इस रक्षाबंधन गोबर और बीज की राखियां हैं ख़ास, छत्तीसगढ़ में समूह की महिलाएं बना रहीं वैदिक राखियां

छतीसगढ़ के धमतरी जिले में बिहान योजना के तहत 20 समूहों की 100 महिलाएं बना रही हैं ये ख़ास राखियाँ, इन राखियों की ऑनलाइन बिक्री भी शुरू की गई है।

Tameshwar SinhaTameshwar Sinha   3 Aug 2020 5:33 AM GMT

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धमतरी (छत्तीसगढ़)। इस रक्षाबंधन छत्तीसगढ़ में गोबर और बीज की अनूठी राखियां ख़ास आकर्षण का केंद्र बन रही हैं। यही नहीं छत्तीसगढ़ की संस्कृति को समेटे हुए बांस, चंदन, हल्दी, कुमकुम और रेशम से बनी वैदिक राखियों को भी खूब सराहा जा रहा है।

लॉकडाउन का लम्बा समय बीतने के बाद बिहान समूह की महिलाएं ये अनूठी राखियां बना रही हैं। इससे न सिर्फ उनको वापस रोजगार मिल सका है बल्कि वे इन राखियों को बेचकर समूह में अच्छी कमाई भी कर रही हैं।

दस से 200 रुपये में बिक रहीं इन राखियों को फिलहाल धमतरी और रायपुर जिले में बिक्री के लिए रखा गया है, इसके साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इन राखियों की ऑनलाइन बिक्री भी शुरू की गई है।

बिहान योजना के तहत महिलाओं के इन समूहों से जुड़ीं और धमतरी जिला पंचायत की सीईओ नम्रता गाँधी 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "पूर्ण लॉकडाउन खत्म होने के बाद करीब दो महीनों से समूह की ये महिलाएं रक्षाबंधन को लेकर ये राखियाँ बना रही हैं। इसमें जिले की करीब 60 महिलाएं काम कर रही हैं जो अब तक 10 हजार से ज्यादा राखियाँ बना चुकी हैं।"

नम्रता के मुताबिक ये महिलाएं चार तरह की ख़ास राखियाँ बना रही हैं। इसमें पहली राखी बांस के आधार पर गोबर में बीज को रखकर राखी बनाई गई है जिससे बाद में पौधा लग सकता है। दूसरी राखी में बांस और रेशम का काम है, तीसरी तरह की राखी में बांस और क्रोशि के धागे से काम हैं, जबकि चौथी तरह की ख़ास राखी जोड़ों के लिए बनाई गई है, इसे कुमकुम-अक्षत राखी कहा गया है। इसके अलावा हल्दी, कुमकुम, चंदन से बनीं वैदिक राखियाँ भी छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू समेटे हुए हैं।

दस से 200 रुपये तक उपलब्ध हैं ये राखियाँ । फोटो : गाँव कनेक्शन

नम्रता बताती हैं, "ये राखियाँ धमतरी जिले के साथ रायपुर में भी बिक्री के लिए स्टालों में लगाई गई हैं, साथ ही मुंबई-दिल्ली से भी ऑर्डर्स मिले हैं और खादी ग्राम्य उद्योग से भी। हम इसकी ऑनलाइन मार्केटिंग भी कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि इस रक्षाबंधन 25 हजार राखियाँ बनायें।"

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की बिहान योजना के तेहत धमतरी जिले के छाती गांव स्थित मल्टी युटिलिटी सेंटर में समूह की महिलाओं को इस तरह की राखी बनाना सिखाया गया था। नगरी विकासखण्ड के छिपली और कुरूद के नारी गांव के कुल 20 समूहों की करीब 100 महिलाएं राखी बनाने में जुटी हुई हैं।

इससे पहले समूह की ये महिलाएं गांव की बाड़ी के बांस और परम्परागत औजार का उपयोग कर बांस के झुमके, टॉप्स, चूड़ी, हार जैसे गहने बानाती आई हैं। बैम्बू क्राफ्ट कला से बने इन आकर्षक गहनों की मांग हमेशा से बनी रही है, मगर इस बार इन महिलाओं ने बांस, गोबर और बीज से राखियां बनाई हैं।

लॉकडाउन में आर्थिक संकट के बीच समूह की महिलाओं को मिला रोजगार। फोटो : गाँव कनेक्शन

कोरोना काल में जहाँ लोगों के रोजगार प्रभावित हुए हैं, वहां आपदा को अवसर में बदलने की ताकत छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने दिखाई है। समूह की ये महिलाएं राखियों को बनाने के साथ स्थानीय स्तर पर आपूर्ति भी कर रही हैं। रक्षाबंधन को देखते हुए अब तक 10 हजार राखियों में से सात हजार से ज्यादा राखियाँ बिक भी चुकी हैं। इससे समूह को 5.26 लाख से ज्यादा रुपए मिले हैं।

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