खाने के शौकीनों के लिए सिक्किम का नायाब तोहफ़ा है नकीमा

एक ऐसी फूल की सब्ज़ी जो अपनी कड़वाहट के बावजूद बेहद पसंद की जाती है और एक अलग ही स्वाद देती है।

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खाने के शौकीनों के लिए सिक्किम का नायाब तोहफ़ा है नकीमानकीमा की दुर्लभता इसे और खास बनाती है। (सभी तस्वीरें सत्यदीप छेत्री )

सत्यदीप छेत्री

गंगटोक (सिक्किम)। बहुत ही अलग स्वाद और अलग अंदाज़ की फूल सब्ज़ी होती है नकीमा, जो सिर्फ़ सिक्किम में पाई जाती है। इसकी दुर्लभता इसे और अधिक लोकप्रिय बनाती है। थोड़ी सी कड़वाहट के बावजूद नकीमा मुँह में खाने के बाद सिर्फ़ मिठास घोलती है। सब्ज़ी विक्रेताओं के सामने इस निराली सब्ज़ी को खरीदने के लिए स्थानीय लोगों की लम्बी कतार देखने को मिलती है क्योंकि नकीमा पकने के बाद एक विशिष्ट व्यंजन के रूप में काफी ख्याति प्राप्त कर चुकी है।

नकीमा का चस्का जिसे लग जाए, वह कहीं भी जाए उसे भूल नहीं सकता। इस व्यंजन की तलब उन्हें सिक्किम की यादों को ताज़ा रखने में मददगार साबित होती है। हाल ही में पुणे से अपने घर आने के बाद 26 वर्षीया श्रेया उप्रेती की नकीमा सब्ज़ी का एक निवाला खाते ही पुरानी यादें ताज़ा हो गई।

गाँव कनेक्शन को नकीमा सब्ज़ी के बारे में बताते हुए श्रेया ने कहा कि पहली बार नकीमा मैंने 18 वर्ष की उम्र में खाया था। माँ ने जब इसे खाने को दिया, तो यह बहुत ही कड़वी लगी। मुझे नकीमा से नफ़रत हो गई। इसके बावजूद माँ बनाती रहीं और मुझे ज़बरदस्ती यह कहकर कि इसमें हाई प्रोटीन और विटामिन सी होता है, खिलाती रहीं। श्रेया ने हँसते हुए कहा कि तीसरी या चौथी बार से मुझे नकीमा से प्यार हो गया और अब तो यह मेरा सबसे पसंदीदा व्यंजन है। घर से बाहर रहने पर मुझे इस सब्ज़ी की बहुत याद आती है।

अब सवाल यह है कि इतनी कड़वी होने के बावजूद सिक्किम के लोगों का यह सबसे प्रिय व्यंजन है। पढ़ाई या नौकरी की वजह से लोग दूसरे देश या राज्य जाते हैं तो घर-परिवार की याद आना लाज़मी होता है। माँ के हाथ का खाना खाने को तरस जाते हैं। ऐसे में सिक्किम के लोग कैसे अछूते रह सकते हैं। सिक्किम की राजधानी गंगटोक की अपनी विशिष्ट सब्ज़ी वहाँ के स्थानीय लोगों में बहुत प्रसिद्ध है।

समुद्र तल से 1650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सिक्किम की हवाओं में सितम्बर और अक्टूबर के महीने में थोड़ी-थोड़ी ठण्ड और नमी रहती है। मानसून में बदलाव आने लगता है, बारिश बहुत कम हो जाती है और तापमान में गिरावट 18 डिग्री या उससे कम होने होने लगता है। यह समय बाहर से घूमने आने वाले सैलानियों के लिए नहीं रहता। स्थानीय लोग इस मौसम का लुत्फ़ बहुत ही सादगी और शान्ति से उठाते हैं। इस मौसम का इंतज़ार, इसके बीतते ही पूरा सिक्किम करने लगता है। क्यूंकि यह मौसम उन्हें उनका सबसे पसंदीदा व्यंजन उपहार स्वरुप देता है। जी हाँ , थोड़ी कड़वाहट वाली एक ऐसी सब्ज़ी नकीमा, जिसे खाने के लिए स्थानीय निवासी सर्दियों के शुरूआती समय का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।

नकीमा हाई प्रोटीन, फाइबर विटामिन सी युक्त औषधि

सिक्किम यूनिवर्सिटी के बागवानी विभाग ने साल 2014-15 में सिक्किम के चारों ज़िलों पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से पुष्पक्रम एकत्र किया। उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या वाकई में नकीमा एक सम्पूर्ण पोषक आहार है और इसके बाद मकसद यह कि अगर शोध सकारात्मक निकला तो नकीमा की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर इसे सिक्किम के अलावा दूसरे राज्यों के बाज़ार तक पहुँचाया जाए।

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सितम्बर माह के मध्य में नकीमा के फूल, प्रकंदों से उगते हुए पौधों में परिवर्तित होने लगते हैं। इन पौधों की लम्बाई ढाई फ़ीट ही होती है। इनकी लम्बाई कम होने के कारण फूल ज़मीन से सटे रहते हैं। समुद्र ताल से 4000 फ़ीट ऊँचाई पर समशीतोष्ण वन के जंगलों में वहाँ के तापमान में नकीमा खूब फूलता है। शोध कहते हैं कि नकीमा नेपाल और भूटान में भी बहुत लोकप्रिय है। प्रोटीन और फाइबर से युक्त नकीमा को वहां के लोग ज़्यादातर माँस के साथ खाना पसंद करते हैं।

हालांकि नकीमा अभी बहुत ज़्यादा प्रसिद्धि नहीं पा सका है। यहां तक कि गंगटोक से सटे आस-पास के शहर जैसे कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी, दार्जीलिंग और सेवेन सिस्टर्स कहे जाने वाले पूर्वोत्तर के सात राज्य भी अभी इसकी असली पहचान से अछूते हैं। अगर उन्हें इस दुर्लभ औषधि के बारे में ज़रा भी इल्म हुआ तो वे इसकी मुँहमाँगी कीमत देने को तैयार हो जाएंगे।

पकने की प्रक्रिया से नकीमा का जादू शुरू होता है

सितम्बर के पहले हफ़्ते में ही नकीमा की शुरूआती फ़सल ने ही बाज़ार में धूम मचा दी है। एक किलोग्राम नकीमा की कीमत 600 रुपए है। वर्ष 2016 में सिक्किम को पहला जैविक राज्य घोषित किया गया और तब से यह सिलसिला थमा नहीं है।

स्थानीय लोग संकर की बनावट, उसके वजन और उसकी प्राकृतिक खुशबू से जैविक उत्पादन की पहचान करने में कुशल होते हैं। विडंबना यह है कि नकीमा को देख कर इसके गुणों का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। इस फूल सब्ज़ी का वास्तविक जादू तब देखने को मिलता है जब इसे बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। उबालने से इसकी कड़वाहट काफी हद तक कम हो जाती है। फूलों का रंग गहरा बैंगनी हो जाता है और इसके बाद नकीमा का वास्तविक रूप देखने को मिलता है, जो बहुत स्पंजी नर्म होता है।

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लेखक सत्यदीप एस.छेत्री ने बताया कि नकीमा के बारे में 1977 के अक्टूबर माह में तब पता चला जब पश्चिमी सिक्किम से मैं और मेरा परिवार एक रिश्तेदार के घर गंगटोक गए। जब हम एक साथ पूरा परिवार खाने बैठे तो परंपरा के अनुसार फटे दूध की दही और साइट्रस जूस से बनी ताज़ा चीज़, याक के दूध से बने अनेक व्यंजन, खेतों की ताज़ी सब्ज़ियाँ और शतावरी अंकुर जैसी दिखने वाली हल्के हरे और बैंगनी रंग के फूलों के गुच्छे का एक अनोखा व्यंजन परोसा गया। और परोसने वाले ने हँसते हुए यह बताया कि यह नकीमा है।

गरम-गरम चावल के साथ इस सब्ज़ी को खाने का मज़ा ही कुछ और था। हल्की हल्की कड़वाहट के साथ यह अपनी पहचान एक मिठास के साथ बनाती है। वापस आने के बाद हम कंचनजंगा कॉम्प्लेक्स के लाल बाज़ार के संडे हाट गए, जो कि वहाँ का स्थानीय सब्ज़ी बाज़ार है। सारी सब्ज़ियाँ बिक चुकी थीं।

सब्ज़ी विक्रेताओं को सिक्किम के कुछ भागों में पाई जाने वाली दुर्लभ और परंपरागत सब्ज़ी के लिए रुचि को देखकर हैरानी हुई। सघन वनों में नकीमा की खेती करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है और पश्चिम सिक्किम में इसकी कोई माँग भी नहीं है। तब तक नकीमा गरीबों और वंचितों का भोजन माना जाता था, जिसे खाने के लिए कोई कीमत नहीं देनी पड़ती थी।

पश्चिम बंगाल के नकीमा की फ़सल उगाने वाले किसान अशोक लिम्बू इस फूल सब्ज़ी के बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं कि 1997 से 2020 में बहुत फर्क आया है। अब नकीमा की बिक्री ने हमें धनवान और भाग्यशाली बना दिया है। हम किसान पहले फूल खिलने का इंतज़ार करते हैं, ताकि बाज़ार में इसकी ऊँची कीमत मिल सके। शुरूआती कुछ हफ़्तों में पुष्पक्रम की पहली लाली की कीमत थोक बाज़ार में 600 रुपये किलोग्राम होती है। अक्टूबर के अंत तक कीमत गिरकर 200 रुपये से 300 रुपये हो जाती है।

नवंबर के पहले हफ़्ते तक यह अपनी अच्छी यादों के हमसे विदा हो जाती है और हम किसान खुश और संतुष्ट होकर आशापूर्वक अगले वर्ष इंतज़ार करते हैं। लिम्बू आगे कहते हैं कि बाज़ार में प्राकृतिक नकीमा माँग बहुत ही ज्यादा है। पर्याप्त पूर्ति के लिए वनों में उगाया जाने वाला नकीमा अब किसानों द्वारा खेत-खलिहानों में मुख्य समुद्र तल से 1200 मीटर से 1500 मीटर की ऊँचाई पर प्राकृतिक तौर पर उगाया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से उगाये हुए नकीमा की अत्यधिक कीमत मिलती है। नकीमा के स्वाद का जादू तब बढ़ जाता है जब इसे जँगलों से सीधे तोड़ा जाता है।

लेखक कहते हैं कि अगर आप गूगल पर नकीमा के बारे में जानकारी लेना चाहेंगे तो वीडियो में आपको लोग हरे पैचों पर नकीमा की खेती करते और इसे या तो सादे ढंग से या मीट के साथ खाते दिखेंगे। अधिकतर किसान उच्च आर्थिक मूल्य के लिए नकीमा को आस- पहाड़ियों में उगा रहे हैं। ब्लड-प्रेशर नियंत्रित करने में नकीमा एक औषधि का काम करता है।

वे कहते हैं कि मेरी बहन नकीमा को मानसून अमृत मानती हैं। अभी तो फ़िल्हाल लौकी और स्क्वैश जैसी विविध प्रकार की सब्ज़ियाँ मिलती है। हमें बस सर्दियों के आरम्भ होने का इंतज़ार रहता है, जब गंगटोक के बाज़ारों में नकीमा और मौसमी सब्ज़ियों की भरमार होती है।

नकीमा फूल -सब्ज़ी व्यंजन को बनाने की विधि

पुष्प या फूलों को अच्छी तरह धोकर साफ़ कर लें। इसके बाद गुच्छे की थोड़ी थोड़ी मात्रा को लंबवत काटें

अब इसे गर्म पानी में उबालें। इसके बाद पानी निकाल लें। बचे हुए पानी को खाना बनाने के लिए रख सकते हैं क्यूँकि यह पानी बहुत ही पोषक होता है।

गैस पर कढ़ाई गर्म करें। अब सरसों का तेल डालें। बारीक कटे प्याज़ को पारदर्शी या सुनहरा भूरा होने तक भूनें। अब इसमें लहसुन के कुछ टुकड़े और टमाटर डालें।

आधा चम्मच हल्दी और स्वादानुसार नमक, लाल मिर्च पाउडर या हिमालयन चेरी काली मिर्च डालें। इसके बाद नकीमा मिलाएं और तब तक पकाएं जब तक कि तेल छूट न जाए। अब आप इसे गरमागरम सादा, चुरपि, मूली या पोर्क के साथ खाएँ।

लेखक कहते हैं कि सिक्किम के लिए आप सर्दियों के शुरूआती दिनों में आने का प्रोग्राम बनाएं, ताकि नकीमा का लुत्फ़ उठा सकें। हालाँकि यह सिक्किम के अन्य पाक रत्नों की अनदेखी करना कहलाएगा, फिर भी आपको सुखद अनुभव होगा।

लेखक सत्यदीप एस छेत्री सिक्किम गवर्नमेंट कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर हैं। वह एक उत्साही परीक्षक और विज्ञान संचारक के साथ-साथ दो एनजीओ एकॉस [ ECOSS] और साथी सिक्किम के सदस्य भी हैं।

अनुवाद- इंदु सिंह

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