ओखी से प्रभावित गुजरात का ये वीडियो आपका दिल खुश कर देगा

Arvind ShuklaArvind Shukla   6 Dec 2017 6:31 PM GMT

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ओखी से प्रभावित गुजरात का ये वीडियो आपका दिल खुश कर देगागरीबों को खाना खिलाता किसान।

ये भारत का वीडियो है, ये वीडियो भारत के उस विश्वास पर मुहर लगाता है, जहां कहा और माना जाता है हम मिलकर रहते हैं एक दूसरे के सुख दुख में काम आते हैं। ये वीडियो गुजरात के सूरत के एक गांव का है, जहां ओखी के चलते लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है।

सूरत के विरपोर गांव में रहने वाले मेहुल भाई के इलाके में भी ओखी से भारी बारिश हुई है। इस बारिश का सबसे ज्यादा प्रभाव उन हजारों मजदूरों पर पड़ा है, जो हर साल इन इलाकों की गन्ना मिलों में काम करने आते हैं।

वीडियो देखें, कैसे किसान कर रहा मदद

बारिश के चलते मिलें फिलहाल बंद हो गई हैं तो खेतों में पानी भर गया है। मजदूरों की झोपड़पट्टियां या तो टूट गई हैं या पानी भर गया है। इन मजदूरों का खाने-पीने का सामान भी बारिश में खराब हो गया है। मेहुल भाई के गांव में भी 500-600 मजदूर (परिवार समेत) थे। इनमें से कई के पास खाने को कुछ नहीं बचा था। मेहुल पिछले दो दिनों से इन लोगों को खाना बनाकर खिलाते हैं।

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फोन पर मेहुल भाई ने गांव कनेक्शऩ को बताया, “गरीब मजदूर हैं बेचारे, खेतों में जब काम कर रहे थे, उसी दौरान बारिश आ गई, अपना राशन नहीं बचा पाए। ये सब हमारे ही खेतों में काम करते हैं इसलिए हमारी जिम्मेदारी है बुरे दौर में इनका साथ दिया जाए। जब तक मौसम साफ नहीं होगा, इन्हें खाना खिलाना हम किसानों की जिम्मेदारी है।”

गुजरात के सूरत में भारी मात्रा में गन्ने की खेती होती है। गन्ने की कटाई और छिलाई के लिए गुजरात और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों ये हर साल ये मजदूर आते हैं, जिनको स्थानीय चीनी मिलें एक बंधी रकम देती हैं। गन्ने का सीजन खत्म होने के बाद ये अपने गांवों को लौट जाते हैं।

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सूरत में कुसोड गांव में रहने वाले जागरुक किसान नवनीत पटेल में मेहुल भाई के खाने खिलाने का वीडियो फेसबुक पर अपने सुगरक्रेन ग्रोवर ऑफ इंडिया में अपलोड किया। वो बताते हैं, ये तस्वीरें मजदूर और किसान के रिश्ते को बताती हैं। हमारे यहां बड़े किसान जब भी जरुरत पड़ती हैं मजदूरों, गरीबों की मदद करते हैं, क्योंकि ये मजदूर हैं तभी तो हमारी खेती होती है।’

मेहुल भाई के गांव में आए ज्यादातर मजदूर डांग इलाके के हैं। मेहुल बताते हैं, “ज्यादातर मजदूर काफी गरीब हैं, जो पैसे फैक्ट्री से मिलते हैं, उसके अलावा ये गन्ने का अगौड़ा (पत्ते वाला भाग) बेचकर अपना गुजारा करते हैं।आज मैंने कुल 560 लोगों को खाना खिलाया, मुझे अंदर से काफी अच्छा लगता है।”

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