डॉक्टरों से की मारपीट तो 10 साल की मिलेगी सजा, सरकार ला रही कानून

स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   14 Aug 2019 7:02 AM GMT

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डॉक्टरों से की मारपीट तो 10 साल की मिलेगी सजा, सरकार ला रही कानूनप्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

नई दिल्ली। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट करने वालों की अब खैर नहीं है। केंद्र सरकार बहुत जल्द अस्पताल में तोड़फोड़ और डॉक्टरों के साथ मारपीट करने वाले लोगों को सजा देने के लिए के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान करने जा रही है। इस मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है। आम लोगों की राय लेने के लिए इसे जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया, " डॉक्टरों की एक बहुत बड़ी समस्या उनके सुरक्षा को लेकर है। आए दिन अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आती हैं। कभी जनता के द्वारा तो कभी तीमारदारों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ और डॉक्टरों के साथ मारपीट किया जाता है, जिससे डॉक्टर डरे रहते हैं। इसका असर उनके काम पर भी पडता है। अस्पताओं में डॉक्टर साथियों के खिलाफ हिंसा और मार पिटाई की घटनाओं को रोकने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और उस पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।"

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हाल ही में पश्चिम बंगाल में इलाज के दौरान एक रोगी की मौत हो जाने पर उसके रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमला किये जाने के बाद देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गये थे। अधिकारिक सूत्रों ने मसौदा विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों को गंभीर चोट पहुंचाने वालों को तीन से 10 साल के बीच कैद की सजा का सामना करना पड़ सकता है तथा उन पर दो से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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उन्होंने बताया कि मसौदा विधेयक में कहा गया है कि हिंसा करने वालों या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे। मंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में एक केंद्रीय कानून मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों की काफी समय से लंबित मांग है। इस पर एक मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा, हम लोगों की राय और टप्पणियों के लिए जल्द ही इसे सार्वजनिक कर देंगे। इसके बाद, हम इसे कैबिनेट की बैठक में ले जाएंगे।

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मसौदा विधेयक के मुताबिक हिंसा का मतलब किसी तरह का चोट पहुंचाना, डराना-धमकाना, किसी स्वास्थ्यकर्मी के कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान अवरोध पैदा करना या उनकी जान को जोखिम में डालना होगा। विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आठ सदस्यीय एक उपसमिति गठित की थी।


किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डॉक्टर राहुल ने गाँव कनेक्शन को बताया, " हम लोग चाहते हैं कि अस्‍पतालों और डॉक्टरों पर हमला और मारपीट करने वाली भीड़ के खिलाफ एक सख्त कानून बनना चाहिए। हम लोग हमेशा डर के माहौल में काम करते हैं। पश्चिम बंगाल में हुई डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट की घटना ने हमारी चिंता और मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। हम सरकार से मांग करते हैं कि ए एक ऐसा कठोर कानून बनाना चाहिए जिससे डॉक्‍टरों के साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ कठोर सजा मिल सके।"

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