंदर सन्देश को इस डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से आगे बढ़ाया है।

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