इन पेड़ों में प्रदूषण सहने की क्षमता होती है सबसे अधिक...

लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियों की पहचान जरूरी है, जो पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   31 May 2018 7:18 AM GMT

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इन पेड़ों में प्रदूषण सहने की क्षमता होती है सबसे अधिक...

प्रदूषण से सिर्फ इंसान ही नहीं प्रभावित होते हैं, बल्कि इसका असर पेड़ों की सेहत पर भी पड़ रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आयी है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में पेड़ों की सेहत पर प्रदूषण के कारण पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या की है और ऐसे वृक्षों की पहचान की गई है, जो अत्यधिक वायु प्रदूषण के दबाव को झेलने की क्षमता रखते हैं।

अध्ययनकर्ताओं में शामिल डॉ. मधुलिका अग्रवाल बताती हैं, "वृक्ष प्रजातियों की प्रदूषणकारी तत्वों से लड़ने की क्षमता का पता लग जाने से शहरों में हरित क्षेत्र के विकास में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन के नतीजे जैव विविधता के संरक्षण, शहरों की सुंदरता में सुधार और प्रदूषकों का दबाव कम करके स्वास्थ्य से जुड़े खतरों को रोकने में भी उपयोगी हो सकते हैं।"

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वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियों की पहचान जरूरी है, जो पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं। शहरों में हरित क्षेत्र की रूपरेखा तैयार करते समय इस तथ्य का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। यह अध्ययन इस संदर्भ में काफी उपयोगी साबित हो सकता है।


अमरूद (सिडियम गुआजावा), शीशम (डलबर्जिया सिस्सू) और सिरस (अल्बिज़िया लेबेक) के पेड़ों में भी प्रदूषण को सहन करने की क्षमता पायी गई है। प्रदूषण के बढ़ते दबाव के बावजूद पेड़ों की इन प्रजातियों की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट, रंगद्रव्य और जल की मात्रा अधिक पायी गई है।

दो वर्षों को दौरान लगातार छह विभिन्न ऋतुओं में यह अध्ययन किया गया है। अध्ययन के लिए वाराणसी के तीन अलग-अलग प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों को चुना गया था। इसमें रिहायशी, औद्यौगिक और ट्रैफिक वाले क्षेत्र शामिल थे। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि रिहायशी क्षेत्रों की अपेक्षा ट्रैफिक वाले तथा औद्योगिक इलाकों में कुल निलंबित सूक्ष्म कण, पार्टिकुलेट मैटर-10, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड एवं ओजोन जैसे प्रदूषकों का स्तर ढाई गुना तक अधिक था। बरसात और गर्मियों के बाद सर्दी के मौसम में ओजोन को छोड़कर अन्य प्रदूषकों का स्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया है। ओजोन का स्तर गर्मी के मौसम में उच्च स्तर पर था।

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शोध के दौरान तीनों अध्ययन क्षेत्रों में मौजूद वृक्षों कीतेरह प्रजातियों को चुना गयाथा और फिर उन पर प्रदूषण के असर का अध्ययन किया गया। एंटी-ऑक्सीडेंट, पत्तियों में मौजूद जल और फोटो-सिंथेटिक पिग्मेंट समेत पत्तियों से जुड़े करीब 15 मापदंडों को अध्ययन में शामिल किया गया था। इसके अलावा शोध क्षेत्रों में मौजूद वृक्षों की विशेषताओं का भी अध्ययन किया गया है।

अध्ययनकर्तांओं ने पाया कि हवा में तैरते सूक्ष्म कण और ओजोन का वृक्षों की सेहत पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है। इन प्रदूषकों के कारण वृक्षों की विशेषताओं में विविधता दर्ज की गई है। अध्ययन में शामिल वृक्षों में पत्रंग या इंडियन रेडवुड(सेसलपिनिया सपन) को प्रदूषण के प्रति सबसे अधिक सहनशील पाया गया है।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदूषण को झेलने की पेड़ों की क्षमता उनकी कई विशेषताओं पर निर्भर करती है। इन विशेषताओं में कैनोपी अर्थात पेड़ के छत्र का आकार, पत्तियों की बनावट तथा प्रकार और पेड़ों की प्रकृति शामिल है। संयुक्त पत्तियों वाले पतझड़ीपेड़, छोटे एवं मध्यम कैनोपी और गोल-से-अंडाकार पेड़ों में प्रदूषण के दुष्प्रभावों को झेलने की क्षमता अधिक पायी गई है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य पत्तियों की अपेक्षा संयुक्त पत्तियां हवा में मौजूद प्रदूषकों के संपर्क में सबसे कम आती हैं, जिसके कारण पेड़ अधिक समय तक इन पत्तियों को धारण करने में सक्षम होते हैं।

   

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