कोवैक्सीन ट्रायल विवाद : भोपाल में वालंटीयर्स बोले – 'हमसे कहा गया कोरोना का टीका लगाओ, 750 रुपये मिलेंगे'

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। भोपाल गैस पीड़ितों के साथ जुड़े कई सामाजिक संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिख कर भोपाल में कोवैक्सीन के ट्रायल तुरंत रोके जाने की मांग की है।

Kushal MishraKushal Mishra   10 Jan 2021 1:02 PM GMT

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कोवैक्सीन ट्रायल विवाद : भोपाल में वालंटीयर्स बोले – हमसे कहा गया कोरोना का टीका लगाओ, 750 रुपये मिलेंगेभारत बायोटेक की कोवैक्सीन ट्रायल पर उठ रहे सवाल। फोटो साभार : पीटीआई

"एक दिन हमारी बस्ती में वैन आई और चिल्ला कर कहने लगे, 750 रुपये मिलेंगे, कोरोना का टीका लगा लो, हम भी गए, अस्पताल में पहले हमारी जांच की गयी और फिर इंजेक्शन लगाया गया, और हमें घर भेज दिया, तीसरे दिन इतना सर्दी-जुकाम बिगड़ा कि सांस फूलने लगी, भूख भी नहीं लग रही थी, तबसे काम पर भी नहीं गया," भोपाल में कोवैक्सीन के ट्रायल में गए 70 वर्षीय एक वालंटीयर मान सिंह परमार बताते हैं।

सिर्फ मान सिंह ही नहीं, भोपाल में उनके जैसे कोरोना का टीका लगाने के नाम पर ले जाए गए कई वालंटीयर ने वैक्सीन के ट्रायल को लेकर पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोवैक्सीन का ट्रायल डोज लेने के बाद कई वालंटीयर ने सिर दर्द, चक्कर, भूख न लगना, उल्टियां होना, कमर दर्द, सांस फूलना और पेट दर्द जैसी कई समस्याओं का सामना किया है। इससे पहले 21 दिसम्बर को ट्रायल डोज लेने के एक वालंटीयर की नौ दिन बाद मौत हो गयी थी। ऐसे में भोपाल के पीपल्स मेडिकल अस्पताल में भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सीन के ट्रायल पर ले जाए गए वालंटीयर अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन से जुड़ीं और सामाजिक कार्यकर्त्ता रचना ढींगरा ने आज इन पीड़ितों को बाकायदा सामने लाकर वीडियो कांफेर्सिंग के जरिये मीडिया से चर्चा की। रचना ने आरोप लगाया कि बीमारी से पहले से जूझ रहे भोपाल गैस पीड़ितों पर भी ट्रायल किये गए हैं। इन वालंटीयर्स को वैक्सीन के ट्रायल्स के बारे में कुछ नहीं बताया गया और सिर्फ इतनी जानकारी दी गयी कि इंजेक्शन लगने के बाद आपको कोरोना नहीं होगा। ज्यादातर मजदूर और इन अनपढ़ लोगों को इसके एवज में इन्हें 750 रुपये का लालच दिया गया।

क्या अस्पताल प्रशासन की ओर से टीका लगाये जाने को लेकर आपको कोई सहमति पत्र दिया गया था? के सवाल पर विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में मान सिंह परमार बताते हैं, "इंजेक्शन लगवाने के बाद हमें सिर्फ एक बुकलेट दी गयी जिसमें डॉक्टर ने कहा कि अगर कुछ समस्या लगे तो इसमें लिखते रहना, इसके अलावा कोई कागज नहीं दिया गया। हमें नकद 750 रुपये पकड़ा दिए गए थे।" मान सिंह जैसे कई वालंटीयर्स पढ़े-लिखे नहीं हैं।

सामाजिक कार्यकर्त्ता रचना के अनुसार, अस्पताल के आस पास गरीब नगर, शंकर नगर, ओरिया बस्ती, कैंची चोला, जेपी नगर जैसे कई इलाकों से 600 से ज्यादा गरीब और अनपढ़ लोगों को बिना सही जानकारी दिए बिना कोवैक्सीन के ट्रायल डोज के लिए ले जाया गया। रचना ने आरोप लगाया कि इन वालंटीयर्स को कोई सहमति पत्र की कॉपी भी नहीं दी गयी। इसके अलावा जब कई वालंटीयर्स को स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायतें सामने आयीं तो भी उन्हें अस्पताल प्रशासन की ओर से से कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला।

सबसे जरूरी यह है कि इन वालंटीयर्स को टीका लगाये जाने को लेकर न तो सहमति पत्र की कॉपी दी गयी और न ही मेडिकल केयर दिया गया। जबकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की गाइडलाइन में दिया गया है कि वालंटीयर्स ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग भी होनी चाहिए। यह भी नहीं किया गया। यह नियमों का बड़ा उल्लंघन है और चिंताजनक स्थिति है।

डॉ. अनंत भान, बायोइथिक्स रिसर्चर

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के दौरान इंजेक्शन लगने के बाद पिछले एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती 38 वर्षीय जितेन्द्र की मां गुलाब बाई भी मौजूद रहीं। उन्होंने टीका लगाए जाने को लेकर अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाये। गुलाब बाई का बेटा जितेन्द्र आरा मशीन पर काम करता है और दिन का 300 रुपये तक कमा लेता है। जितेन्द्र के दो बच्चे भी हैं।

गुलाब बाई बताती हैं, "मेरा बेटा बिल्कुल स्वस्थ था, 14 दिसम्बर को टीका लगाने के बाद उसे खांसी-जुकाम, उल्टियाँ, कमजोरी सब शुरू हो गया था, इंजेक्शन लगने के बाद ही तबियत ख़राब होने लगी, पहला ऐसा कुछ नहीं था, उसके बाद से काम पर भी नहीं गया था।"

"अस्पताल गए थे तो बाहर से डॉक्टर ने दवाई लिख दी, मगर तबियत ख़राब होने के बाद भी भर्ती नहीं किया। जब विडियो डाला गया इंटरनेट पर तो अस्पताल वालों ने भर्ती किया, अभी भी वो अस्पताल में है," गुलाब बाई कहती हैं।


इस बीच भोपाल गैस पीड़िता महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और स्वर्णकार पर्यावरण पुरस्कार विजेता रशीदा बी ने कहा, "कुल 1700 लोगों में से कम से कम 700 लोगों पर बिना सही जानकारी दिए वैक्सीन का परिक्षण किया जा रहा है। करीब 12 साल पहले भी भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में फार्मा कंपनियों द्वारा परीक्षण के दौरान मारे गए 13 गैस पीड़ितों की मौत के लिए किसी को भी दंडित नहीं किया गया।"

"और अब हम नहीं चाहते हैं कि यह दोहराव फिर से हो, इसलिए भोपाल गैस पीड़ितों से जुड़े सभी संगठनों ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है और मांग की है कि भोपाल में कोवैक्सीन के ट्रायल तुरंत रोके जाएँ, इसके अलावा कोवैक्सीन परीक्षण के दौरान भोपाल गैस पीड़ित मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए," रशीदा बी आगे कहती हैं।

वहीं वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के दौरान वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए शहजादी (60 वर्ष), चंदा देवी (60 वर्ष), छोटू दास (32 वर्ष), जसोदा बाई (35 वर्ष), मोहन साव (57 वर्ष) और रतन लाल (65 वर्ष) इंजेक्शन लगने के बाद तबियत खराब होने की शिकायत की। इन वालंटीयर ने आरोप लगाया कि उन्हें न तो अस्पताल की ओर से कोई सहमति पत्र दिया गया और न ही उसके बाद कोई मेडिकल ट्रीटमेंट मिला।

दूसरी ओर बायोइथिक्स शोधकर्ता डॉ. अनंत भान ने भी भोपाल में कोवैक्सीन ट्रायल को लेकर कई सवाल खड़े किये।

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के दौरान डॉ. भान ने कहा, "सबसे जरूरी यह है कि इन वालंटीयर्स को टीका लगाये जाने को लेकर न तो सहमति पत्र की कॉपी दी गयी और न ही मेडिकल केयर दिया गया। जबकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की गाइडलाइन में दिया गया है कि वालंटीयर्स ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग भी होनी चाहिए। यह भी नहीं किया गया। यह नियमों का बड़ा उल्लंघन है और चिंताजनक स्थिति है।"

"अगर एक छोटे से क्लिनिकल ट्रायल में ही इतनी मुश्किलें आ रही हैं तो बड़े स्तर पर क्या होगा, यह चिंता वाली बात है कि हम शोर्ट कट क्यों ले रहे हैं, सवाल पूछा जाता है तो उसका कोई जवाब नहीं मिलता है, जबकि वैक्सीन को लेकर पारदर्शिता बहुत जरूरी है ताकि लोगों का भरोसा जीता जा सके इसलिए सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है," डॉ. अनंत भान कहते हैं।

दूसरी ओर विवादों के बीच भारत बायोटेक ने अपनी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए नामांकन का काम सात जनवरी को सफलतापूर्वक पूरा किये जाने को लेकर घोषणा की। भारत बायोटेक के अनुसार कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 25,800 लोगों का नामांकन कराया गया है।

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